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डॉ. होमी जहांगीर भाभा की 110वीं जयंती, जानें उनसे जुड़ी रोचक बातें

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Published : Oct 30, 2020, 3:06 PM IST

Updated : Feb 16, 2021, 7:31 PM IST

भारतीय परमाणु कार्यक्रम के जनक के रूप में लोकप्रिय डॉ. होमी जहांगीर भाभा एक प्रसिद्ध परमाणु भौतिक विज्ञानी थे. वह दो प्रसिद्ध अनुसंधान संस्थानों- टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) के संस्थापक निदेशक भी थे.

Dr. Homi Jehangir Bhabha , birth anniversary
डॉ. होमी जहांगीर भाभा की जयंती पर जाने उनसे जुड़ी रोचक बातें

हैदराबाद : प्रसिद्ध अनुसंधान संस्थानों-टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) के संस्थापक निदेशक रह चुके डॉ. होमी जहांगीर भाभा एक प्रसिद्ध परमाणु भौतिक विज्ञानी थे. इनका जन्म 30 अक्टूबर 1909 को एक पारसी परिवार में हुआ था.

Dr. Homi Jehangir Bhabha , birth anniversary
डॉ. होमी जहांगीर भाभा की जयंती पर जाने उनसे जुड़ी रोचक बातें
Dr. Homi Jehangir Bhabha , birth anniversary
डॉ. होमी जहांगीर भाभा की जयंती पर जाने उनसे जुड़ी रोचक बातें
  • उन्हें कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से कई मानद उपाधियों और पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था .
  • एक छात्र के रूप में डॉ. होमी ने एक नोबेल पुरस्कार विजेता के साथ काम किया. उन्होंने कोपेनहेगन में नील्स बोहर के साथ भी काम किया.
  • 1939 में वह भारत आए और द्वितीय विश्व युद्ध शुरू होने के कारण वह वापस जाने में असमर्थ थे.
  • उन्होंने कई सम्मेलनों जैसे अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी आदि में भारत का प्रतिनिधित्व किया.
  • वह 1945 में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) के संस्थापक निदेशक थे.
  • बाद में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा ट्रॉम्बे परमाणु ऊर्जा प्रतिष्ठान का नाम उनकी स्मृति में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र में बदल दिया गया था.
  • उन्होंने कॉस्मिक विकिरणों को समझने के लिए जर्मन भौतिकविदों में से एक के साथ भी काम करके कैस्केड सिद्धांत विकसित किया.
  • उन्हें चित्रकारी, शास्त्रीय संगीत और ओपेरा पसंद था. वह मालाबार हिल्स में एक बड़े औपनिवेशिक बंगले में रहते थे. जिसे मेहरानगीर नाम दिया गया.

डॉ. भाभा ने परमाणु विज्ञान में प्रयोगशालाओं और अनुसंधान सुविधाओं की आवश्यकता पर प्रकाश डाला. दोराबजी जमशेदजी टाटा की मदद और टाटा ट्रस्ट के साथ, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च को 1945 में बंबई में स्थापित किया गया था.

डॉ. होमी भाभा एक कुशल प्रबंधक थे और यह तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के साथ उनकी प्रमुखता, भक्ति, धन, और कॉमरेडशिप के कारण था कि वे देश के वैज्ञानिक विकास के लिए पर्याप्त संसाधनों को आवंटित करने की आवश्यकता को प्रभावी ढंग से उठा सकते थे. उन्होंने पहले संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया जो 1955 में स्विट्जरलैंड के जिनेवा में परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के उद्देश्य से आयोजित किया गया था.

वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों में से एक यह था कि वे इलेक्ट्रॉन और पॉजिट्रॉन के टूटने की घटना पर प्रकाश डाल सकते थे, जिसने उन्होनें लोकप्रियता हासिल की और अंततः भाभा स्कैटरिंग का नाम दिया गया.

