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'प्रचंड' को नेपाल का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया, PM मोदी ने दी बधाई

नेपाल में रविवार को तेजी से बदले राजनीतिक घटनाक्रम में सीपीएन-माओवादी सेंटर (सीपीएन-एमसी) के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' को देश का पीएम नियुक्त किया गया. विपक्षी सीपीएन-यूएमएल और अन्य छोटे दल उन्हें समर्थन दे रहे हैं (Prachanda Nepals new Prime Minister). पीएम मोदी ने प्रचंड को बधाई दी है.

Prachanda set to become Nepals next Prime Minister
पुष्प कमल दहल 'प्रचंड'
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Published : Dec 25, 2022, 5:11 PM IST

Updated : Dec 25, 2022, 10:31 PM IST

काठमांडू/नई दिल्ली : नेपाल में रविवार को तेजी से बदलते घटनाक्रमों के बाद राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने सीपीएन-माओवादी सेंटर (सीपीएन-एमसी) के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' को देश का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया (Prachanda Nepals new Prime Minister). दिन भर के राजनीतिक घटनाक्रमों के बीच प्रचंड ने विपक्षी सीपीएन-यूएमएल और अन्य छोटे दलों के समर्थन से नई सरकार के गठन का दावा पेश किया था. नेपाल के राष्ट्रपति कार्यालय के मुताबिक प्रचंड सोमवार को शाम 4 बजे शपथ लेंगे.

  • Warmest congratulations @cmprachanda on being elected as the Prime Minister of Nepal. The unique relationship between India & Nepal is based on deep cultural connect & warm people-to-people ties. I look forward to working together with you to further strengthen this friendship.

    — Narendra Modi (@narendramodi) December 25, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुष्प कमल दहल को नेपाल का पीएम चुने जाने पर बधाई दी. पीएम ने ट्वीट किया, 'भारत और नेपाल के बीच अद्वितीय संबंध गहरे सांस्कृतिक जुड़ाव और लोगों के बीच गर्मजोशी के संबंधों पर आधारित है. मैं इस दोस्ती को और मजबूत करने के लिए आपके साथ मिलकर काम करने की आशा रखता हूं.'

  • #UPDATE | Pushpa Kamal Dahal of Communist Party of Nepal (Maoist Centre) will take oath as the new Prime Minister of Nepal tomorrow at 4pm (local time): Nepal President's office

    — ANI (@ANI) December 25, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

दरअसल संविधान के अनुच्छेद 76(2) के तहत गठबंधन सरकार बनाने के लिए राजनीतिक दलों को राष्ट्रपति बिद्या भंडारी द्वारा दी गई समय सीमा रविवार शाम को समाप्त हो रही थी.

सूत्रों ने बताया कि प्रचंड सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष के पी शर्मा ओली, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) के अध्यक्ष रवि लामिछाने, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के प्रमुख राजेंद्र लिंगडेन सहित अन्य शीर्ष नेताओं के साथ राष्ट्रपति कार्यालय गये और सरकार बनाने का दावा पेश किया.

पूर्व प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली के नेतृत्व वाले सीपीएन-यूएमएल, सीपीएन-एमसी, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) और अन्य छोटे दलों की एक महत्वपूर्ण बैठक यहां हुई, जिसमें सभी दल 'प्रचंड' के नेतृत्व में सरकार बनाने पर सहमत हुए.

प्रस्ताव में 275-सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में 165 सदस्यों के समर्थन का दावा किया गया, जिनमें सीपीएन-यूएमएल के 78, सीपीएन-एमसी के 32, आरएसपी के 20, आरपीपी के 14, जेएसपी के 12, जनमत के छह और नागरिक उन्मुक्ति पार्टी के तीन सदस्य शामिल हैं. सूत्रों ने बताया कि सरकार बनाने का दावा करने वाले पत्र पर 165 सांसदों के हस्ताक्षर थे.

