मुंबई: बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार आज अपना 97वां जन्मदिन मना रहे हैं. जिनका असली नाम मुहम्मद यूसुफ खान है. तो आईए इस खास मौके पर हम उनके शानदार करियर के बारे में जानते हैं, जिसको उन्होंने 5 दशकों से अधिक समय तक जारी रखा.
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दिलीप कुमार ने हिंदी सिनेमा में पांच दशकों तक अपने शानदार अभिनय से दर्शकों के दिल पर राज किया है. दिलीप साहब का जन्म पेशावर में 11 दिसंबर, 1922 को आयशा बेगम और लाला गुलाम सरवर अली खान के घर हुआ था. उस समय उनके परिवार की स्थिति कुछ खास अच्छी नहीं थी. दिलीप कुमार 12 भाई-बहन हैं. उनके पिता फल बेचा करते थे और मकान का कुछ हिस्सा किराए पर देकर गुजर-बसर करते थे.
दिलीप का परिवार साल 1930 में मुंबई आकर बस गया था. साल 1940 में पिता से मतभेद के कारण दिलीप साहब पुणे चले गए. पुणे शहर में दिलीप की मुलाकात ताज मुहम्मद से हुई, जिनकी मदद से उन्होंने आर्मी क्लब में सैंडविच स्टॉल लगाया.
इसके बाद दिलीप वापस मुंबई अपने पिता के पास पहुंच गए. उन्होंने साल 1944 में आई फिल्म 'ज्वार भट्टा' से अपने फिल्मी सफर की शुरुआत की. फिल्मों में आने के बाद उन्होंने मुहम्मद यूसुफ खान से अपना नाम बदल कर दिलीप कुमार रख लिया. साल 1949 में फिल्म 'अंदाज' से उनको एक अलग पहचान मिली.
दिलीप कुमार को 1983 में फिल्म 'शक्ति', 1968 में 'राम और श्याम', 1965 में 'लीडर', 1961 की 'कोहिनूर', 1958 की 'नया दौर', 1957 की 'देवदास', 1956 की 'आजाद', 1954 की 'दाग' के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार से नवाजा गया. दिलीप कुमार पर फिल्माया गया गाना 'नैना जब लड़िहें तो भैया मन मा कसक होयबे करी' को लोग आज भी बहुत पसंद करते हैं. फिल्म 'दीदार' और 'देवदास' जैसी फिल्मों में उनकी भूमिकाओं की वजह से उन्हें ट्रेजिडी किंग कहा जाने लगा.
दिलीप कुमार ने साल 1960 में फिल्म 'मुगल-ए-आजम' में मुगल राजकुमार जहांगीर की भूमिका निभाई थी. यह फिल्म पहले ब्लैक एंड व्हाइट रिलीज हुई थी. इसके बाद साल 2004 में यह रंगीन बनाई गई. अभिनेता दिलीप कुमार राज्यसभा के सदस्य भी रह चुके हैं.
दिलीप कुमार ने 1947 में आयी फिल्म 'जुगनू' से पहली बार सफलता का स्वाद चखा. फिर उसके बाद उन्हें कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने 'देवदास', 'मुगल-ए-आजम' जैसी फिल्मों में अपने शानदार अभिनय को पेश किया है. वह आखिरी बार 1998 में आई फिल्म 'किला' में नजर आए थे.
दिलीप कुमार ने अपने से 22 साल छोटी अभिनेत्री सायरा बानो से 11 अक्टूबर, 1966 को शादी किया. शादी के समय दिलीप की उम्र 44 थी. बॉलीवुड में जब भी प्रेमी जोड़ों की बात की जाती है, तो सायरा बानो और दिलीप कुमार का नाम जरूर आता है. उम्र के बड़े अंतर को भूलाकर अभिनेत्री सायरा बानो ने दिलीप साहब से शादी की थी.
पहले तो दो बार प्यार में नाकामयाब रहे दिलीप सायरा में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहे थे. उम्र के फर्क के चलते भी दिलीप इस रिश्ते से कतरा रहे थे. लेकिन वह इस बात से अच्छी तरह वाकिफ थे, कि सायरा उनसे बेइंतेहा मोहब्बत करती हैं. यह 1966 का साल था. दिलीप कुमार और सायरा बानो ने अपने मोहब्बत के ऐलान का फैसला कर लिया था. फिर दोनों शादी के बंधन में बंध गए.
यह भी कहा जाता है कि कभी सायरा बानो का दिल राजेंद्र कुमार पर आया हुआ था और राजेंद्र पहले से शादीशुदा थे. ऐसे में सायरा की मां नसीम को यह बात पता चली तो उन्होंने पड़ोस में रहने वाले दिलीप से कहा कि वो सायरा को समझाए. दिलीप के समझाने पर सायरा ने कहा कि तो वो ही उनसे शादी क्यों नहीं कर लेते और फिर सायरा ने दिलीप कुमार से शादी कर ली.
2015 में उनको पद्म विभूषण से नवाजा गया था. उन्हें 1994 में दादासाहेब फाल्के अवार्ड भी मिल चुका है.
इसके अलावा दिलीप कुमार को पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज से भी सम्मानित किया गया है.