मुंबई : राजकुमार स्टारर 'न्यूटन' और 'मेरे प्यार प्राइम मिनिस्टर' जैसी फिल्मों में नजर आईं अभिनेत्री अंजली पाटिल फिल्म इंडस्ट्री में एक दशक से काम कर रही हैं. हिंदी, तमिल और तेलुगू आदि फिल्मों में काम कर चुकीं अभिनेत्री अंजली ने हाल ही में एक इंटरव्यू में अपने करियर से जुड़ी कई बातें कीं.
उनका मानना है कि 'महत्वाकांक्षा और सफलता' किसी भी कलाकार की रचनात्मकता पर एक बोझ साबित हो सकती है.
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33 वर्षीय अभिनेत्री ने कहा कि उन्होंने चार साल पहले खुद को इस विचार से अलग कर लिया और अब अपने काम में और बेहतर होने की कोशिश में जुटी हैं.
उन्होंने कहा कि महत्वाकांक्षा, प्रसिद्धि, सफलता और महिमा के कोई विशिष्ट विचार नहीं हैं. मैं खुश और विश्वसनीय रहना चाहती हूं और ऐसे लोगों के साथ काम करना चाहती हूं, जो एक कलाकार के रूप में मेरे विकास में योगदान दे सकें.
बता दें, अंजली ने साल 2011 में हिंदी फिल्म 'दिल्ली इन ए डे' से अपने अभिनय की शुरुआत की थी. वह 'चक्रव्यूह', 'साइलेंस' और रजनीकांत स्टारर फिल्म 'काला' में भी काम कर चुकी हैं.
फिल्म 'मिर्ज़्या' की अभिनेत्री को लगता है कि कला के प्रति उनके लगाव ने उन्हें अभिनय करने के लिए प्रेरित किया और यही उन्हें अपने अंदर के कलाकार से जुड़े रहने में मदद करता है.
वह कहती हैं, मैं सिर्फ एक कलाकार नहीं हूं. मुझे अभिनय करना अच्छा लगता है. मुझे सिनेमा पसंद है, लेकिन मैं बतौर कलाकार ही काम नहीं कर सकती, क्योंकि यह मेरे लिए बहुत ही सीमित हो जाएगा. मैंने लेखनी और निर्देशन की पढ़ाई की है और मैं लिखना और निर्देशन दोनों करना चाहती हूं. मैं एक ऐसा सिनेमा बनाना चाहती हूं जो अच्छा हो.
पाटिल ने कहा कि उनके जीवन में एक समय ऐसा भी आया जब उन्होंने अभिनय छोड़ने पर विचार किया, लेकिन पिछले कुछ सालों में हुए मानसिक बदलावों ने उन्हें आगे बढ़ने में मदद की.
अभिनेत्री ने खुलासा किया कि उन्होंने पिछले साल एक फीचर और शॉर्ट फिल्म को प्रोड्यूस किया, जो न्यूयॉर्क भारतीय फिल्म महोत्सव में जा रही है और 4 जून से 13 जून तक ऑनलाइन दिखाई जाएगी.
इसके बारे में बात करते हुए, पाटिल ने कहा, उनकी प्रोडक्शन में बनी डॉक्यूमेंट्री फीचर फिल्म 'नाएदर ए गर्ल नर ए वूमन' अंग्रेजी, हिंदी और मराठी में है, जो जेंडर पर आधारित है. उन्होंने इस फिल्म को लिखा और इसका निर्देशन भी किया है.
फिल्म की कहानी के बारे में बताते हुए कहा, यह आज की महिलाओं के इस विषय पर सवाल उठाती है कि हम आर्थिक और भावनात्मक रूप से स्वतंत्र हैं, लेकिन हम एक आदर्श महिला होने के मानदंडों को पूरा नहीं करते हैं, मुझे नहीं पता कि मैं एक लड़की हूं या महिला.'
कई भाषाओं (हिंदी, मराठी, तेलुगू, मलयालम, कन्नड़ और अंग्रेजी) में काम काम करने के बाद, कई फिल्म निर्माता शुरू में अंचभित थे कि आप किसी फिल्म में कैसे फिट हो सकती हैं.
उन्होंने बताया, जब मैंने फिल्में करना शुरू किया, तो लोग मुझे देखकर अलग प्रतिक्रिया देते थे. मुझे वह मलयाली, बंगाली और मराठी दिखने वाली लड़की बताते थे, यह मुझे एक आशीर्वाद की तरह लगता था. मैं एक औसत भारतीय महिला हूं और 90 प्रतिशत भारतीय लड़कियां ऐसी ही दिखती हैं, और यह सबसे अच्छी चीजों में से एक है.
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बता दें, अंजली पिछली बार मशहूर फिल्ममेकर सुमित्रा भावे की मराठी फिल्म 'दिथी' (Dithee) में अभिनय करती दिखीं थी.
(PTI)