इस्लामाबाद : पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश उमर अता बांदियाल ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान का उच्चतम न्यायालय में स्वागत करने के लिए हुई उनकी आलोचनाओं पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह अदालती शिष्टाचार के तहत था और इसके कोई राजनीतिक निहितार्थ नहीं थे.
दरअसल इमरान खान की अल कादिर ट्रस्ट भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तारी के बाद उनके समर्थकों ने हिंसक प्रदर्शन किया था. खान को उच्चतम न्यायालय में पेश किया गया था जहां बांदियाल ने उनसे कहा था 'आपको देख कर अच्छा लगा' (Good to see you Imran Khan) इसके बाद प्रधान न्यायाधीश की सत्तारूढ़ दल ने निंदा की थी.
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की ओर से आयोजित मंत्रिमंडल की एक बैठक में शरीफ ने कहा था कि जिस प्रकार से बांदियाल ने खान का स्वागत किया, वह देश की न्याय पालिका पर एक धब्बा है. इस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा, 'खान का स्वागत करने के लिए मेरी आलोचना की जा रही है, हालांकि मैं इस वाक्य का अक्सर इस्तेमाल करता हूं.' जिओ न्यूज ने अपनी एक रिपोर्ट में प्रधान न्यायाधीश के हवाले से कहा, 'मैं सभी को सम्मान की दृष्टि देखता हूं क्योंकि सम्मान सभी के लिए अहम है.'
समाचार पत्र 'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' ने अपनी खबर में प्रधान न्यायाधीश के हवाले से कहा, 'प्रत्येक व्यक्ति सम्मान और अच्छा बर्ताव पाने का हकदार है.' पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने खान की जमानत शुक्रवार को मंजूर कर ली थी. खान (70) को मंगलवार को इस्लामाबाद उच्च न्यायालय परिसर से गिरफ्तार किया गया था और जवाबदेही अदालत ने उन्हें अल-कादिर ट्रस्ट भ्रष्टाचार मामले में आठ दिन के लिए राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) की हिरासत में भेज दिया था.
पाक हाईकोर्ट ने दो मामलों में इमरान की जमानत 8 जून तक बढ़ाई: उधर, पाकिस्तान के एक उच्च न्यायालय ने मंगलवार को पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की जमानत की अवधि आठ जून तक बढ़ा दी है. इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (IHC) की एकल पीठ ने राज्य के संस्थानों के शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ आरोपों और खान के समर्थकों द्वारा पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) के नेता मोहसिन रांझा के साथ बदसलूकी से संबंधित मामलों की सुनवाई की.
मुख्य न्यायाधीश आमेर फारूक ने वकीलों की दलीलें सुनने के बाद पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) प्रमुख की जमानत 8 जून तक बढ़ा दी. अदालत द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री को दिन के लिए अदालत में पेशी से छूट देने के बाद यह विस्तार दिया गया. न्यायमूर्ति फारूक ने अदालत परिसर से खान की गिरफ्तारी से संबंधित प्रथम सूचना रिपोर्ट के पंजीकरण के बारे में भी पूछताछ की. अटॉर्नी जनरल ने जवाब दिया कि मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला लंबित है.
पिछले हफ्ते, IHC ने 70 वर्षीय खान को जमानत दे दी थी, अधिकारियों को 9 मई से आगे दर्ज सभी मामलों में उन्हें गिरफ्तार करने से रोक दिया था.उन्हें 15 मई को और राहत के लिए लाहौर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को कहा था. हालांकि उन्होंने आरोप लगाया था कि सभी मामले राजनीति से प्रेरित हैं.
गिरफ्तारी से बचने के लिए दौड़कर अदालत में घुसे पाकिस्तान के पूर्व मंत्री फवाद चौधरी: उधर, पाकिस्तान के पूर्व सूचना मंत्री फवाद चौधरी मंगलवार को दोबारा गिरफ्तारी से बचने के लिए अपनी जान की बाजी लगाते हुए यहां उच्च न्यायालय की इमारत में घुस गए.
पिछले सप्ताह पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद उनकी पार्टी के समर्थकों के हिंसक विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर सार्वजनिक व्यवस्था के रखरखाव के तहत पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के नेता चौधरी को हिरासत में लिया गया था, और उन्होंने इस मामले में रिहा किए जाने के लिए इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (आईएचसी) में याचिका दायर की थी.
न्यायमूर्ति मियांगुल हसन औरंगजेब की अदालत में सुनवाई के दौरान चौधरी ने हलफनामा दिया कि वह किसी भी हिंसक विरोध प्रदर्शन में भाग नहीं लेंगे, इसके बाद अदालत ने उन्हें रिहा करने का आदेश दिया. इससे उत्साहित चौधरी अदालत की ओर से लिखित आदेश जारी होने से पहले ही वहां से जाने लगे. इसके बाद जब वह अपनी कार में बैठकर घर जाने लगे तो उन्हें लगा कि पुलिस अधिकारी उनका पीछा कर रहे हैं.
टीवी फुटेज में चौधरी को वाहन से बाहर निकलकर अदालत भवन के प्रवेश द्वार की ओर दौड़ते हुए देखा गया. जब एक वकील उनकी मदद के लिए आया तो उन्हें झुकते और हांफते देखा गया.
पढ़ें- Pakistan Politics : लाहौर हाई कोर्ट ने इमरान खान की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा
(PTI)