मुंबईः सिनेमा के पर्दे पर पुछल्ले पायदान से मुख्य किरदार में आने तक महिलाओं का सिनेमा में सफर काफी लंबा रहा है, ऐसा मानते हैं नामचीन गीतकार-लेखक गुलजार, जो अपनी बेटी मेघना गुलजार के निर्देशन और उनके द्वारा चुनी जाने वाली कहानियों के प्रशंसक हैं.
गुलजार ने अपनी बेटी की नई फिल्म 'छपाक' के गानों के लिरिक्स भी लिखे हैं, उन्होंने कहा कि सेंटर में मौजूद तीनों महिलाओं-- दीपिका पादुकोण, मेघना और लक्ष्मी अग्रवाल-- इन्हें फिल्म के जरिए समाज से कुछ कहना है, जो कि एसिड-अटैक सर्वाइवर की कहानी से संबंधित है.
गुलजार ने छपाक के टाइटल सॉन्ग लॉन्च में रिपोर्टर्स को बताया, 'हमें इन लड़कियों की तारीफ करनी चाहिए. यह समाज में एक आंदोलन है और अच्छी बात है कि प्रोड्यूसर्स इसपर पैसा लगा रहे हैं, यह लोगों को, समाज के ये बातें बताना चाहते हैं.(सारा का सारा) लक्ष्मी का शुक्रिया कि उन्होंने यह कहानी शेयर की, जो बहुत जरूरी थी.'
शंकर, एहसान और लॉय की जोड़ी ने छपाक के लिए इस गाने को कंपोज किया है.
उन्होंने आगे जोड़ा, 'तुमने (मेघना) मुझे कभी आसान काम नहीं दिया और खुद भी कभी आसान काम नहीं किया. हमें साथ में एक मत रखना पड़ा(गाने के लिए). जिस तरह छपाक का इस्तेमाल किया गया है वह पर्फेक्ट है. उसमें एक साउंड इफेक्ट है.'
गुलजार, जिन्हें कुछ बेहतरीन फिल्मों के निर्देशन के लिए भी याद किया जाता है जिन्में इंसानी जज्बातों को बखूबी बयान किया गया है, जैसे कि 'इजाजत', 'मौसम', 'आंधी' और 'लेकिन', उन्होंने कहा कि शुरूआत में उन्होंने मुश्किल से ही टेक्नीकल फील्ड में औरतों को देखा होगा, सालों बाद यह एक बहुत बड़ा बदलाव इंडस्ट्री में आया है.
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गीतकार ने कहा, '... हम टेक्नीकल फील्ड में मुश्किल से कोई औरत देखते थे शायद एक-दो हेयर ड्रेसर डिपार्टमेंट में देखने को मिल जाती थी लेकिन आज, परफॉरमर्स, राइटर्स, डायरेक्टर्स. और अब मुख्य किरदार लड़कियां कर रही हैं. मुझे लगता है कि यह बहुत बड़ी तरक्की है.'
'पहले हिरोइन्स (सिर्फ) गाने में इस्तेमाल करते थे या किसी सामान की तरह लेकिन आज ऐसा नहीं है. हम काफी दूर आ गए हैं. आज, वे लीड कर रही हैं और यह अच्छा है.'
गुलजार ने कहा कि एक बेटी के पिता होने के नाते वह इस बात से इंकार करते हैं कि बेटे से ज्यादा बेटियों का ख्याल रखना पड़ता है.
'आमतौर पर, लोग बेटों से ज्यादा बेटियों के लिए चिंतित होते हैं. हमारा समाज जैसे चलता है, ऐसा कहा जाता है कि बेटे हमेशा ही अपना ख्याल रख सकते हैं लेकिन बेटियों को कौन बचाएगा?'
'(लेकिन) आज, बेटियां बहुत आगे आ गई हैं. मैं बहुत खुश हूं कि मुझे इनका ख्याल नहीं रखना पड़ता बल्कि ये मेरा ख्याल रखती हैं. ये समाज में आदमियों के साथ बराबरी से चल रही हैं.'