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81 Crore Indians Data Leak : आईसीएमआर से 81 करोड़ से अधिक भारतीयों का निजी डाटा लीक, सीबीआई कर सकती है जांच - भारत में डाटा लीक संबंधी कानून

ठोस साइबर सुरक्षा के बाद भी हैकरों ने आईसीएमआर के डाटा बेस से 81.5 करोड़ भारतीयों की निजी जानकारी को चुरा लिया है. लीक डेटा डार्क वेब तक पहुंच गई है. आईसीएमआर ने मामले में सरकार से शिकायत की है. उम्मीद की जा रही है मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपी जा सकती है. पढ़ें पूरी खबर..ICMR Data Leak, 81 Indians Data Leak, 81 Crore Indian Personal Data Leak.

81 Crore Indians Data Leak
81 करोड़ से अधिक भारतीयों का निजी डाटा लीक
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By IANS

Published : Nov 1, 2023, 4:54 PM IST

नई दिल्ली : बड़े पैमाने पर डेटा उल्लंघन में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के लीक डाटा से 81.5 करोड़ से अधिक देशवासियों के विवरण डार्क वेब पर महज कुछ पैसों में आसानी से उपलब्‍ध हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार, इसमें नाम, फोन नंबर और पते के साथ आधार और पासपोर्ट विवरण जैसी महत्वपूर्ण जानकारियां भी शामिल हैं.

मामले की गंभीरता को देखते हुए, आईसीएमआर की ओर से शिकायत दर्ज करने के बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से घटना की जांच करने की उम्मीद है. यूएस-आधारित साइबर सुरक्षा और खुफिया फर्म रिसिक्योरिटी द्वारा देखे गए डेटा उल्लंघन में उल्लेख किया गया है कि "9 अक्टूबर को, 'पीडब्‍ल्‍यूएन0001' उपनाम से जाने जाने वाले एक असामाजिक तत्‍व ने ब्रीच फोरम पर एक थ्रेड पोस्‍ट किया था जिसमें 81.5 करोड़ 'भारतीय नागरिकों के आधार और पासपोर्ट' रिकॉर्ड तक पहुंच की दलाली की गई थी.'

इसके अलावा, साइबर सुरक्षा विश्लेषकों को लीक हुए नमूनों में से एक मिला जिसमें भारतीय निवासियों से संबंधित पीआईआई (व्यक्तिगत रूप से पहचान योग्य जानकारी) के एक लाख रिकॉर्ड थे. इस नमूना लीक में, विश्लेषकों ने वैध आधार कार्ड आईडी की पहचान की, जिनकी पुष्टि एक सरकारी पोर्टल के माध्यम से की गई जो "सत्यापित आधार" सुविधा प्रदान करता है.

विश्लेषक धमकी देने वाले से संपर्क करने में भी कामयाब रहे और उन्हें पता चला कि वे पूरे आधार और भारतीय पासपोर्ट डेटासेट को 80,000 डॉलर (66 लाख रुपये से अधिक) में बेचने के इच्छुक थे. हालांकि, असामाजिक तत्‍व ने यह बताने से इनकार कर दिया कि उन्हें डेटा कैसे प्राप्त हुआ.

पिछले महीने, साइबर सुरक्षा शोधकर्ताओं ने पाया कि झारखंड में आयुष मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट में सेंध लग गई थी, जिससे 3.2 लाख से अधिक मरीजों के रिकॉर्ड डार्क वेब पर उजागर हो गए थे.

साइबर सुरक्षा कंपनी क्‍लाउडएसईके के अनुसार, वेबसाइट का डेटाबेस, जो 7.3 एमबी का है, मरीज़ों के रिकॉर्ड रखता है जिसमें पीआईआई और चिकित्सा निदान शामिल हैं. लीक डेटा में डॉक्टरों के बारे में संवेदनशील जानकारी भी शामिल है, जिसमें उनकी पीआईआई, लॉगिन क्रेडेंशियल, यूजर नेम, पासवर्ड और फोन नंबर शामिल हैं. डेटा उल्लंघन की शुरुआत "तनाका" नामक एक असामाजिक तत्‍व द्वारा की गई थी.

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मामले की गंभीरता को देखते हुए, आईसीएमआर की ओर से शिकायत दर्ज करने के बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से घटना की जांच करने की उम्मीद है. यूएस-आधारित साइबर सुरक्षा और खुफिया फर्म रिसिक्योरिटी द्वारा देखे गए डेटा उल्लंघन में उल्लेख किया गया है कि "9 अक्टूबर को, 'पीडब्‍ल्‍यूएन0001' उपनाम से जाने जाने वाले एक असामाजिक तत्‍व ने ब्रीच फोरम पर एक थ्रेड पोस्‍ट किया था जिसमें 81.5 करोड़ 'भारतीय नागरिकों के आधार और पासपोर्ट' रिकॉर्ड तक पहुंच की दलाली की गई थी.'

इसके अलावा, साइबर सुरक्षा विश्लेषकों को लीक हुए नमूनों में से एक मिला जिसमें भारतीय निवासियों से संबंधित पीआईआई (व्यक्तिगत रूप से पहचान योग्य जानकारी) के एक लाख रिकॉर्ड थे. इस नमूना लीक में, विश्लेषकों ने वैध आधार कार्ड आईडी की पहचान की, जिनकी पुष्टि एक सरकारी पोर्टल के माध्यम से की गई जो "सत्यापित आधार" सुविधा प्रदान करता है.

विश्लेषक धमकी देने वाले से संपर्क करने में भी कामयाब रहे और उन्हें पता चला कि वे पूरे आधार और भारतीय पासपोर्ट डेटासेट को 80,000 डॉलर (66 लाख रुपये से अधिक) में बेचने के इच्छुक थे. हालांकि, असामाजिक तत्‍व ने यह बताने से इनकार कर दिया कि उन्हें डेटा कैसे प्राप्त हुआ.

पिछले महीने, साइबर सुरक्षा शोधकर्ताओं ने पाया कि झारखंड में आयुष मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट में सेंध लग गई थी, जिससे 3.2 लाख से अधिक मरीजों के रिकॉर्ड डार्क वेब पर उजागर हो गए थे.

साइबर सुरक्षा कंपनी क्‍लाउडएसईके के अनुसार, वेबसाइट का डेटाबेस, जो 7.3 एमबी का है, मरीज़ों के रिकॉर्ड रखता है जिसमें पीआईआई और चिकित्सा निदान शामिल हैं. लीक डेटा में डॉक्टरों के बारे में संवेदनशील जानकारी भी शामिल है, जिसमें उनकी पीआईआई, लॉगिन क्रेडेंशियल, यूजर नेम, पासवर्ड और फोन नंबर शामिल हैं. डेटा उल्लंघन की शुरुआत "तनाका" नामक एक असामाजिक तत्‍व द्वारा की गई थी.

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