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व्हाट्सएप को दिल्ली हाईकोर्ट से बड़ा झटका, WhatsApp Privacy Policy पर जारी रहेगी CCI की जांच

व्हाट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी को लेकर भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग की जांच जारी रहेगी. Delhi high court ने व्हाट्सएप की अर्जी को खारिज करते हुए CCI की जांच पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. CCI inquiry against whatsapp privacy policy. Delhi high court on WhatsApp Privacy Policy .

WhatsApp Privacy Policy
व्हाट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी
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Published : Aug 25, 2022, 1:13 PM IST

Updated : Aug 26, 2022, 5:10 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने व्हाट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी (WhatsApp Privacy Policy) की प्रतिस्पर्धा आयोग (Competition Commission of India) की जांच पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. कोर्ट (Delhi high court) ने जांच को चुनौती देने वाली व्हाट्सएप और उसकी मूल कंपनी Meta (Facebook) की याचिकाओं को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने 25 जुलाई को फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुनवाई के दौरान मेटा ने कहा था कि प्रतिस्पर्धा आयोग (Competition Commission of India) फेसबुक की केवल इस आधार पर जांच नहीं कर सकती है कि उसका व्हाट्सएप पर भी मालिकाना हक है. मेटा की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी (Mukul Rohatgi Advocate) ने कहा था कि मेटा (Meta) का मालिकाना अधिकार व्हाट्सएप पर है. लेकिन इसका ये मतलब नहीं है के प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI inquiry) निजता के सवाल पर जांच करे. उन्होंने कहा था कि फेसबुक ने 2014 में व्हाट्सएप को अधिगृहित किया था. भले ही मेटा का फेसबुक और व्हाट्सएप पर मालिकाना हक है. लेकिन दोनों उपक्रमों के रास्ते अलग हैं और उनकी नीतियां भी अलग हैं. रोहतगी ने कहा था कि फेसबुक के खिलाफ कुछ नहीं मिला है. स्वत: संज्ञान लेकर नोटिस जारी किया गया है. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट 2016 और 2021 के प्राईवेसी पॉलिसी की पड़ताल कर रही है. ऐसे में किसी प्राधिकार को जांच करने का कोई मतलब नहीं बनता है.

सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने फेसबुक (मेटा) की प्राईवेसी पॉलिसी पर चिंता जताते हुए कहा था कि सोशल मीडिया कंपनियों की ओर से युजर की निजी जानकारी शेयर करने के मामले की पड़ताल की जरुरत है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि लोग अपनी प्राईवेसी को लेकर चिंतित हैं और अधिकतर तो ये तक नहीं जानते की उनका डाटा सोशल मीडिया दिग्गजों की ओर से तीसरे पक्ष को शेयर किया जा रहा है. कोर्ट ने कैंब्रिज एनालाइटिका का उदाहरण देते हुए युजर्स के डाटा शेयर करने पर चिंता जताई.

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केंद्र सरकार ने हलफनामा के जरिये नए आईटी रूल्स का पुरजोर समर्थन करते हुए कहा था कि आईटी रूल्स के रूल 4(2) के तहत ट्रेसेबिलिटी का प्रावधान वैधानिक है. केंद्र सरकार ने कहा था कि वो चाहती है कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स युजर की प्राईवेसी और एंक्रिप्शन की सुरक्षा करें. केंद्र सरकार ने कहा कि रूल 4(2) यूजर की प्राईवेसी को प्रभावित नहीं करता है. लोगों की निजता की सुरक्षा के लिए सामूहिक सुरक्षा की जरूरत है. केंद्र सरकार ने सामाजिक जिम्मेदारी निभाते हुए इन आईटी रूल्स को लागू किया है. केंद्र सरकार ने कहा है कि आईटी रूल्स को चुनौती देने वाले व्हाट्सएप और फेसबुक की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. केंद्र ने कहा है कि व्हाट्सएप और फेसबुक दोनों विदेशी कंपनियां हैं और इसलिए उन्हें संविधान की धारा 32 और 226 का लाभ नहीं दिया जा सकता है.

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27 अगस्त 2021 को हाईकोर्ट ने वाली व्हाट्सएप और फेसबुक की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. फेसबुक की ओर से पेश वकील Mukul Rohatgi ने आईटी रूल्स में ट्रेसबिलिटी (IT Rules Traceability) के प्रावधान का विरोध करते हुए कहा था कि यह निजता के अधिकार का उल्लंघन है. 9 जुलाई 2021 को व्हाट्सएप ने कोर्ट को बताया था कि वो अपनी नई प्राईवेसी पॉलिसी को फिलहाल स्थगित रखेगा. व्हाट्सएप की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे (Harish Salve Advocate) ने कोर्ट को बताया था कि जब तक डाटा प्रोटेक्शन बिल नहीं आ जाता तब तक उसकी नई प्राईवेसी पॉलिसी लागू नहीं की जाएगी.

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22 अप्रैल 2021 को जस्टिस नवीन चावला की सिंगल बेंच ने व्हाट्सएप और फेसबुक की याचिका खारिज कर दिया था. इस आदेश को दोनों कंपनियों ने डिवीजन बेंच के समक्ष चुनौती दी है. सिंगल बेंच के समक्ष सुनवाई के दौरान व्हाट्सएप की ओर से वरिष्ठ Advocate Harish Salve ने कहा था कि व्हाट्सएप की प्राईवेसी पॉलिसी पर प्रतिस्पर्द्धा आयोग को आदेश देने का क्षेत्राधिकार नहीं है. इस मामले पर सरकार को फैसला लेना है. उन्होंने कहा था कि व्हाट्सएप की नई प्राईवेसी पॉलिसी यूजर्स को ज्यादा पारदर्शिता उपलब्ध कराना है.

