नई दिल्ली : इजराइल और हमास के बीच सुलह सिर्फ मिस्र करा सकता है. यह कहना है ब्रिटेन के एक मुस्लिम नेता घनेम नुसेइबेह का. इस समय मध्य पूर्व का देश कतर मध्यस्थ की भूमिका निभा रहा है. घनेम यूके की संस्था मुस्लिम अगेंस्ट एंटीसीमेटिज्म के चेयरमैन हैं. उन्होंने कहा कि क्योंकि मिस्र पड़ोसी देश है, लिहाजा वह कतर की अपेक्षा बेहतर स्थिति में है.
उनका यह सुझाव काफी मायने रखता है. वैसे, कतर ने इजराइली बंधकों की रिहाई के लिए इजराइल के सामने दो विकल्प सुझाए हैं. सात अक्टूबर से ही बंधक हमास के कब्जे में हैं. शिन्हुआ न्यूज एजेंसी ने फिलिस्तीनी सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि पहला विकल्प उन 53 बंधकों की रिहाई से जुड़ा है, जिनमें बच्चे और महिलाएं शामिल हैं. इसके बदले में इजराइल को तीन दिनों तक सीजफायर करना होगा और गाजा पट्टी में ईंधन की सप्लाई जारी करनी होगी.
दूसरा विकल्प 87 बंधकों से जुड़ा है. इनके बदले में हमास पांच दिनों का सीजफायर चाहता है और फिलिस्तीनी महिलाएं और बच्चे तथा सुरक्षा बंदियों की रिहाई चाहता है. हमास ने सात अक्टूबर को 250 लोगों को बंधक बनाया था. बाद में इसने दो अमेरिकी नागरिक समेत चार को छोड़ दिया. एक इजराइल सैनिक को इजराइली सेना ने रेस्क्यू किया. इजराइली रक्षा बल के प्रवक्ता ले. कर्नल जोनाथन कोरनिकस के अनुसार हमास के पास अभी भी 240 नागरिक बंदी हैं.
इजराइल और हमास के बीच युद्ध की शुरुआत होने से पहले इजराइली जेल में 5200 फिलिस्तीनी जेल में बंद थे. इनमें 33 महिलाएं और 170 माइनर शामिल थे. इस वक्त यह संख्या बढ़कर सात हजार तक पहुंच चुकी है. यानी इस समय कुल 62 महिलाएं और 200 बच्चे इजराइली जेल में बंद हैं.
कतर के पीएम मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी ने कहा कि समस्याएं तार्किक हैं. हमास ने बंधंकों के लॉकेशंस को लेकर कोई जानकारी नहीं दी है. कतर के पीएम के इन बयानों के परिप्रेक्ष्य में अगर ब्रिटिश मुस्लिम नेता का बयान देखें, तो समस्या का समाधान हो सकता है.
इराक और जॉर्डन में भारत के राजदूत रहे आर दयाकार ने बताया कि क्योंकि मिस्र के इजराइल और हमास, दोनों से अच्छे और नजदीकी संबंध हैं, लिहाजा नुसेइबेह के बयान से सेंस निकलता है.
उन्होंने कहा कि अरब देशों में मिस्र सबसे पहला देश है, जिसने इजराइल के साथ कूटनीतिक संबंध स्थापित किया था. वह तेल अवीव से लगातार संपर्क में है. अरब देशों में मिस्र का प्रभाव है. गाजा के लिए मिस्र लाइफ लाइन है. अभी गाजा में जितनी भी मानवीय मदद दी जा रही है, वह मिस्र के रास्ते ही जा रही है. दयाकार ने ईटीवी भारत को बताया कि गाजा और मिस्र की सीमा आपस में मिलती है. इसलिए किसी भी समझौते की स्थिति में इनके रास्ते ही कैदियों की रिहाई हो सकती है.
हालांकि दयाकार ने कहा कि मिस्र की अलग चिंता है. उन्होंने कहा कि हमास और मुस्लिम ब्रदरहुड के सैद्धान्तिक नजदीकी की वजह से मिस्र दूरी बनाकर रह रहा है. दयाकार ने कहा कि वैसे भी समय बीतता जा रहा है, इसलिए बंधंकों को लेकर चिंताएं भी लगातार बढ़ती जा रही है, इसलिए बेहतर है कि कतर जो प्रयास कर रहा है, उम्मीद की जानी चाहिए कि वह अंजाम तक पहुंच सके, इस वक्त कोई नए चैनल से बात करना ठीक नहीं प्रतीत होता है.
ये भी पढ़ें : हमास नेता का दावा, संघर्ष विराम समझौते के बेहद करीब