काठमांडू : 'माउंट एवरेस्ट' आधार शिविर में अनुकूलन अभ्यास के दौरान कठिनाइयों का सामना करने के बाद जान गंवाने वाली भारतीय पर्वतारोही सुजैन लियोपोल्डिना जीसस के परिजन उनका शव लेने के लिए नेपाल पहुंच गए हैं. एक आधिकारिक बयान में शनिवार को यह जानकारी दी गई है. सुजैन (59) की नेपाल में दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट के आधार शिविर में बीमार पड़ने के बाद गुरुवार को मौत हो गई थी.
'माउंट एवरेस्ट' आधार शिविर से थोड़ा ऊपर 5,800 मीटर की चढ़ाई करने वाली सुजैन को बुधवार शाम को लुकला शहर ले जाया गया और अस्पताल में भर्ती कराया गया. हालांकि, गुरुवार को उनकी मौत हो गई. सुजैन की मृत्यु के बाद उनकी छोटी बहन स्टेला एस जीसस और परिवार का एक पुरुष सदस्य उनका शव लेने काठमांडू पहुंचे हैं.
उनकी छोटी बहन स्टेला एस. जीसस शव लेने के लिए एक पुरुष रिश्तेदार के साथ शनिवार शाम काठमांडू पहुंचीं. शेरपा ने डॉक्टरों के हवाले से बताया कि पोस्टमार्टम के बाद सुजैन का शव उनके परिजनों को सौंप दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि परिवार के सदस्य रविवार को ही सुजैन का शव लेकर मुंबई जाने की योजना बना रहे हैं.
दोनों पैरों से अशक्त पूर्व नेपाली सैनिक ने माउंट एवरेस्ट फतह कर इतिहास रचा : अफगानिस्तान में 2010 में जंग लड़ते हुए दोनों पैरों से अशक्त हो गये एक पूर्व ब्रिटिश गोरखा सैनिक ने माउंट एवरेस्ट फतह कर इतिहास रच दिया और वह कृत्रिम पैरों से दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी पर पहुंचने वाले पहले व्यक्ति बन गए हैं. एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी. हरि बुधमागर (43) ने शुक्रवार दोपहर 8848.86 मीटर ऊंची पर्वत चोटी फतह की.
पर्यटन विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि दोनों पैरों से अशक्त पूर्व सैनिक हरि बुधमागर ने शुक्रवार को माउंट एवरेस्ट फतह कर इतिहास रच दिया. वह इस श्रेणी में विश्व की सबसे ऊंची पर्वत चोटी फतह करने वाले पहले व्यक्ति हैं. बुधमागर ने 2010 में अफगानिस्तान युद्ध में ब्रिटिश गोरखा के एक सैनिक के रूप में ब्रिटेन सरकार के लिए लड़ते हुए अपने दोनों पैर गंवा दिए थे.
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