हैदराबाद : पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर ने आरोप लगाया है कि नवजोत सिंह सिद्धू सुपर चीफ मिनिस्टर की तरह काम कर रहे हैं. एक न्यूज चैनल को दिए गए इंटरव्यू में अमरिंदर सिंह ने कहा कि सिद्धू प्रदेश कांग्रेस के प्रमुख हैं और वही अभी सरकार चला रहे हैं. उन्होंने सरकार के कामकाज में प्रदेश अध्यक्ष के हस्तक्षेप की आलोचना की.
20 सितंबर को चरणजीत सिंह चन्नी ने पंजाब के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली. 19 सितंबर को उन्हें कांग्रेस विधायक दल का नेता चुना गया था. तभी से हर दिन हर मौके पर नवजोत सिंह सिद्धू साये की तरह नए मुख्यमंत्री के साथ है. कांग्रेस अध्यक्ष के तेवर के सामने सीएम चरणजीत सिंह चन्नी का कद कमतर ही दिख रहा है.
इसका अंदाजा उसी दिन हो गया था जब शपथ ग्रहण के बाद नवजोत सिद्धू ने सीएम को चन्नी भाई कहकर बुलाया था. इसके बाद बंद कमरे में उन्होंने नए सीएम और डिप्टी सीएम की बैठक भी ली थी.
शपथ ग्रहण के बाद कई ऐसे मौके आए, जहां सिद्धू पंजाब के मुख्यमंत्री को दिशा-निर्देश देते दिखे.
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, अब पंजाब में सत्ता के चार कोण बन गए हैं. सीएम चन्नी, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिद्धू और डिप्टी सीएम सुखजिंदर सिंह रंधावा और ओपी सोनी. अब सिद्धू की दखल से सरकार में नियुक्तियों में हो रही है.
संभावित नए महाधिवक्ता डीएस पटवालिया सिद्धू के करीबी हैं.सिद्धू वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी हरप्रीत सिंह सिद्धू को राज्य सतर्कता ब्यूरो प्रमुख के महत्वपूर्ण पद पर लाने की कोशिश कर रहे हैं, जो वर्तमान में ड्रग कंट्रोल पर राज्य टास्क फोर्स के प्रमुख हैं.
सिद्धू की सिफारिश पर करीबी दमनदीप सिंह को अमृतसर इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया. बताया जाता है कि अमृतसर यात्रा के दौरान जब सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने दमनदीप को जो नियुक्ति पत्र सौंपा था, उसे उन्होंने पहली बार देखा था.
कैबिनेट में मंत्री कौन होंगे, इस पर आम सहमति नहीं बन पाई है. माना जा रहा है कि सिद्धू नाप तौल कर ही अपनी पसंद के विधायक को मंत्री बनाने की सिफारिश करेंगे. मनचाहे पद की दौड़ में शामिल तमाम ब्यूरोक्रेट्स भी सिद्धू के दरबार में हाजिरी लगा रहे हैं.
मुख्यमंत्री बनने के बाद सिद्धू ने अपने संबोधन में चन्नी को मुख्यमंत्री की बजाय 'चन्नीभाई' कहकर संबोधित किया था . राजनीतिक एक्सपर्ट मानते हैं कि सिद्धू अपने बयान और बॉडी लैंग्वेज से यह लगातार मैसेज दे रहे हैं कि चरणजीत सिंह चन्नी उनके कारण ही सीएम चुने गए. इसके अलावा हरीश रावत के उस बयान ने भी नए मुख्यमंत्री के कद को पहले ही कमतर कर दिया, जिनमें उन्होंने2022 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस नवजोत सिंह सिद्धू के नेतृत्व में ही लड़ने की बात कही थी.
माना यह जा रहा है कि चुनाव से पहले सिद्धू अपनी छवि सरकार के कामकाज के जरिये और चमकाएंगे, इसके लिए उन्हें दखल देना ही होगा. क्या चन्नी अपने नेता सिद्धू के साये से बाहर जा पाएंगे, यह तो भविष्य ही तय करेगा. फिलहाल चन्नी के पास सिर्फ 6 महीने हैं, जिसमें वह अपनी काबिलियत साबित कर सकते हैं.