सूत्रों के अनुसार, 68-वर्षीय 'प्रचंड' को नये प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त करने के लिए 'शीतल निवास' स्थित राष्ट्रपति कार्यालय में एक प्रस्ताव पंजीकृत किया गया था.

उन्होंने बताया कि चूंकि प्रधानमंत्री पद के लिए केवल एक प्रस्ताव राष्ट्रपति कार्यालय में दर्ज किया गया था, ऐसे में राष्ट्रपति ने प्रचंड को नये प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त कर दिया. प्रचंड को तीसरी बार नेपाल का प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है.

जानिए राजनीतिक सफर के बारे में : ग्यारह दिसंबर, 1954 को पोखरा के निकट कास्की जिले के धिकुरपोखरी में जन्मे प्रचंड करीब 13 साल तक भूमिगत रहे. वह उस वक्त मुख्यधारा की राजनीति में शामिल हो गए जब सीपीएन-माओवादी ने एक दशक लंबे सशस्त्र विद्रोह का रास्ता त्यागकर शांतिपूर्ण राजनीति का मार्ग अपनाया. उन्होंने 1996 से 2006 तक एक दशक लंबे सशस्त्र संघर्ष का नेतृत्व किया था, जो अंततः नवंबर 2006 में व्यापक शांति समझौते पर हस्ताक्षर के साथ समाप्त हुआ.

बारी-बारी से पीएम बनने पर सहमति : इससे पहले ओली के आवास बालकोट पर बैठक आयोजित हुई, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री ओली के अलावा प्रचंड तथा अन्य छोटे दलों के नेताओं ने प्रचंड के नेतृत्व में सरकार बनाने पर सहमति जताई. प्रचंड और ओली के बीच बारी-बारी से (रोटेशन के आधार पर) सरकार का नेतृत्व करने के लिए सहमति बनी है और प्रचंड को पहले प्रधानमंत्री बनाने पर ओली ने अपनी रजामंदी जताई.

सीपीएन-यूएमएल के महासचिव शंकर पोखरेल ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा था, 'चूंकि सबसे बड़ी पार्टी के रूप में नेपाली कांग्रेस राष्ट्रपति की ओर से दी गई समय सीमा के भीतर संविधान के अनुच्छेद 76(2) के अनुसार अपने नेतृत्व में सरकार बनाने में विफल रही, इसलिए अब सीपीएन-यूएमएल ने 165 सांसदों के समर्थन से प्रचंड के नेतृत्व में नई सरकार बनाने की पहल की है.'

गठबंधन टूटा : इससे पहले, आज सुबह प्रधानमंत्री एवं नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा और सीपीएन-एमसी के बीच सत्ता-साझेदारी पर सहमति न बन पाने के बाद प्रचंड पांच दलों के गठबंधन से बाहर आ गये थे, क्योंकि देउबा ने पांच-वर्षीय कार्यकाल के पूर्वार्द्ध में प्रधानमंत्री बनने की प्रचंड की शर्त खारिज कर दी थी. देउबा और प्रचंड पहले बारी-बारी से नई सरकार का नेतृत्व करने के लिए मौन सहमति पर पहुंचे थे.

माओवादी सूत्रों ने बताया कि रविवार सुबह प्रचंड के साथ बातचीत के दौरान नेपाली कांग्रेस (नेकां) ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों प्रमुख पदों के लिए दावा किया था, जिसे प्रचंड ने खारिज कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप वार्ता विफल हो गई. नेकां ने माओवादी पार्टी को अध्यक्ष (स्पीकर) पद की पेशकश की, जिसे प्रचंड ने खारिज कर दिया.

इससे पहले दिन के पूर्वार्द्ध में सीपीएन-एमसी के सचिव गणेश शाह ने कहा, 'अब गठबंधन टूट गया है, क्योंकि देउबा और प्रचंड के बीच अंतिम समय में हुई बातचीत बेनतीजा रही.'