प्रतिस्पर्द्धा आयोग ने कहा था कि ये मामला केवल प्राईवेसी तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ये डाटा तक पहुंच का है. उन्होंने कहा था कि प्रतिस्पर्द्धा आयोग ने अपने क्षेत्राधिकार के तहत आदेश दिया है. उन्होंने कहा था कि भले ही व्हाट्सएप की इस नीति को प्राईवेसी पॉलिसी कहा गया है लेकिन इसे मार्केट में अपनी उपस्थिति का बेजा फायदा उठाने के लिए किया जा सकता है.

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नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने व्हाट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी (WhatsApp Privacy Policy) की प्रतिस्पर्धा आयोग (Competition Commission of India) की जांच पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. कोर्ट (Delhi high court) ने जांच को चुनौती देने वाली व्हाट्सएप और उसकी मूल कंपनी Meta (Facebook) की याचिकाओं को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने 25 जुलाई को फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुनवाई के दौरान मेटा ने कहा था कि प्रतिस्पर्धा आयोग (Competition Commission of India) फेसबुक की केवल इस आधार पर जांच नहीं कर सकती है कि उसका व्हाट्सएप पर भी मालिकाना हक है. मेटा की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी (Mukul Rohatgi Advocate) ने कहा था कि मेटा (Meta) का मालिकाना अधिकार व्हाट्सएप पर है. लेकिन इसका ये मतलब नहीं है के प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI inquiry) निजता के सवाल पर जांच करे. उन्होंने कहा था कि फेसबुक ने 2014 में व्हाट्सएप को अधिगृहित किया था. भले ही मेटा का फेसबुक और व्हाट्सएप पर मालिकाना हक है. लेकिन दोनों उपक्रमों के रास्ते अलग हैं और उनकी नीतियां भी अलग हैं. रोहतगी ने कहा था कि फेसबुक के खिलाफ कुछ नहीं मिला है. स्वत: संज्ञान लेकर नोटिस जारी किया गया है. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट 2016 और 2021 के प्राईवेसी पॉलिसी की पड़ताल कर रही है. ऐसे में किसी प्राधिकार को जांच करने का कोई मतलब नहीं बनता है.

सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने फेसबुक (मेटा) की प्राईवेसी पॉलिसी पर चिंता जताते हुए कहा था कि सोशल मीडिया कंपनियों की ओर से युजर की निजी जानकारी शेयर करने के मामले की पड़ताल की जरुरत है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि लोग अपनी प्राईवेसी को लेकर चिंतित हैं और अधिकतर तो ये तक नहीं जानते की उनका डाटा सोशल मीडिया दिग्गजों की ओर से तीसरे पक्ष को शेयर किया जा रहा है. कोर्ट ने कैंब्रिज एनालाइटिका का उदाहरण देते हुए युजर्स के डाटा शेयर करने पर चिंता जताई.

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27 अगस्त 2021 को हाईकोर्ट ने वाली व्हाट्सएप और फेसबुक की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. फेसबुक की ओर से पेश वकील Mukul Rohatgi ने आईटी रूल्स में ट्रेसबिलिटी (IT Rules Traceability) के प्रावधान का विरोध करते हुए कहा था कि यह निजता के अधिकार का उल्लंघन है. 9 जुलाई 2021 को व्हाट्सएप ने कोर्ट को बताया था कि वो अपनी नई प्राईवेसी पॉलिसी को फिलहाल स्थगित रखेगा. व्हाट्सएप की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे (Harish Salve Advocate) ने कोर्ट को बताया था कि जब तक डाटा प्रोटेक्शन बिल नहीं आ जाता तब तक उसकी नई प्राईवेसी पॉलिसी लागू नहीं की जाएगी.

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22 अप्रैल 2021 को जस्टिस नवीन चावला की सिंगल बेंच ने व्हाट्सएप और फेसबुक की याचिका खारिज कर दिया था. इस आदेश को दोनों कंपनियों ने डिवीजन बेंच के समक्ष चुनौती दी है. सिंगल बेंच के समक्ष सुनवाई के दौरान व्हाट्सएप की ओर से वरिष्ठ Advocate Harish Salve ने कहा था कि व्हाट्सएप की प्राईवेसी पॉलिसी पर प्रतिस्पर्द्धा आयोग को आदेश देने का क्षेत्राधिकार नहीं है. इस मामले पर सरकार को फैसला लेना है. उन्होंने कहा था कि व्हाट्सएप की नई प्राईवेसी पॉलिसी यूजर्स को ज्यादा पारदर्शिता उपलब्ध कराना है.

प्रतिस्पर्द्धा आयोग ने कहा था कि ये मामला केवल प्राईवेसी तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ये डाटा तक पहुंच का है. उन्होंने कहा था कि प्रतिस्पर्द्धा आयोग ने अपने क्षेत्राधिकार के तहत आदेश दिया है. उन्होंने कहा था कि भले ही व्हाट्सएप की इस नीति को प्राईवेसी पॉलिसी कहा गया है लेकिन इसे मार्केट में अपनी उपस्थिति का बेजा फायदा उठाने के लिए किया जा सकता है.

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Last Updated : Aug 26, 2022, 5:10 PM IST
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