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भारत ने यूक्रेनी क्षेत्रों के अवैध कब्जे संबंधी मसौदा प्रस्ताव पर नहीं किया मतदान - रूस यूक्रेन युद्ध

रूस (Russia) के अवैध तथाकथित जनमत संग्रह और यूक्रेन के दोनेत्स्क, खेरसॉन, लुहान्स्क और जापोरिज्जिया क्षेत्रों पर उसके कब्जे की निंदा की गई है, लेकिन भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) में उस मसौदा प्रस्ताव में मतदान करने से इनकार कर दिया.

भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कम्बोजो
भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कम्बोजो
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Published : Oct 13, 2022, 4:37 PM IST

संयुक्त राष्ट्र: भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) में उस मसौदा प्रस्ताव पर मतदान में भाग नहीं लिया, जिसमें रूस (Russia) के अवैध तथाकथित जनमत संग्रह और यूक्रेन के दोनेत्स्क, खेरसॉन, लुहान्स्क और जापोरिज्जिया क्षेत्रों पर उसके कब्जे की निंदा की गई है. भारत ने कहा कि उसका यह फैसला अच्छी तरह से सोच विचार के बाद अपनाए गए राष्ट्रीय रुख के अनुरूप है और देश बातचीत और कूटनीति के माध्यम से शांतिपूर्ण समाधान के महत्व को रेखांकित करते हुए तनाव कम करने के उद्देश्य से सभी प्रयासों का समर्थन करने के लिए तैयार है.

कुल 193 सदस्यीय महासभा ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यूक्रेन की मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर के क्षेत्रों में अवैध तथाकथित जनमत संग्रह (Referendum) और यूक्रेन के दोनेत्स्क, खेरसॉन, लुहान्स्क और जापोरिज्जिया क्षेत्रों पर अवैध कब्जे के प्रयास की निंदा करने के समर्थन में मतदान किया. कुल 143 देशों ने 'यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता: संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों का बचाव' प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जबकि रूस, बेलारूस, उत्तर कोरिया, सीरिया और निकारागुआ ने इसके खिलाफ मतदान किया.

भारत समेत 35 देश इस मतदान में शामिल नहीं हुए. प्रस्ताव पारित होने के बाद यूएनजीए में सभी ने तालियां बजाकर इस कदम का स्वागत (India abstains on UNGA resolution) किया. मसौदा प्रस्ताव पर मतदान में शामिल नहीं होने के बाद, संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा काम्बोज (India's Permanent Representative Ruchira Kamboj) ने कहा कि भारत ने आग्रह किया कि शत्रुता को तत्काल समाप्त करने और बातचीत एवं कूटनीति के रास्ते पर तत्काल वापसी के लिए सभी प्रयास किए जाएं.

काम्बोज ने कहा कि 'शांति के मार्ग के लिए हमें कूटनीति के सभी माध्यमों को खुला रखने की आवश्यकता है, इसलिए हम तत्काल युद्धविराम और संघर्ष का समाधान करने के लिए शांति वार्ता के जल्द बहाल होने की उम्मीद करते हैं. भारत तनाव कम करने के सभी प्रयासों का समर्थन करने के लिए तैयार है. कई अन्य अहम मुद्दे भी हैं, जिनमें से कुछ को आज पेश किए गए प्रस्ताव में उचित तवज्जो नहीं दी गई. मतदान में शामिल नहीं होने का हमारा निर्णय हमारे सुविचारित राष्ट्रीय रुख के अनुरूप है.'

पढ़ें: ईरान निर्मित कामिकेज ड्रोन से यूक्रेन के कीव क्षेत्र पर हमला

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से पिछले महीने कहा था कि यह युद्ध का युग नहीं है. काम्बोज ने मोदी को उद्धृत करते हुए कहा कि शांतिपूर्ण समाधान के लिए बातचीत और कूटनीति के माध्यम से प्रयास करने के दृढ़ संकल्प के साथ भारत ने मतदान में शामिल नहीं होने का फैसला किया है. उन्होंने यूक्रेन में युद्ध संबंधी घटनाक्रम को दुभाग्यपूर्ण बताया और कहा कि इससे पूरे वैश्विक दक्षिण को काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है.

