नई दिल्ली : रेलवे मंत्रालय के डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (DFCCIL) में मल्टी टास्किंग स्टॉफ के लिए चल रही भर्ती प्रक्रिया में फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है.
इसका पता तब चला जब एक शख्स अपने दस्तावेजों का सत्यापन करवाने के लिए प्रगति मैदान मेट्रो स्टेशन पर पहुंचा. बायोमेट्रिक निशान लेने पर पता चला कि परीक्षा में बैठने वाला शख्स यह नहीं था.
आरोपी ने पुलिस को बताया की परीक्षा में उसकी जगह जो शख्स बैठा था. उसे चयन होने पर पांच लाख रुपये वह देने वाला था.
मेट्रो के डीसीपी विक्रम पोरवाल के अनुसार डीएफसीसीआईएल में मल्टी टास्किंग स्टाफ की 896 भर्ती बीते वर्ष निकाली गई थी. इस भर्ती की प्रक्रिया के तहत बीते नवंबर माह में लिखित परीक्षा आयोजित की गई थी.
वहीं अभी दस्तावेजों का सत्यापन चल रहा है. उन्होंने बताया कि बीते 16 सितंबर को बिहार के गया का रहने वाला शैलेश कुमार अपने दस्तावेज सत्यापन करवाने के लिए प्रगति मैदान मेट्रो स्टेशन स्थित डीएफसीसीआईएल के दफ्तर में पहुंचा.
बायोमेट्रिक मशीन से हुआ खुलासा
दस्तावेज लेकर वह जब इस दफ्तर में पहुंचा तो बायोमेट्रिक मशीन से उसका सत्यापन किया गया. इससे पता चला कि परीक्षा के दौरान मौजूद शख्स वह नहीं है. उसका फिंगर प्रिंट परीक्षा देने वाले शख्स से अलग था.
इसलिए इसकी जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को दी गई. पूछताछ में उसने बताया कि लिखित परीक्षा में उसकी जगह बिहार का रहने वाला रोशन कुमार बैठा था. पटना में बीते 10 नवंबर को उसकी परीक्षा हुई थी, जिसमें उसकी जगह रोशन बैठा था.
इसी साल पूरी की स्नातक की पढ़ाई
डीसीपी विक्रम पोरवाल के अनुसार गिरफ्तार किया गया शैलेश कुमार बिहार के गया जिला के अखुरबा गांव का रहने वाला है. उसने इसी साल स्नातक की पढ़ाई पूरी की है. उसके पिता गांव में परचून की दुकान चलाते हैं.
पांच लाख रुपये में हुई थी डील
आरोपी शैलेश ने पुलिस को बताया कि उसके चाचा कमलेश कुमार ने रोशन को इस परीक्षा में भेजा था. लिखित परीक्षा पास होने पर डीएफसीसीआईएल में नौकरी लगने के बाद उसे पांच लाख रुपये रोशन को देने थे.
इस मामले की शिकायत मिलने पर मेट्रो पुलिस ने आरोपी शैलेश को गिरफ्तार कर लिया है. वहीं इस फर्जीवाड़े में शामिल अन्य आरोपियों की तलाश कर रही है. पुलिस इस बात की भी जांच कर रही है कि कहीं इस भर्ती में अन्य परीक्षार्थियों ने भी तो गड़बड़ी नहीं की है.