प्रधानमंत्री देउबा के साथ बातचीत विफल होने के बाद प्रचंड प्रधानमंत्री बनने के लिए समर्थन मांगने के वास्ते सीपीएन-यूएमएल अध्यक्ष के. पी. शर्मा ओली के निजी आवास पहुंचे, जिसमें अन्य छोटे दलों के नेताओं ने भी हिस्सा लिया. प्रतिनिधिसभा में 89 सीट के साथ नेपाली कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी है, जबकि सीपीएन-यूएमएल और सीपीएन-एमसी के पास क्रमश: 78 और 32 सीट हैं.

प्रचंड के अलावा जनता समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र यादव, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के अध्यक्ष राजेंद्र लिंगडेन और राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के अध्यक्ष रवि लामिछाने भी संयुक्त बैठक में भाग लेने के लिए ओली के आवास पर पहुंचे थे. दो सौ पचहत्तर सदस्यों वाली प्रतिनिधि सभा में किसी भी दल के पास सरकार बनाने के लिए अकेले के दम पर आवश्यक 138 सीट नहीं हैं।

यदि राजनीतिक दल समय सीमा के भीतर सरकार बनाने में विफल रहते, तो उनके (राजनीतिक दलों के) अनुरोध पर राष्ट्रपति या तो समय सीमा बढ़ातीं या वह संविधान के अनुच्छेद 76(3) के तहत सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करतीं. ऐसे में प्रधानमंत्री को 30 दिनों के भीतर प्रतिनिधि सभा में बहुमत साबित करना होता.

नवगठित राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) को 20, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी को 14, जनता समाजवादी पार्टी (जेएसपी) को 12 और जनमत पार्टी को छह सीट मिली हैं. सीपीएन (यूनिफाइड सोशलिस्ट) के पास 10 सीट हैं, लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी (एलएसपी) के पास चार और नागरिक उन्मुक्ति पार्टी के पास तीन सीट हैं. राष्ट्रीय जनमोर्चा और नेपाल वर्कर्स एंड पीजेंट्स पार्टी के पास एक-एक सीट है. निचले सदन में पांच निर्दलीय सदस्य हैं.

पढ़ें- नेपाल में सरकार के गठन में देरी होने की संभावना, राजनीतिक दल गतिरोध खत्म करने में विफल रहे

(भाषा इनपुट के साथ)

काठमांडू/नई दिल्ली : नेपाल में रविवार को तेजी से बदलते घटनाक्रमों के बाद राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने सीपीएन-माओवादी सेंटर (सीपीएन-एमसी) के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' को देश का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया (Prachanda Nepals new Prime Minister). दिन भर के राजनीतिक घटनाक्रमों के बीच प्रचंड ने विपक्षी सीपीएन-यूएमएल और अन्य छोटे दलों के समर्थन से नई सरकार के गठन का दावा पेश किया था. नेपाल के राष्ट्रपति कार्यालय के मुताबिक प्रचंड सोमवार को शाम 4 बजे शपथ लेंगे.

  • Warmest congratulations @cmprachanda on being elected as the Prime Minister of Nepal. The unique relationship between India & Nepal is based on deep cultural connect & warm people-to-people ties. I look forward to working together with you to further strengthen this friendship.

    — Narendra Modi (@narendramodi) December 25, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुष्प कमल दहल को नेपाल का पीएम चुने जाने पर बधाई दी. पीएम ने ट्वीट किया, 'भारत और नेपाल के बीच अद्वितीय संबंध गहरे सांस्कृतिक जुड़ाव और लोगों के बीच गर्मजोशी के संबंधों पर आधारित है. मैं इस दोस्ती को और मजबूत करने के लिए आपके साथ मिलकर काम करने की आशा रखता हूं.'

