फालमाउथ : अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund-IMF) की प्रबंध निदेशक (Managing director) क्रिस्टलीना जॉर्जीएवा (Kristalina Georgieva) ने कहा कि कोविड-19 महामारी से निपटने के कार्यक्रमों को समर्थन देना दुनिया के सबसे अमीर देशों की नैतिक जिम्मेदारी है. साथ ही जोर दिया कि अतिरिक्त टीके दान करना इस ओर पहला कदम होना चाहिए.
रविवार को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री (British Prime Minister) बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) ने कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि जी-7 नेता गरीब देशों को कोविड-19 टीके की कम से कम एक अरब खुराकें देने पर सहमत होंगे. जॉनसन के इस बयान के बाद क्रिस्टलीना जॉर्जीएवा ने एक ऑनलाइन प्रेसवार्ता के दौरान यह टिप्पणी की.
मानवीय समूहों ने टीके दान देने की पेशकश का स्वागत किया है. हालांकि, ऐसे विकासशील देशों में टीका उत्पादन एवं उपकरण सहायता के लिए धन मुहैया कराने का आह्वान किया गया है, जहां वायरस का प्रकोप अभी भी बरकरार है.
अर्थव्यवस्था को पटली में लाना भी जरूरी
जॉर्जीएवा ने कहा कि दान देना एक अच्छा कदम है लेकिन टीका लाभार्थियों तक पहुंचने के दौरान आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए काफी कुछ किए जाने की आवश्यकता है.
उन्होंने कहा, 'यह नैतिक जिम्मेदारी होने के साथ ही अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए बेहद आवश्यक भी है क्योंकि हम दुनिया को दो अलग-अलग रास्तों पर जाने नहीं दे सकते.'
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आईएमएफ प्रमुख ने कहा कि एक तरफ जहां जी-7 राष्ट्रों की लगभग आधी आबादी टीके की पहली खुराक ले चुकी है, वहीं, वैश्विक स्तर पर यह आंकड़ा करीब 13 फीसदी है जबकि अफ्रीका में यह केवल 2.2 फीसदी है. उन्होंने कहा कि लड़ाई अभी तक जीती नहीं गई है.
(पीटीआई-भाषा)