वाशिंगटन: टिक टॉक के सीईओ शॉ जी च्यू ने बढ़ती सुरक्षा चिंताओं और कंपनी पर चीनी सरकार के संभावित प्रभाव के बीच अमेरिकी कांग्रेस के समक्ष बयान दिए. टिक टॉक के सीईओ को अमेरिका के एक कमेटी के समक्ष पूछताछ का सामना करना पड़ा. सीईओ से करीब चार घंटे तक पूछताछ की गई. इस दौरान उन्होंने कहा कि चीनी प्रौद्योगिकी कंपनी बाइटडांस के स्वामित्व वाले टिक टॉक ऐप ने चीनी सरकार के साथ ऐसा कोई डेटा साझा नहीं किया जिससे किसी तरह का खतरा हो. अमेरिका में टिक टॉक के 150 मिलियन यूजर हैं.
अमेरिकी सांसद डेबी लेस्को ने अपनी पूछताछ के दौरान भारत और अन्य देशों के हवाला दिया. उन्होंने कहा कि भारत समेत कुछ अन्य देशों में किसी न किसी रूप में टिक टॉक पर बैन लगाया है. लेस्को से पूछा,'यह (टिक टॉक) एक ऐसा उपकरण है जो अंततः चीनी सरकार के नियंत्रण में है और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चिंता का विषय है. संबंधित देश और अमेरिका के एफबीआई निदेशक गलत कैसे हो सकते हैं?'
सीईओ ने उन आरोपों को दरकिनार करते हुए कहा कि बहुत सारे आरोप काल्पनिक और सैद्धांतिक जोखिम हैं. मैंने इस बारे में कोई सबूत नहीं देखा है. इस दौरान अमेरिकी सांसद ने एक बार फिर दोहराया और भारत द्वारा लगाए गए बैन पर जोर दिया. अमेरिकी सांसद ने कहा कि भारत ने वर्ष 2020 में टिक टॉक पर प्रतिबंध लगा दिया था. 21 मार्च को फोर्ब्स के एक लेख में खुलासा किया गया था कि कैसे टिक टॉक का इस्तेमाल करने वाले भारतीय नागरिकों का डेटा बीजिंग स्थित पेरेंट कंपनी के कर्मचारियों के लिए आसानी से उपलब्ध था. टिक टॉक के एक कर्मचारी ने फोर्ब्स को यह जानकारी दी थी कि कोई भी व्यक्ति जिसके पास बुनियादी पहुंच है कंपनी के उपकरण किसी भी उपयोगकर्ता के निकटतम संपर्क और अन्य संवेदनशील जानकारी को आसानी जान सकता है.
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च्यू ने जवाब दिया, 'यह एक हालिया लेख है. मैंने अपनी टीम को इसकी जांच के लिए कहा है. हमारे पास डेटा एक्सेस प्रोटोकॉल कठोर हैं. भारत ने गोपनीयता और सुरक्षा चिंताओं को लेकर 2020 में मैसेजिंग ऐप वीचैट सहित टिकटॉक और दर्जनों अन्य चीनी ऐप पर देशव्यापी प्रतिबंध लगा दिया था. भारत की ओर से प्रतिबंध एलएसी पर चीनी सैनिकों के साथ झड़प के तुरंत बाद लगाया गया.
(एएनआई)