न्यूयॉर्क: संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में पश्चिम एशिया में संघर्ष के नए अध्याय पर खुली बहस हुई. भारत की ओर से भी इसमें पक्ष रखा गया. राजदूत आर. रवींद्र ने कहा कि भारत बिगड़ती सुरक्षा स्थिति और चल रहे संघर्ष में नागरिकों के बड़े पैमाने पर नुकसान के बारे में गहराई से चिंतित है. उन्होंने कहा, 'बढ़ता मानवीय संकट भी उतना ही चिंताजनक है.'
संयुक्त राष्ट्र में भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि (डीपीआर) राजदूत आर. रवींद्र ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में फिलिस्तीनी प्रश्न सहित मध्य पूर्व की स्थिति पर खुली बहस में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए यह बयान दिया. उन्होंने कहा कि गाजा पट्टी में नागरिकों के लिए मानवीय सहायता भेजा गया. इस क्षेत्र में 38 टन भोजन और महत्वपूर्ण चिकित्सा उपकरण भेजे गए.
आर. रवींद्र ने कहा,'हम सभी पक्षों से शांति के लिए आवश्यक स्थितियां बनाने और सीधी बातचीत को फिर से शुरू करने की दिशा में काम करने का भी आग्रह करते हैं, जिसमें तनाव और हिंसा कम करना भी शामिल है. क्षेत्र में हमारी उपयोगिताओं की वृद्धि ने गंभीर मानवीय स्थिति को और बढ़ा दिया है. इसने एक बार फिर युद्धविराम की नाजुक प्रकृति को रेखांकित किया है. संयुक्त राष्ट्र में उप स्थायी दूत ने कहा कि इजराइल में 7 अक्टूबर को हुए आतंकवादी हमले चौंकाने वाले थे और भारत ने उनकी स्पष्ट रूप से निंदा की.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले वैश्विक नेताओं में से एक थे जिन्होंने जानमाल के नुकसान पर अपनी संवेदना व्यक्त की और निर्दोष पीड़ितों और उनके परिवारों के लिए प्रार्थना की. रवींद्र ने आगे कहा, 'संकट की इस घड़ी में हम इजराइल के साथ एकजुटता से खड़े हैं. हमने गाजा के अल हाली अस्पताल में लोगों की दुखद क्षति पर भी गहरा दुख व्यक्त किया है, जहां सैकड़ों नागरिक हताहत हुए हैं और हजारों घायल हुए हैं. विश्व निकाय में भारत के उप स्थायी दूत ने कहा, 'पीड़ितों के परिवारों के प्रति हमारी हार्दिक संवेदनाएं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने के लिए प्रार्थना करते हैं.'
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उभरते मानवीय संकट पर ध्यान देने की जरूरत है. हम गाजा के लोगों को मानवीय सामान पहुंचाने और तनाव कम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के प्रयासों का स्वागत करते हैं. उन्होंने कहा, 'इजरायल-फिलिस्तीन मुद्दे के दो-राष्ट्र समाधान के लिए भारत के समर्थन की भी पुष्टि करते हुए उन्होंने कहा इससे फिलिस्तीन के एक संप्रभु, स्वतंत्र और व्यवहार्य राष्ट्र की स्थापना हो सकती है.