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पोप ने पश्चिमी देशों की निंदा करते हुए अनजाने में पुतिन का हवाला दिया

पोप फ्रांसिस ने लोकतंत्र लागू करने की बाहरी कोशिश के तौर पर अफगानिस्तान में पश्चिमी देशों की हाल की संलिप्तता की निंदा की. इस दौरान उन्होंने अपनी टिप्पणी में गलती से रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का हवाला दिया जबकि वह जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल का नाम लेना चाह रहे थे.

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Published : Sep 1, 2021, 4:14 PM IST

मैड्रिड : पोप फ्रांसिस ने लोकतंत्र लागू करने की बाहरी कोशिश के तौर पर अफगानिस्तान में पश्चिमी देशों की हाल की संलिप्तता की निंदा की. हालांकि उन्होंने यह टिप्पणी करते वक्त गलती से रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का हवाला दिया जबकि वह जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल का नाम लेना चाह रहे थे.

अफगानिस्तान में 20 साल के युद्ध के बाद अमेरिकी सेना की वापसी के बाद देश में नयी राजनीतिक स्थिति के बारे में बुधवार को रेडियो पर प्रसारित एक साक्षात्कार में पोप ने कहा कि वह जर्मनी की चांसलर के एक उद्धरण के साथ इसका जवाब देंगे जिन्हें उन्होंने 'दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक शख्सियतों में से एक' बताया.

पोप ने कहा, 'अपने मूल्यों को दूसरों पर थोपने की गैर जिम्मेदाराना नीति और इतिहास, जातीयता तथा धार्मिक मुद्दों पर विचार किए बिना और दूसरे लोगों की परंपराओं को पूरी तरह नजरअंदाज करते हुए अन्य देशों में लोकतंत्र के निर्माण की कोशिशें रोकना आवश्यक है.'

ये शब्द रूस के राष्ट्रपति ने पिछले महीने मर्केल की उपस्थिति में कहे थे जब वह रूस की यात्रा पर आयी थीं.

पुतिन ने 20 अगस्त को एक बैठक में अफगानिस्तान को लेकर पश्चिमी देशों की तीखी आलोचना करते हुए कहा था कि तालिबान के तेजी से देश पर कब्जा जमाना अपनी दृष्टि से लोकतंत्र को लागू करने की पश्चिमी देशों की कोशिशों की निरर्थकता को दिखाता है. इस बीच, मर्केल ने रूस से अफगान नागरिकों के लिए दबाव बनाने के वास्ते तालिबान के साथ अपने संपर्कों का इस्तेमाल करने का अनुरोध किया.

पढ़ें - अमेरिका का यूक्रेन को छह करोड़ डॉलर की मदद का वादा

पोप ने स्पेन के रेडियो स्टेशन कैडेना कोप को यह साक्षात्कार पिछले हफ्ते वेटिकन में दिया. इसका प्रसारण बुधवार को किया गया और उसने कहा कि पोप ने खुद इसका संपादन किया है.

पोप फ्रांसिस ने कहा कि अफगानिस्तान से पश्चिमी देशों की सेनाओं की वापसी में 'सभी घटनाओं पर विचार नहीं किया गया.'

मैड्रिड : पोप फ्रांसिस ने लोकतंत्र लागू करने की बाहरी कोशिश के तौर पर अफगानिस्तान में पश्चिमी देशों की हाल की संलिप्तता की निंदा की. हालांकि उन्होंने यह टिप्पणी करते वक्त गलती से रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का हवाला दिया जबकि वह जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल का नाम लेना चाह रहे थे.

अफगानिस्तान में 20 साल के युद्ध के बाद अमेरिकी सेना की वापसी के बाद देश में नयी राजनीतिक स्थिति के बारे में बुधवार को रेडियो पर प्रसारित एक साक्षात्कार में पोप ने कहा कि वह जर्मनी की चांसलर के एक उद्धरण के साथ इसका जवाब देंगे जिन्हें उन्होंने 'दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक शख्सियतों में से एक' बताया.

पोप ने कहा, 'अपने मूल्यों को दूसरों पर थोपने की गैर जिम्मेदाराना नीति और इतिहास, जातीयता तथा धार्मिक मुद्दों पर विचार किए बिना और दूसरे लोगों की परंपराओं को पूरी तरह नजरअंदाज करते हुए अन्य देशों में लोकतंत्र के निर्माण की कोशिशें रोकना आवश्यक है.'

ये शब्द रूस के राष्ट्रपति ने पिछले महीने मर्केल की उपस्थिति में कहे थे जब वह रूस की यात्रा पर आयी थीं.

पुतिन ने 20 अगस्त को एक बैठक में अफगानिस्तान को लेकर पश्चिमी देशों की तीखी आलोचना करते हुए कहा था कि तालिबान के तेजी से देश पर कब्जा जमाना अपनी दृष्टि से लोकतंत्र को लागू करने की पश्चिमी देशों की कोशिशों की निरर्थकता को दिखाता है. इस बीच, मर्केल ने रूस से अफगान नागरिकों के लिए दबाव बनाने के वास्ते तालिबान के साथ अपने संपर्कों का इस्तेमाल करने का अनुरोध किया.

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पोप ने स्पेन के रेडियो स्टेशन कैडेना कोप को यह साक्षात्कार पिछले हफ्ते वेटिकन में दिया. इसका प्रसारण बुधवार को किया गया और उसने कहा कि पोप ने खुद इसका संपादन किया है.

पोप फ्रांसिस ने कहा कि अफगानिस्तान से पश्चिमी देशों की सेनाओं की वापसी में 'सभी घटनाओं पर विचार नहीं किया गया.'

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