  • #UPDATE | Pushpa Kamal Dahal of Communist Party of Nepal (Maoist Centre) will take oath as the new Prime Minister of Nepal tomorrow at 4pm (local time): Nepal President's office

    — ANI (@ANI) December 25, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

दरअसल संविधान के अनुच्छेद 76(2) के तहत गठबंधन सरकार बनाने के लिए राजनीतिक दलों को राष्ट्रपति बिद्या भंडारी द्वारा दी गई समय सीमा रविवार शाम को समाप्त हो रही थी.

सूत्रों ने बताया कि प्रचंड सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष के पी शर्मा ओली, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) के अध्यक्ष रवि लामिछाने, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के प्रमुख राजेंद्र लिंगडेन सहित अन्य शीर्ष नेताओं के साथ राष्ट्रपति कार्यालय गये और सरकार बनाने का दावा पेश किया.

पूर्व प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली के नेतृत्व वाले सीपीएन-यूएमएल, सीपीएन-एमसी, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) और अन्य छोटे दलों की एक महत्वपूर्ण बैठक यहां हुई, जिसमें सभी दल 'प्रचंड' के नेतृत्व में सरकार बनाने पर सहमत हुए.

प्रस्ताव में 275-सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में 165 सदस्यों के समर्थन का दावा किया गया, जिनमें सीपीएन-यूएमएल के 78, सीपीएन-एमसी के 32, आरएसपी के 20, आरपीपी के 14, जेएसपी के 12, जनमत के छह और नागरिक उन्मुक्ति पार्टी के तीन सदस्य शामिल हैं. सूत्रों ने बताया कि सरकार बनाने का दावा करने वाले पत्र पर 165 सांसदों के हस्ताक्षर थे.

सूत्रों के अनुसार, 68-वर्षीय 'प्रचंड' को नये प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त करने के लिए 'शीतल निवास' स्थित राष्ट्रपति कार्यालय में एक प्रस्ताव पंजीकृत किया गया था.

उन्होंने बताया कि चूंकि प्रधानमंत्री पद के लिए केवल एक प्रस्ताव राष्ट्रपति कार्यालय में दर्ज किया गया था, ऐसे में राष्ट्रपति ने प्रचंड को नये प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त कर दिया. प्रचंड को तीसरी बार नेपाल का प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है.

जानिए राजनीतिक सफर के बारे में : ग्यारह दिसंबर, 1954 को पोखरा के निकट कास्की जिले के धिकुरपोखरी में जन्मे प्रचंड करीब 13 साल तक भूमिगत रहे. वह उस वक्त मुख्यधारा की राजनीति में शामिल हो गए जब सीपीएन-माओवादी ने एक दशक लंबे सशस्त्र विद्रोह का रास्ता त्यागकर शांतिपूर्ण राजनीति का मार्ग अपनाया. उन्होंने 1996 से 2006 तक एक दशक लंबे सशस्त्र संघर्ष का नेतृत्व किया था, जो अंततः नवंबर 2006 में व्यापक शांति समझौते पर हस्ताक्षर के साथ समाप्त हुआ.

बारी-बारी से पीएम बनने पर सहमति : इससे पहले ओली के आवास बालकोट पर बैठक आयोजित हुई, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री ओली के अलावा प्रचंड तथा अन्य छोटे दलों के नेताओं ने प्रचंड के नेतृत्व में सरकार बनाने पर सहमति जताई. प्रचंड और ओली के बीच बारी-बारी से (रोटेशन के आधार पर) सरकार का नेतृत्व करने के लिए सहमति बनी है और प्रचंड को पहले प्रधानमंत्री बनाने पर ओली ने अपनी रजामंदी जताई.

सीपीएन-यूएमएल के महासचिव शंकर पोखरेल ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा था, 'चूंकि सबसे बड़ी पार्टी के रूप में नेपाली कांग्रेस राष्ट्रपति की ओर से दी गई समय सीमा के भीतर संविधान के अनुच्छेद 76(2) के अनुसार अपने नेतृत्व में सरकार बनाने में विफल रही, इसलिए अब सीपीएन-यूएमएल ने 165 सांसदों के समर्थन से प्रचंड के नेतृत्व में नई सरकार बनाने की पहल की है.'

