न्यूयॉर्क : अमेरिका के ऑस्टिन में टेक्सास विश्वविद्यालय की एक टीम ने जीवाश्म की खोज की है, जो लगभग 70 मिलियन वर्ष पुराना है. इसकी लगभग पूरी खोपड़ी है जो जीवाश्म रिकॉर्ड में एक दुर्लभ घटना है. जिसने वैज्ञानिकों को प्राचीन पक्षी की तुलना, उन पक्षियों से करने की अनुमति दी, जो आज जी रहे हैं. टीम ने साइंस एडवांसेज जर्नल में इसके निष्कर्ष भी प्रकाशित किए.
यह जीवाश्म इचिथोर्निस नामक एक पक्षी का एक नया नमूना है, जो अन्य गैर-एवियन डायनासोर के समान ही विलुप्त हो गया था. इचिथोर्निस में एवियन और गैर-एवियन डायनासोर जैसी विशेषताओं का मिश्रण है, जिसमें दांतों से भरा जबड़ा होता हैं और एक चोंच भी होती है. इस जीवाश्म की बरकरार खोपड़ी ने टोरेस और उनके सहयोगियों को मस्तिष्क को करीब से देखने का मौका दिया.
यूटी कॉलेज ऑफ नेचुरल साइंसेज में शोध करने वाले प्रमुख अन्वेषक क्रिस्टोफर टोरेस ने कहा कि जीवित पक्षियों में स्तनधारियों को छोड़कर किसी भी ज्ञात जानवरों की तुलना में ज्यादा जटिल दिमाग होता है.
यूटी जैक्सन स्कूल ऑफ जियोसाइंसेज के शोध सहयोगी टोरेस ने यह भी कहा कि यह नया जीवाश्म, हमें इस विचार का परीक्षण करने में मदद करता है कि इन दिमागों ने पक्षियों के अस्तित्व में क्या प्रमुख भूमिका निभाई है.
पक्षी की खोपड़ी उनके दिमाग के चारों ओर कसकर लपेटती है. सीटी-इमेजिंग डेटा के साथ, शोधकतार्ओं ने इचथ्योर्निस की खोपड़ी को एक सांचे की तरह इस्तेमाल किया जिससे उसके मस्तिष्क की एक 3डी प्रतिकृति बनाई जा सके जिसे एंडोकास्ट कहा जाता है. उन्होंने इस एंडोकास्ट की तुलना जीवित पक्षियों और डायनासोरियन रिश्तेदारों के लिए बनाए गए लोगो से की.
शोधकतार्ओं ने पाया कि इचिथोर्निस का मस्तिष्क जीवित पक्षियों की तुलना में गैर-एवियन डायनासोर के साथ अधिक समानता रखता था. विशेष रूप से, सेरेब्रल हेमीस्फेर-जहां मनुष्यों में भाषण, विचार और भावना जैसे उच्च संज्ञानात्मक कार्य होते हैं. इचिथोर्निस की तुलना में जीवित पक्षियों में बहुत बड़े होते हैं. उस पैटर्न से पता चलता है कि इन कार्यों को बड़े पैमाने पर विलुप्त होने से बचाने के लिए जोड़ा जा सकता है.
टोरेस ने कहा कि अगर मस्तिष्क की एक विशेषता उत्तरजीविता को प्रभावित करती है, तो हम उम्मीद करेंगे कि यह जीवित बचे पक्षियों में मौजूद होगा लेकिन इचथ्योर्निस में अनुपस्थित होगा और हमें यहां यही देखने को मिला.
यूटी जैक्सन स्कूल ऑफ जियोसाइंसेज की प्रोफेसर और अध्ययन की सह-लेखक जूलिया क्लार्क ने कहा कि इचिथोर्निस उस रहस्य को उजागर करने की कुंजी है. यह जीवाश्म हमें जीवित पक्षियों और डायनासोर के बीच उनके जीवित रहने से संबंधित कुछ सवालों के जवाब देने के करीब लाने में मदद करता है.
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(इनपुट-आईएएनएस)