डॉ. भाभा ने परमाणु ऊर्जा अनुसंधान और विकास की जनशक्ति की जरूरतों को पूरा करने के लिए BARC प्रशिक्षण स्कूल की स्थापना की. उन्होंने परमाणु विज्ञान और इंजीनियरिंग में आत्मनिर्भरता की आवश्यकता पर जोर दिया.

पढे़ंः डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती पर जानिए उनसे जुड़ी दिलचस्प बातें

हैदराबाद : प्रसिद्ध अनुसंधान संस्थानों-टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) के संस्थापक निदेशक रह चुके डॉ. होमी जहांगीर भाभा एक प्रसिद्ध परमाणु भौतिक विज्ञानी थे. इनका जन्म 30 अक्टूबर 1909 को एक पारसी परिवार में हुआ था.

Dr. Homi Jehangir Bhabha , birth anniversary
डॉ. होमी जहांगीर भाभा की जयंती पर जाने उनसे जुड़ी रोचक बातें
Dr. Homi Jehangir Bhabha , birth anniversary
डॉ. होमी जहांगीर भाभा की जयंती पर जाने उनसे जुड़ी रोचक बातें
  • उन्हें कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से कई मानद उपाधियों और पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था .
  • एक छात्र के रूप में डॉ. होमी ने एक नोबेल पुरस्कार विजेता के साथ काम किया. उन्होंने कोपेनहेगन में नील्स बोहर के साथ भी काम किया.
  • 1939 में वह भारत आए और द्वितीय विश्व युद्ध शुरू होने के कारण वह वापस जाने में असमर्थ थे.
  • उन्होंने कई सम्मेलनों जैसे अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी आदि में भारत का प्रतिनिधित्व किया.
  • वह 1945 में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) के संस्थापक निदेशक थे.
  • बाद में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा ट्रॉम्बे परमाणु ऊर्जा प्रतिष्ठान का नाम उनकी स्मृति में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र में बदल दिया गया था.
  • उन्होंने कॉस्मिक विकिरणों को समझने के लिए जर्मन भौतिकविदों में से एक के साथ भी काम करके कैस्केड सिद्धांत विकसित किया.
  • उन्हें चित्रकारी, शास्त्रीय संगीत और ओपेरा पसंद था. वह मालाबार हिल्स में एक बड़े औपनिवेशिक बंगले में रहते थे. जिसे मेहरानगीर नाम दिया गया.

डॉ. भाभा ने परमाणु विज्ञान में प्रयोगशालाओं और अनुसंधान सुविधाओं की आवश्यकता पर प्रकाश डाला. दोराबजी जमशेदजी टाटा की मदद और टाटा ट्रस्ट के साथ, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च को 1945 में बंबई में स्थापित किया गया था.

डॉ. होमी भाभा एक कुशल प्रबंधक थे और यह तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के साथ उनकी प्रमुखता, भक्ति, धन, और कॉमरेडशिप के कारण था कि वे देश के वैज्ञानिक विकास के लिए पर्याप्त संसाधनों को आवंटित करने की आवश्यकता को प्रभावी ढंग से उठा सकते थे. उन्होंने पहले संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया जो 1955 में स्विट्जरलैंड के जिनेवा में परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के उद्देश्य से आयोजित किया गया था.

वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों में से एक यह था कि वे इलेक्ट्रॉन और पॉजिट्रॉन के टूटने की घटना पर प्रकाश डाल सकते थे, जिसने उन्होनें लोकप्रियता हासिल की और अंततः भाभा स्कैटरिंग का नाम दिया गया.

डॉ. भाभा ने परमाणु ऊर्जा अनुसंधान और विकास की जनशक्ति की जरूरतों को पूरा करने के लिए BARC प्रशिक्षण स्कूल की स्थापना की. उन्होंने परमाणु विज्ञान और इंजीनियरिंग में आत्मनिर्भरता की आवश्यकता पर जोर दिया.

पढे़ंः डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती पर जानिए उनसे जुड़ी दिलचस्प बातें

Last Updated : Feb 16, 2021, 7:31 PM IST
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