काम्बोज ने कहा कि 'विकासशील देश इस युद्ध के कारण खाद्य, ईंधन और उर्वरक आपूर्ति पर पड़े असर को झेल रहे हैं, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि वैश्विक दक्षिण की आवाज सुनी जाए और उनकी वैध चिंताओं को उचित तवज्जो दी जाए, इसलिए हमें ऐसे कदम नहीं उठाने चाहिए जो एक संघर्षरत वैश्विक अर्थव्यवस्था को और जटिल बनाते हैं.' भारत के अलावा जिन देशों ने मतदान में भाग नहीं लिया, उनमें चीन, क्यूबा, ​​पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं.

संयुक्त राष्ट्र: भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) में उस मसौदा प्रस्ताव पर मतदान में भाग नहीं लिया, जिसमें रूस (Russia) के अवैध तथाकथित जनमत संग्रह और यूक्रेन के दोनेत्स्क, खेरसॉन, लुहान्स्क और जापोरिज्जिया क्षेत्रों पर उसके कब्जे की निंदा की गई है. भारत ने कहा कि उसका यह फैसला अच्छी तरह से सोच विचार के बाद अपनाए गए राष्ट्रीय रुख के अनुरूप है और देश बातचीत और कूटनीति के माध्यम से शांतिपूर्ण समाधान के महत्व को रेखांकित करते हुए तनाव कम करने के उद्देश्य से सभी प्रयासों का समर्थन करने के लिए तैयार है.

कुल 193 सदस्यीय महासभा ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यूक्रेन की मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर के क्षेत्रों में अवैध तथाकथित जनमत संग्रह (Referendum) और यूक्रेन के दोनेत्स्क, खेरसॉन, लुहान्स्क और जापोरिज्जिया क्षेत्रों पर अवैध कब्जे के प्रयास की निंदा करने के समर्थन में मतदान किया. कुल 143 देशों ने 'यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता: संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों का बचाव' प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जबकि रूस, बेलारूस, उत्तर कोरिया, सीरिया और निकारागुआ ने इसके खिलाफ मतदान किया.

भारत समेत 35 देश इस मतदान में शामिल नहीं हुए. प्रस्ताव पारित होने के बाद यूएनजीए में सभी ने तालियां बजाकर इस कदम का स्वागत (India abstains on UNGA resolution) किया. मसौदा प्रस्ताव पर मतदान में शामिल नहीं होने के बाद, संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा काम्बोज (India's Permanent Representative Ruchira Kamboj) ने कहा कि भारत ने आग्रह किया कि शत्रुता को तत्काल समाप्त करने और बातचीत एवं कूटनीति के रास्ते पर तत्काल वापसी के लिए सभी प्रयास किए जाएं.

काम्बोज ने कहा कि 'शांति के मार्ग के लिए हमें कूटनीति के सभी माध्यमों को खुला रखने की आवश्यकता है, इसलिए हम तत्काल युद्धविराम और संघर्ष का समाधान करने के लिए शांति वार्ता के जल्द बहाल होने की उम्मीद करते हैं. भारत तनाव कम करने के सभी प्रयासों का समर्थन करने के लिए तैयार है. कई अन्य अहम मुद्दे भी हैं, जिनमें से कुछ को आज पेश किए गए प्रस्ताव में उचित तवज्जो नहीं दी गई. मतदान में शामिल नहीं होने का हमारा निर्णय हमारे सुविचारित राष्ट्रीय रुख के अनुरूप है.'

पढ़ें: ईरान निर्मित कामिकेज ड्रोन से यूक्रेन के कीव क्षेत्र पर हमला

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से पिछले महीने कहा था कि यह युद्ध का युग नहीं है. काम्बोज ने मोदी को उद्धृत करते हुए कहा कि शांतिपूर्ण समाधान के लिए बातचीत और कूटनीति के माध्यम से प्रयास करने के दृढ़ संकल्प के साथ भारत ने मतदान में शामिल नहीं होने का फैसला किया है. उन्होंने यूक्रेन में युद्ध संबंधी घटनाक्रम को दुभाग्यपूर्ण बताया और कहा कि इससे पूरे वैश्विक दक्षिण को काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है.

काम्बोज ने कहा कि 'विकासशील देश इस युद्ध के कारण खाद्य, ईंधन और उर्वरक आपूर्ति पर पड़े असर को झेल रहे हैं, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि वैश्विक दक्षिण की आवाज सुनी जाए और उनकी वैध चिंताओं को उचित तवज्जो दी जाए, इसलिए हमें ऐसे कदम नहीं उठाने चाहिए जो एक संघर्षरत वैश्विक अर्थव्यवस्था को और जटिल बनाते हैं.' भारत के अलावा जिन देशों ने मतदान में भाग नहीं लिया, उनमें चीन, क्यूबा, ​​पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं.

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