गठबंधन टूटा : इससे पहले, आज सुबह प्रधानमंत्री एवं नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा और सीपीएन-एमसी के बीच सत्ता-साझेदारी पर सहमति न बन पाने के बाद प्रचंड पांच दलों के गठबंधन से बाहर आ गये थे, क्योंकि देउबा ने पांच-वर्षीय कार्यकाल के पूर्वार्द्ध में प्रधानमंत्री बनने की प्रचंड की शर्त खारिज कर दी थी. देउबा और प्रचंड पहले बारी-बारी से नई सरकार का नेतृत्व करने के लिए मौन सहमति पर पहुंचे थे.

माओवादी सूत्रों ने बताया कि रविवार सुबह प्रचंड के साथ बातचीत के दौरान नेपाली कांग्रेस (नेकां) ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों प्रमुख पदों के लिए दावा किया था, जिसे प्रचंड ने खारिज कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप वार्ता विफल हो गई. नेकां ने माओवादी पार्टी को अध्यक्ष (स्पीकर) पद की पेशकश की, जिसे प्रचंड ने खारिज कर दिया.

इससे पहले दिन के पूर्वार्द्ध में सीपीएन-एमसी के सचिव गणेश शाह ने कहा, 'अब गठबंधन टूट गया है, क्योंकि देउबा और प्रचंड के बीच अंतिम समय में हुई बातचीत बेनतीजा रही.'

प्रधानमंत्री देउबा के साथ बातचीत विफल होने के बाद प्रचंड प्रधानमंत्री बनने के लिए समर्थन मांगने के वास्ते सीपीएन-यूएमएल अध्यक्ष के. पी. शर्मा ओली के निजी आवास पहुंचे, जिसमें अन्य छोटे दलों के नेताओं ने भी हिस्सा लिया. प्रतिनिधिसभा में 89 सीट के साथ नेपाली कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी है, जबकि सीपीएन-यूएमएल और सीपीएन-एमसी के पास क्रमश: 78 और 32 सीट हैं.

प्रचंड के अलावा जनता समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र यादव, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के अध्यक्ष राजेंद्र लिंगडेन और राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के अध्यक्ष रवि लामिछाने भी संयुक्त बैठक में भाग लेने के लिए ओली के आवास पर पहुंचे थे. दो सौ पचहत्तर सदस्यों वाली प्रतिनिधि सभा में किसी भी दल के पास सरकार बनाने के लिए अकेले के दम पर आवश्यक 138 सीट नहीं हैं।

यदि राजनीतिक दल समय सीमा के भीतर सरकार बनाने में विफल रहते, तो उनके (राजनीतिक दलों के) अनुरोध पर राष्ट्रपति या तो समय सीमा बढ़ातीं या वह संविधान के अनुच्छेद 76(3) के तहत सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करतीं. ऐसे में प्रधानमंत्री को 30 दिनों के भीतर प्रतिनिधि सभा में बहुमत साबित करना होता.

नवगठित राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) को 20, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी को 14, जनता समाजवादी पार्टी (जेएसपी) को 12 और जनमत पार्टी को छह सीट मिली हैं. सीपीएन (यूनिफाइड सोशलिस्ट) के पास 10 सीट हैं, लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी (एलएसपी) के पास चार और नागरिक उन्मुक्ति पार्टी के पास तीन सीट हैं. राष्ट्रीय जनमोर्चा और नेपाल वर्कर्स एंड पीजेंट्स पार्टी के पास एक-एक सीट है. निचले सदन में पांच निर्दलीय सदस्य हैं.

पढ़ें- नेपाल में सरकार के गठन में देरी होने की संभावना, राजनीतिक दल गतिरोध खत्म करने में विफल रहे

(भाषा इनपुट के साथ)

Last Updated : Dec 25, 2022, 10:31 PM IST
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