ETV Bharat / international

भारत 2030 तक 30 प्रतिशत भूमि और जल संरक्षित करने का लक्ष्य हासिल कर सकता है : सीओपी15 प्रतिनिधि - कनाडा में सीओपी15 जैव विविधता सम्मेलन

कनाडा के मॉन्ट्रियल में जैव विविधता पर संयुक्त राष्ट्र की संधि के लिए पक्षकारों के सम्मेलन की 15वीं बैठक (सीओपी15) चल रही है.

India can achieve 30% land and water conservation target by 2030: COP15 delegates
भारत 2030 तक 30 प्रतिशत भूमि और जल संरक्षित करने का लक्ष्य हासिल कर सकता है : सीओपी15 प्रतिनिधिEtv Bharat
author img

By

Published : Dec 13, 2022, 12:11 PM IST

मॉन्ट्रियल: कनाडा में सीओपी15 जैव विविधता सम्मेलन में भारत की नुमाइंदगी कर रहे एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारत का करीब 27 फीसदी क्षेत्र संरक्षित है और वह 2030 तक 30 प्रतिशत भूमि और जल की रक्षा के लक्ष्य को आसानी से हासिल कर सकता है. कनाडा के मॉन्ट्रियल में जैव विविधता पर संयुक्त राष्ट्र की संधि के लिए पक्षकारों के सम्मेलन की 15वीं बैठक (सीओपी15) चल रही है.

राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (एनबीए) के सचिव जे. जस्टिन मोहन ने कहा कि भारत 113 देशों के 'हाई एम्बिशन कोलिशन' (एचएसी) का सदस्य है जिसका मकसद 30 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र को 2030 तक संरक्षित करना है. इसे 30 गुणा 30 लक्ष्य के रूप में भी जाना जाता है. मोहन ने एजेंसी से कहा, 'संरक्षित वन, राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभयारण्य, मैनग्रोव, रामसर स्थल, पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील क्षेत्र और सामुदायिक रूप से संरक्षित क्षेत्र समेत भारत ने पहले ही करीब 27 फीसदी क्षेत्र संरक्षित कर लिया है.'

उन्होंने कहा, 'अब हम जैव विविधता धरोहर स्थल और अन्य प्रभावी संरक्षण उपायों (ओईसीएमएस) के जरिए और अधिक इलाकों को संरक्षण के तहत लाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. भारत 2030 में आसानी से ‘30 गुणा 30’ का लक्ष्य हासिल कर सकता है.' ओईसीएमएस वे इलाके होते हैं जो निजी तथा सार्वजनिक संस्थाओं द्वारा संरक्षित होते हैं.

मोहन ने कहा, 'भारत में ओईसीएमएस के लिए असीम संभावना है और इससे अपने 30 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र को संरक्षित करने के हमारे लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी.' भारत के राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (एनबीए) के पूर्व अध्यक्ष विनोद माथुर ने कहा कि भारत ने ओईसीएमएस को परिभाषित करने के लिए 14 श्रेणी की वर्गीकरण प्रणाली बनायी है.

माथुर ने कहा, 'इन्हें तीन व्यापक समूहों -क्षेत्रीय, जलाशयों और समुद्री इलाकों के तहत वर्गीकृत किया गया है.' उन्होंने कहा कि हालांकि, इन ओईसीएमएस को संरक्षित करने के लिए स्थानीय समुदाय को जागरूक करने की आवश्यकता है. मोहन ने कहा, 'भारत के पास सभी स्थानीय निकाय में स्थापित 2,77,123 जैव विविधता प्रबंधन समितियां हैं। हमारी वन्य पारिस्थितिकी के बाहर और इलाकों को जैवविविधता धरोहर स्थलों के तहत लाने की असीम संभावना है.'

ये भी पढ़ें- जयशंकर यूएई में इंडिया ग्लोबल फोरम यूएई का उद्घाटन करेंगे

उन्होंने कहा, 'ये इलाके औषधीय पौधों और पक्षी से समृद्ध हो सकते है. ये संरक्षित किए जाने पर इलाके में पारिस्थितिकी के प्रबंधन में मदद करेंगे और पर्यटन की संभावना बढ़ाएंगे, जिससे इलाके में रोजगार के अवसर पैदा होंगे.' संरक्षित क्षेत्रों का विस्तार करते हुए स्वदेशी समुदायों के अधिकारों की रक्षा के बारे में पूछे जाने पर मोहन ने कहा कि 2002 का जैविक विविधता कानून अन्य वन्य कानूनों के साथ सौहार्द्रपूर्ण तरीके से काम करता है जिससे स्वदेशी समुदायों की आजीविका में मदद मिलती है.

वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) में शासन, कानून और नीति की निदेशक विशेष उप्पल ने कहा कि भारत जैसे देश में आदिवासी और स्थानीय समुदायों के प्रयासों को पहचानने तथा उनका समर्थन करना भी अहम है जो सामुदायिक संरक्षित इलाके बनाकर आर्द्र भूमि, वन और तटों का संरक्षण करते रहे हैं.

(पीटीआई-भाषा)

मॉन्ट्रियल: कनाडा में सीओपी15 जैव विविधता सम्मेलन में भारत की नुमाइंदगी कर रहे एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारत का करीब 27 फीसदी क्षेत्र संरक्षित है और वह 2030 तक 30 प्रतिशत भूमि और जल की रक्षा के लक्ष्य को आसानी से हासिल कर सकता है. कनाडा के मॉन्ट्रियल में जैव विविधता पर संयुक्त राष्ट्र की संधि के लिए पक्षकारों के सम्मेलन की 15वीं बैठक (सीओपी15) चल रही है.

राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (एनबीए) के सचिव जे. जस्टिन मोहन ने कहा कि भारत 113 देशों के 'हाई एम्बिशन कोलिशन' (एचएसी) का सदस्य है जिसका मकसद 30 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र को 2030 तक संरक्षित करना है. इसे 30 गुणा 30 लक्ष्य के रूप में भी जाना जाता है. मोहन ने एजेंसी से कहा, 'संरक्षित वन, राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभयारण्य, मैनग्रोव, रामसर स्थल, पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील क्षेत्र और सामुदायिक रूप से संरक्षित क्षेत्र समेत भारत ने पहले ही करीब 27 फीसदी क्षेत्र संरक्षित कर लिया है.'

उन्होंने कहा, 'अब हम जैव विविधता धरोहर स्थल और अन्य प्रभावी संरक्षण उपायों (ओईसीएमएस) के जरिए और अधिक इलाकों को संरक्षण के तहत लाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. भारत 2030 में आसानी से ‘30 गुणा 30’ का लक्ष्य हासिल कर सकता है.' ओईसीएमएस वे इलाके होते हैं जो निजी तथा सार्वजनिक संस्थाओं द्वारा संरक्षित होते हैं.

मोहन ने कहा, 'भारत में ओईसीएमएस के लिए असीम संभावना है और इससे अपने 30 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र को संरक्षित करने के हमारे लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी.' भारत के राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (एनबीए) के पूर्व अध्यक्ष विनोद माथुर ने कहा कि भारत ने ओईसीएमएस को परिभाषित करने के लिए 14 श्रेणी की वर्गीकरण प्रणाली बनायी है.

माथुर ने कहा, 'इन्हें तीन व्यापक समूहों -क्षेत्रीय, जलाशयों और समुद्री इलाकों के तहत वर्गीकृत किया गया है.' उन्होंने कहा कि हालांकि, इन ओईसीएमएस को संरक्षित करने के लिए स्थानीय समुदाय को जागरूक करने की आवश्यकता है. मोहन ने कहा, 'भारत के पास सभी स्थानीय निकाय में स्थापित 2,77,123 जैव विविधता प्रबंधन समितियां हैं। हमारी वन्य पारिस्थितिकी के बाहर और इलाकों को जैवविविधता धरोहर स्थलों के तहत लाने की असीम संभावना है.'

ये भी पढ़ें- जयशंकर यूएई में इंडिया ग्लोबल फोरम यूएई का उद्घाटन करेंगे

उन्होंने कहा, 'ये इलाके औषधीय पौधों और पक्षी से समृद्ध हो सकते है. ये संरक्षित किए जाने पर इलाके में पारिस्थितिकी के प्रबंधन में मदद करेंगे और पर्यटन की संभावना बढ़ाएंगे, जिससे इलाके में रोजगार के अवसर पैदा होंगे.' संरक्षित क्षेत्रों का विस्तार करते हुए स्वदेशी समुदायों के अधिकारों की रक्षा के बारे में पूछे जाने पर मोहन ने कहा कि 2002 का जैविक विविधता कानून अन्य वन्य कानूनों के साथ सौहार्द्रपूर्ण तरीके से काम करता है जिससे स्वदेशी समुदायों की आजीविका में मदद मिलती है.

वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) में शासन, कानून और नीति की निदेशक विशेष उप्पल ने कहा कि भारत जैसे देश में आदिवासी और स्थानीय समुदायों के प्रयासों को पहचानने तथा उनका समर्थन करना भी अहम है जो सामुदायिक संरक्षित इलाके बनाकर आर्द्र भूमि, वन और तटों का संरक्षण करते रहे हैं.

(पीटीआई-भाषा)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.