न्यूयॉर्क: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद एआरआरआईए फॉर्मूला बैठक में वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए देश के योगदान पर प्रकाश डालते हुए भारत की प्रथम सचिव स्नेहा दुबे ने गुरुवार को कहा कि यह एक बुनियादी न्यूनतम आवश्यकता है. खासकर जब दुनिया COVID-19 महामारी और चल रहे संघर्षों के प्रभावों घिरी हुई है.
संघर्ष और भूख पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद एआरआरआईए फॉर्मूला बैठक में स्नेहा दुबे ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत ने म्यांमार, अफगानिस्तान, लेबनान, सूडान और दक्षिण सूडान सहित कई देशों को खाद्य सहायता प्रदान की है. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में बिगड़ती मानवीय स्थिति को देखते हुए भारत ने 50,000 मीट्रिक टन गेहूं दान करने का फैसला किया है.
दुबे ने कहा, 'इसी तरह भारत ने म्यांमार के लिए अपना मानवीय समर्थन जारी रखा है, जिसमें 10,000 टन चावल और गेहूं का अनुदान भी शामिल है.' भारत की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि देश संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों सहित वैश्विक खाद्य सुरक्षा को सामूहिक रूप से मजबूत करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सहित अन्य सभी सदस्य-राष्ट्रों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ काम करना जारी रखेगा.
उन्होंने यह भी कहा कि सशस्त्र संघर्ष और आतंकवाद के साथ खराब मौसम की स्थिति, खाद्य मूल्य में अस्थिरता, राजनीतिक बहिष्कार और आर्थिक झटके किसी भी नाजुक देश को तबाह कर सकते हैं. आर्थिक विकास को और नष्ट कर सकते हैं जिसके परिणामस्वरूप अकाल का खतरा बढ़ सकता है. खाद्य निर्यात को लेकर मानवीय सहायता के लिए महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के आह्वान का स्वागत करते हुए भारत ने कहा कि यूक्रेन संघर्ष से उत्पन्न खाद्य सुरक्षा चुनौतियों के लिए हमें रचनात्मक प्रतिक्रिया देने की आवश्यकता है.
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बढ़ती कमी को केवल उन बाधाओं से परे जाकर दूर किया जा सकता है जो हमें वर्तमान में बांधती हैं. इस बीच, भारत वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध है और वर्षों से विभिन्न मानवीय संकटों को लेकर संयुक्त राष्ट्र के केंद्रीय आपातकालीन प्रतिक्रिया कोष (CERF) और मानवीय मामलों के समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNOCHA) में योगदान दिया है. भारत के प्रथम सचिव ने कहा कि वर्ष 2023 को 'अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष' घोषित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव की अगुवाई का उद्देश्य खाद्य सुरक्षा चुनौतियों का समाधान करना है.
(एएनआई)