नई दिल्ली: अमेरिकी सीनेट (US Senate) ने बुधवार को उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO) में स्वीडन (Sweden) और फिनलैंड (Finland) की एंट्री को मंजूरी प्रदान कर दी है. सीनेट ने दो नॉर्डिक देशों के पक्ष में 95-1 वोट दिया. संयुक्त राज्य अमेरिका 30 नाटो देशों में से 23वां देश बन गया है जिसने औपचारिक रूप से इन दोनों देशों को नाटो में शामिल होने के लिए अनुमति दी है. इससे पहले इटली ने बुधवार को और फ्रांस ने मंगलवार को मंजूरी दी थी. अमेरिकी के इस कदम से उसके रूस के साथ रिश्ते और बिगड़ सकते हैं.
बता दें रूस ने चेतावनी दी थी कि अगर दोनों देश गठबंधन में शामिल होंगे तो मॉस्को जवाबी कदम उठाने को मजबूर होगा. यूक्रेन पर रूसी हमले की वजह से मॉस्को-वाशिंगटन के संबंध बेहद तनावपूर्ण दौर में है. प्रस्ताव के विरोध में एकमात्र रिपब्लिकन सदस्य जोश हॉले थे, जिन्होंने तर्क दिया कि अमेरिका को अपनी मातृभूमि की रक्षा पर ध्यान देना चाहिए और कहा कि वाशिंगटन को यूरोप के बजाय चीन से चुनौती पर ध्यान देना चाहिए. एक सीनेटर, रिपब्लिकन रैंड पॉल ने प्रस्ताव का समर्थन या विरोध करने के बजाय 'वर्तमान (Present)' मतदान किया.
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US Senate approves NATO membership of Finland, Sweden
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बता दें नाटो के सभी 30 सदस्यों की मंजूरी स्वीडन और फिनलैंड के लिए जरूरी है क्योंकि नाटो आम सहमति से निर्णय लेता है. इसके 30 सदस्य देशों में से प्रत्येक के पास सदस्यता मामले में वीटो करने की शक्ति है. नाटो सूची के अनुसार, चेक गणराज्य (Czech Republic), ग्रीस (Greece), हंगरी (Hungary), पुर्तगाल (Portugal), स्लोवाकिया (Slovakia), स्पेन (Spain) और तुर्की (Turkey) ने अभी तक औपचारिक रूप से उनके प्रवेश के लिए सहमति नहीं दी है.
तुर्की ने समर्थन के लिए रखी शर्त
केवल तुर्की ने ही एक चुनौती पेश की है, उसने फिनलैंड (Finland) और स्वीडन (Sweden) से अपनी सदस्यता का समर्थन करने के लिए कुछ शर्तें रखी हैं. अंकारा (Ankara) ने अपने समर्थन के बदले में दोनों देशों से दर्जनों सरकारी विरोधियों के प्रत्यर्पण की मांग की है, जिन्हें वह "आतंकवादी" कहता है.