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सीरिया में कुर्द चरमपंथियों से कोई बातचीत नहीं होगी : एर्दोआन

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Published : Oct 16, 2019, 7:21 PM IST

Updated : Oct 16, 2019, 9:36 PM IST

तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने सीरिया में कुर्द चरमपंथियों के साथ किसी भी तरह की बातचीत करने से इनकार किया है. जानें क्या है पूरा मामला...

राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ( फाइल फोटो)

अंकारा : तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने सीरिया में कुर्द चरमपंथियों के साथ किसी भी समझौता वार्ता से इनकार कर दिया है. बता दें, अमेरिका ने दोनों पक्षों से संघर्ष विराम करने को कहा है.

एर्दोआन ने संसद में अपने संबोधन में कहा, 'कुछ नेता हैं, जो मध्यस्थता की कोशिश कर रहे हैं... तुर्क गणराज्य के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ कि शासन आंतकी संगठनों के साथ एक ही मेज पर बैठा हो.'

गौरतलब है कि एर्दोआन ने मंगलवार को कहा कि उत्तरी सीरिया में कुर्द उग्रवादियों के खिलाफ उनके देश का सैन्य अभियान लक्ष्य प्राप्त होने तक जारी रहेगा. सीरिया में कुर्द लड़ाकों के संगठन 'सीरियन कुर्दिश पीपुल्स प्रोटेक्शन यूनिट्स' (वाईपीजी) के खिलाफ तुर्की के सैन्य अभियान का आज आठवां दिन है.

क्षेत्रीय सम्मेलन में शामिल होने बाकू पहुंचे एर्दोआन ने टेलीविजन पर प्रसारित अपने संबोधन में कहा, 'ईश्वर ने चाहा तो जल्द ही हम मांज्बी से लेकर इराक से लगती अपनी सीमा तक क्षेत्र को सुरक्षित कर देंगे और सुनिश्चित करेंगे कि पहले चरण में 10 लाख और दूसरे चरण में 20 लाख सीरियाई शरणार्थी अपनी मर्जी से अपने घरों को लौटें.'

उन्होंने कहा, 'अब तक एक हजार वर्ग किलोमीटर सीरियाई क्षेत्र को अलगाववादी संगठन से मुक्त कराया जा चुका है. तुर्की उत्तरी सीरिया को सुरक्षित जोन बनाना चाहता है, जिससे कि वह वहां सीरिया संघर्ष के चलते तुर्की पहुंचे 36 लाख शरणार्थियों को वापस भेज सके.'

गौरतलब है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने उत्तर पूर्वी सीरिया में तुर्की की सैन्य कार्रवाई का विरोध किया. साथ ही कहा कि यदि तुर्की तबाही की राह पर बढ़ता चला गया तो हम उसकी अर्थव्यवस्था को तेजी से बर्बाद कर देंगे. इसके अलावा उन्होंने इस्पात पर शुल्क बढ़ाने और 100 अरब डॉलर के व्यापार सौदे पर बातचीत बंद करने की भी चेतावनी दी.

ट्रंप ने अपने एक बयान में कहा था, यह कार्यकारी आदेश मानवाधिकार के गंभीर हनन, संघर्ष विराम को बाधित करने, विस्थापित लोगों को घर लौटने से रोकने, शरणार्थियों को जबरन वापस उनके देश भेजने या सीरिया में शांति, सुरक्षा और स्थिरता को खतरा पहुंचाने वालों के खिलाफ अमेरिका को कड़े प्रतिबंध लगाने का अधिकार देगा.

उन्होंने कहा कि तुर्की की सैन्य कार्रवाई आम नागरिकों को खतरे में डाल रही है और क्षेत्र में शांति, सुरक्षा तथा स्थिरता को खतरा पहुंचा रही है. उन्होंने कहा कि वह तुर्की के अपने समकक्ष को यह पूरी तरह स्पष्ट कर चुके हैं कि उनकी कार्रवाई एक मानवीय संकट पैदा कर रही है और युद्ध अपराध जैसे हालात पैदा कर रही है.

ये भी पढ़ें : जर्मनी में 20 हजार कुर्दों का प्रदर्शन, सीरिया में तुर्की के सैन्य अभियान का विरोध

अमेरिकी सेना को वापस बुलाने पर ट्रम्प ने कहा कि आईएस के बचे खुचे आतंकवादियों को खदेड़ने के लिए दक्षिण सीरिया के टैन्फ गैरीसन में एक छोटा दल रहेगा.

