जिनेवा (स्विट्जरलैंड) : संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के 52वें सत्र में पाकिस्तान की सरकार पर लगातार मानवाधिकार हनन के गंभीर आरोप लग रहे हैं. पाक के कब्जे वाले कश्मीर और बालटिस्तान के बाद अब एक और राजनीतिक और मानवाधिकार कार्यकर्ता ने यूएनएचआरसी के समक्ष पाकिस्तान में मानवाधिकारों से संबंधित एक मामला उठाया है. एक सिंधी राजनीतिक कार्यकर्ता ने यूएनएचआरसी को तत्काल लाखों सिंधी बाढ़ पीड़ितों की ध्यान देने का आग्रह किया है.
उन्होंने यूएनएचआरसी के 52वें सत्र में कहा कि लाखों सिंधी बाढ़ पीड़ितों की ओर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है. उन्हें पाकिस्तान सरकार ने पूरी तरह से छोड़ दिया है. वे अनिश्चित और भयावह मानवीय परिस्थितियों में रह रहे हैं. यूएनएचआरसी के 52वें सत्र को वर्ल्ड सिंधी कांग्रेस के महासचिव लखू लुहाना संबोधित कर रहे थे. उन्होंने अपने संबोधन के दौरान कहा कि साल 2022 में आई बाढ़ ने पाकिस्तान में 3 करोड़ लोगों को विस्थापित होने के लिए मजबूर कर दिया. वे आज भी बेघर जिंदगी जी रहे हैं.
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इससे प्रभावित होने वालों की संख्या कहीं ज्यादा है. लुहाना ने कहा कि भीषण बाढ़ और मूसलाधार बारिश से अभूतपूर्व तबाही हुई है. इसमें सिंध प्रांत के 70 प्रतिशत से अधिक लोगों को नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि सिर्फ सिंध में 2 करोड़ लोग बाढ़ से प्रभावित हुए. इनमें 80 लाख से अधिक लोग बेघर हो गए हैं. लखू लुहाना ने यूएनएचआरसी के समक्ष कहा कि हम ईमानदारी से मानते हैं कि इस त्रासदी के बाद प्रभावित लोगों की बदहाली और उनकी अमानवीय परिस्थितियों में जीने की मजबूरी का एकमात्र कारण जलवायु परिवर्तन नहीं है.
उन्होंने कहा कि इसके पीछे पाकिस्तान की भेदभाव करने वाली और भ्रष्टाचार-ग्रस्त प्रशासन एक बड़ा कराण है. बाढ़ के छह महीने बाद भी सिंध प्रांत के लाखों लोग खुले आसामन में या अस्थायी साधनों के बीच रातें गुजार रहे हैं. आर्थिक रूप से तबाह हो चुके लाखों लोग अपने भविष्य को लेकर भी अनिश्चित हैं. वह कुपोषण और बीमारी के शिकार हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि इन सब परेशानियों से जूझते हुए हजारों सिंधी लोग अकाल मृत्यु के शिकार हो चुके हैं.
लखू लुहाना ने पाकिस्तान की सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाये. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की सरकार अंतरराष्ट्रीय सहायता प्राप्त करने के लिए सिंधी लोगों के दुखों को भुनाने की कोशिश कर रहा है. लेकिन ना तो पाकिस्तान की केंद्र सरकार और ना ही प्रांतीय सरकारों की नीतियों में ऐसी कोई नीयत नजर आ रही है. उन्होंने कहा कि सराकारें शहरों, कस्बों और गांवों के सिंधी लोगों के जीवन का पुनर्निर्माण नहीं करना चाहती हैं.
इसलिए, हम संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अनुरोध करते हैं कि बाढ़ के बाद सिंधी लोगों की स्थिति की गहन अंतरराष्ट्रीय जांच की जाए. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को बाढ़ राहत के लिए जो भी धन मिल रहा है उसका प्रबंधन संयुक्त राष्ट्र खुद करे.
(एएनआई)