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ईरान के वरिष्ठ नेता ने कहा, अमेरिकी हमले से पूर्ण युद्ध का जोखिम - राष्ट्रपति हुसैन रूहानी

ईरान के सर्वोच्च नेता के सलाहकार हुसैन देहघन ने चेतावनी देते हुए अमेरिका पर तीखी टिप्पणी की है. हुसैन 2021 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए संभावित उम्मीदवारों में से एक हैं.

हुसैन देहघन
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Published : Nov 19, 2020, 10:46 PM IST

तेहरान : ईरान के सर्वोच्च नेता के सलाहकार हुसैन देहघन ने चेतावनी दी है कि ट्रंप प्रशासन के आखिरी दिनों में इस्लामी गणतंत्र पर अमेरिका के किसी भी हमले से पश्चिम एशिया में पूर्ण युद्ध शुरू हो सकता है.

हुसैन 2021 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए संभावित उम्मीदवारों में से एक हैं. उन्होंने एपी से बातचीत करते हए यह तीखी टिप्पणी की. वह राष्ट्रपति हुसैन रूहानी के तहत रक्षा मंत्री बनने से पहले लंबे समय तक देश के रिवोल्यूशनरी गार्ड से जुड़े हुए थे. कहा जाता है कि रिवोल्यूशनरी गार्ड से जुड़े रहे अधिकारियों के विचार कट्टरपंथी होते हैं.

ईरान में 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद से कोई सैनिक देश का शीर्ष राजनीतिक नेता नहीं बन सका है. शुरुआती दौर में संदेह जताया जाता था कि पारंपरिक सैन्य बल अपदस्थ शाह के प्रति निष्ठावान था.

हाल के वर्षों में कट्टरपंथी रुझान वाले लोगों ने आर्थिक समस्याओं और विदेशी खतरों को देखते हुए खुले तौर पर ईरान को सैन्य तानाशाही की ओर बढ़ने का सुझाव दिया है.

पढ़ें- दुबई : भारतीय दंपती की अनूठी शादी, मेहमान कार से नहीं उतरे

उन्होंने बुधवार को कहा कि हम किसी संकट का स्वागत नहीं करते. हम युद्ध का स्वागत नहीं करते. हम युद्ध शुरू करने के पक्ष में नहीं हैं.

हुसैन ने कहा, लेकिन हम बातचीत के लिए, बातचीत के पक्ष में भी नहीं हैं. बातचीत के दौरान उन्होंने खुद को राष्ट्रवादी बताया.

तेहरान : ईरान के सर्वोच्च नेता के सलाहकार हुसैन देहघन ने चेतावनी दी है कि ट्रंप प्रशासन के आखिरी दिनों में इस्लामी गणतंत्र पर अमेरिका के किसी भी हमले से पश्चिम एशिया में पूर्ण युद्ध शुरू हो सकता है.

हुसैन 2021 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए संभावित उम्मीदवारों में से एक हैं. उन्होंने एपी से बातचीत करते हए यह तीखी टिप्पणी की. वह राष्ट्रपति हुसैन रूहानी के तहत रक्षा मंत्री बनने से पहले लंबे समय तक देश के रिवोल्यूशनरी गार्ड से जुड़े हुए थे. कहा जाता है कि रिवोल्यूशनरी गार्ड से जुड़े रहे अधिकारियों के विचार कट्टरपंथी होते हैं.

ईरान में 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद से कोई सैनिक देश का शीर्ष राजनीतिक नेता नहीं बन सका है. शुरुआती दौर में संदेह जताया जाता था कि पारंपरिक सैन्य बल अपदस्थ शाह के प्रति निष्ठावान था.

हाल के वर्षों में कट्टरपंथी रुझान वाले लोगों ने आर्थिक समस्याओं और विदेशी खतरों को देखते हुए खुले तौर पर ईरान को सैन्य तानाशाही की ओर बढ़ने का सुझाव दिया है.

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उन्होंने बुधवार को कहा कि हम किसी संकट का स्वागत नहीं करते. हम युद्ध का स्वागत नहीं करते. हम युद्ध शुरू करने के पक्ष में नहीं हैं.

हुसैन ने कहा, लेकिन हम बातचीत के लिए, बातचीत के पक्ष में भी नहीं हैं. बातचीत के दौरान उन्होंने खुद को राष्ट्रवादी बताया.

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