गौरतलब है कि 2016 के राष्ट्रपति चुनाव प्रचार अभियान में ट्रम्प ने सीरिया और अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना को वापस बुलाने का वादा किया था.

अंकारा : तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने सीरिया में कुर्द चरमपंथियों के साथ किसी भी समझौता वार्ता से इनकार कर दिया है. बता दें, अमेरिका ने दोनों पक्षों से संघर्ष विराम करने को कहा है.

एर्दोआन ने संसद में अपने संबोधन में कहा, 'कुछ नेता हैं, जो मध्यस्थता की कोशिश कर रहे हैं... तुर्क गणराज्य के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ कि शासन आंतकी संगठनों के साथ एक ही मेज पर बैठा हो.'

गौरतलब है कि एर्दोआन ने मंगलवार को कहा कि उत्तरी सीरिया में कुर्द उग्रवादियों के खिलाफ उनके देश का सैन्य अभियान लक्ष्य प्राप्त होने तक जारी रहेगा. सीरिया में कुर्द लड़ाकों के संगठन 'सीरियन कुर्दिश पीपुल्स प्रोटेक्शन यूनिट्स' (वाईपीजी) के खिलाफ तुर्की के सैन्य अभियान का आज आठवां दिन है.

क्षेत्रीय सम्मेलन में शामिल होने बाकू पहुंचे एर्दोआन ने टेलीविजन पर प्रसारित अपने संबोधन में कहा, 'ईश्वर ने चाहा तो जल्द ही हम मांज्बी से लेकर इराक से लगती अपनी सीमा तक क्षेत्र को सुरक्षित कर देंगे और सुनिश्चित करेंगे कि पहले चरण में 10 लाख और दूसरे चरण में 20 लाख सीरियाई शरणार्थी अपनी मर्जी से अपने घरों को लौटें.'

उन्होंने कहा, 'अब तक एक हजार वर्ग किलोमीटर सीरियाई क्षेत्र को अलगाववादी संगठन से मुक्त कराया जा चुका है. तुर्की उत्तरी सीरिया को सुरक्षित जोन बनाना चाहता है, जिससे कि वह वहां सीरिया संघर्ष के चलते तुर्की पहुंचे 36 लाख शरणार्थियों को वापस भेज सके.'

गौरतलब है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने उत्तर पूर्वी सीरिया में तुर्की की सैन्य कार्रवाई का विरोध किया. साथ ही कहा कि यदि तुर्की तबाही की राह पर बढ़ता चला गया तो हम उसकी अर्थव्यवस्था को तेजी से बर्बाद कर देंगे. इसके अलावा उन्होंने इस्पात पर शुल्क बढ़ाने और 100 अरब डॉलर के व्यापार सौदे पर बातचीत बंद करने की भी चेतावनी दी.

ट्रंप ने अपने एक बयान में कहा था, यह कार्यकारी आदेश मानवाधिकार के गंभीर हनन, संघर्ष विराम को बाधित करने, विस्थापित लोगों को घर लौटने से रोकने, शरणार्थियों को जबरन वापस उनके देश भेजने या सीरिया में शांति, सुरक्षा और स्थिरता को खतरा पहुंचाने वालों के खिलाफ अमेरिका को कड़े प्रतिबंध लगाने का अधिकार देगा.

उन्होंने कहा कि तुर्की की सैन्य कार्रवाई आम नागरिकों को खतरे में डाल रही है और क्षेत्र में शांति, सुरक्षा तथा स्थिरता को खतरा पहुंचा रही है. उन्होंने कहा कि वह तुर्की के अपने समकक्ष को यह पूरी तरह स्पष्ट कर चुके हैं कि उनकी कार्रवाई एक मानवीय संकट पैदा कर रही है और युद्ध अपराध जैसे हालात पैदा कर रही है.

ये भी पढ़ें : जर्मनी में 20 हजार कुर्दों का प्रदर्शन, सीरिया में तुर्की के सैन्य अभियान का विरोध

अमेरिकी सेना को वापस बुलाने पर ट्रम्प ने कहा कि आईएस के बचे खुचे आतंकवादियों को खदेड़ने के लिए दक्षिण सीरिया के टैन्फ गैरीसन में एक छोटा दल रहेगा.

गौरतलब है कि 2016 के राष्ट्रपति चुनाव प्रचार अभियान में ट्रम्प ने सीरिया और अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना को वापस बुलाने का वादा किया था.

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Last Updated : Oct 16, 2019, 9:36 PM IST
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