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अनुभव सिन्हा का मानना, 'हिंसा को स्वीकार करना उसे सामान्य करना है' - हिंसा पर अनुभव सिन्हा का मत

फिल्म 'थप्पड़' के जरिए घरेलू हिंसा के मुद्दे को प्रभावी रूप से दर्शकों के सामने पेश करने वाले निर्देशक अनुभव सिन्हा का मानना है कि अगर पीड़ित हिंसा को स्वीकार कर लेते हैं तो वह सामान्य हो जाती है और इसकी शुरूआत एक थप्पड़ को सहने से ही होती है.

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अनुभव सिन्हा का मानना, 'हिंसा को स्वीकार करना उसे सामान्य करना है'
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Published : Feb 29, 2020, 8:19 PM IST

Updated : Mar 2, 2020, 11:59 PM IST

मुंबई: हालिया रिलीज फिल्म 'थप्पड़' के साथ निर्देशक अनुभव सिन्हा ने किसी रिश्ते में महिला के आत्म-सम्मान व स्वाभिमान पर लोगों के ध्यान को केंद्रित किया है और इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया है कि इस पितृसत्तात्मक समाज में एक निश्चित मानसिकता के साथ किस तरह सदियों से इस तरह की चीजों के साथ समझौता किया जाता रहा है.

सिन्हा का मानना है कि इस तरह की स्थिति के लिए केवल पुरुष ही नहीं बल्कि महिलाएं भी समान जिम्मेदार होती हैं.

फिल्म निर्माता ने आईएएनएस को बताया, 'कहीं न कहीं महिलाएं, परिवार में एकजुटता बनाए रखने के लिए इस पूरी प्रथा के में समान रूप से जिम्मेदार हैं, जहां महिलाओं को आत्म-सम्मान सहित कई चीजों के साथ समझौता करना पड़ता है. देखिए, हिंसा उस वक्त सामान्य हो जाती है, जब लोग इसे स्वीकार कर लेते हैं.'

पढ़ें- बॉक्स ऑफिस कलेक्शन : दर्शकों पर चला तापसी के 'थप्पड़' का जादू, कमाए इतने करोड़

उन्होंने अपना नजरिया रखते हुए कहा, 'अगर एक महिला के तौर पर आपको यह समझाया जाता है कि रिश्ते में इस तरह का अपमानजनक व्यवहार 'चलता है'- क्योंकि वह इसे बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है, वह इसे सामान्य कर देगी और वह अपनी आवाज कभी नहीं उठाएगी. ऐसा सदियों से होता आ रहा है. ऐसे में, एक थप्पड़ को न केवल स्वीकार कर लिया जाता है, बल्कि महिलाओं द्वारा इस सोच को आगे बढ़ाया भी जाता है.'

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तापसी पन्नू, पावेल गुलाटी, रत्ना पाठक शाह, तन्वी आजमी, दीया मिर्जा, राम कपूर और कुमुद मिश्रा स्टारर 'थप्पड़' शुक्रवार को रिलीज हुई और इसने अब तक भारत में 3.07 करोड़ का ही कारोबार किया है, हालांकि फिल्म को जमकर सराहना मिल रही है.

(इनपुट्स- आईएएनएस)

मुंबई: हालिया रिलीज फिल्म 'थप्पड़' के साथ निर्देशक अनुभव सिन्हा ने किसी रिश्ते में महिला के आत्म-सम्मान व स्वाभिमान पर लोगों के ध्यान को केंद्रित किया है और इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया है कि इस पितृसत्तात्मक समाज में एक निश्चित मानसिकता के साथ किस तरह सदियों से इस तरह की चीजों के साथ समझौता किया जाता रहा है.

सिन्हा का मानना है कि इस तरह की स्थिति के लिए केवल पुरुष ही नहीं बल्कि महिलाएं भी समान जिम्मेदार होती हैं.

फिल्म निर्माता ने आईएएनएस को बताया, 'कहीं न कहीं महिलाएं, परिवार में एकजुटता बनाए रखने के लिए इस पूरी प्रथा के में समान रूप से जिम्मेदार हैं, जहां महिलाओं को आत्म-सम्मान सहित कई चीजों के साथ समझौता करना पड़ता है. देखिए, हिंसा उस वक्त सामान्य हो जाती है, जब लोग इसे स्वीकार कर लेते हैं.'

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उन्होंने अपना नजरिया रखते हुए कहा, 'अगर एक महिला के तौर पर आपको यह समझाया जाता है कि रिश्ते में इस तरह का अपमानजनक व्यवहार 'चलता है'- क्योंकि वह इसे बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है, वह इसे सामान्य कर देगी और वह अपनी आवाज कभी नहीं उठाएगी. ऐसा सदियों से होता आ रहा है. ऐसे में, एक थप्पड़ को न केवल स्वीकार कर लिया जाता है, बल्कि महिलाओं द्वारा इस सोच को आगे बढ़ाया भी जाता है.'

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तापसी पन्नू, पावेल गुलाटी, रत्ना पाठक शाह, तन्वी आजमी, दीया मिर्जा, राम कपूर और कुमुद मिश्रा स्टारर 'थप्पड़' शुक्रवार को रिलीज हुई और इसने अब तक भारत में 3.07 करोड़ का ही कारोबार किया है, हालांकि फिल्म को जमकर सराहना मिल रही है.

(इनपुट्स- आईएएनएस)

Last Updated : Mar 2, 2020, 11:59 PM IST
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