मुंबईः एक्टर आलोक नाथ जो रेप केस में आयुक्त हैं, हो सकता है कि पुलिस के पास सबूतों की कमी की वजह से रेप चार्जेस से बरी हो जाएं.
10 महीने पहले, जब मीटू मोमेंट अपने उरुज पर था, तब स्क्रीनराइटर और प्रोडयूसर विंता नंदा ने एक्टर के खिलाफ ओशिवारा पुलिस स्टेशन में केस फाइल किया था. एक्टर ने अक्टूबर 2018 में स्क्रीनराइटर द्वारा कथित तौर पर किया गया ड्रामा अपने सोशल मीडिया पर भी शेयर किया था.
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एक्टर पर आईपीसी के सेक्शन 376 के तहत चार्जेस लगाए गए थे. लेटेस्ट रिपोर्ट्स बताती हैं कि ओशिवारा पुलिस केस की क्लोजर रिपोर्ट पेश कर सकती है. जिसमें एक्टर के खिलाफ पर्याप्त सबूत न होने की स्थिति में चार्जशीट नहीं दाखिल की जा सकती है, जैसी दलील हो सकती है.
मिड-डे की रिपोर्ट ने ओशिवारा पुलिस स्टेशन के ऑफिसर के कथन को कोट किया, हमने विक्टिम का विस्तृत कथन रिकॉर्ड किया है. दो गवाहों को कई बार पुलिस स्टेशन बी बुलवाया गया लेकिन गवाहों ने अपना स्टेटमेंट दर्ज नहीं कराया.
अपने बचाव में आलोक नाथ ने एक शिकायत के खिलाफ काउंटर डिफेमेशन का केस किया और मांग की थी कि महिला की तरफ से माफीनामे के साथ एक रूपये का मुआवजा भी दिया जाए.