नई दिल्ली: दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगे के दौरान सरस्वती विहार में हुए दंगे व हत्या के मामले में पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को दोषी करार दिया है. सजा पर 18 फरवरी को बहस होगी. सिख विरोधी दंगे में सज्जन कुमार का नाम आने से पहले दिल्ली की सियासत में तूती बोलती थी. आइए जानते हैं सज्जन कुमार कैसे राजनीति में आए.
सज्जन कुमार का राजनीतिक सफर: कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्जन कुमार का जन्म बाहरी दिल्ली के एक परिवार में हुआ था. शुरुआती दिनों में परिवार के भरण पोषण के लिए सज्जन कुमार अन्य सदस्यों के साथ दिल्ली में चाय की छोटी दुकान चलाते थे. दिल्ली में नगरपालिका का चुनाव जीतकर राजनीति में आए. इसी दौरान सज्जन कुमार संजय गांधी की नजर में आए. फिर धीरे-धीरे संजय गांधी के करीब आ गए. इसके बाद सज्जन कुमार ने दिल्ली से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत कर सबको चौंका दिया. उन्होंने दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री रहे ब्रह्म प्रकाश को चुनाव में हरा दिया था.
सज्जन कुमार पर आरोप: लोकसभा चुनाव में जीत के बाद सज्जन कुमार का कद संजय गांधी की नजरों में और बढ़ गया. उन्हें अहम जिम्मेदारी दी जाने लगी. 1984 को देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को उनके सिख बॉडी गार्ड ने गोली मारी, जिसके बाद दिल्ली और आसपास के इलाकों में सिख विरोधी दंगा शुरू हो गया. इस दंगे में सैकड़ों सिख मारे गए. 1984 के सिख विरोधी दंगों में जिन लोगों के नाम सामने आए, उनमें सज्जन कुमार भी एक थे. सज्जन कुमार पर भीड़ को उकसाने के आरोप लगे. इसके अलावा सज्जन कुमार पर डकैती और सिखों के खिलाफ आपराधिक साजिश रचने के भी आरोप लगे.
सिख संगठनों का आंदोलन: साल 2005 में सीबीआई ने सज्जन कुमार के खिलाफ दो चार्जशीट दायर की. सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि दंगों में सज्जन कुमार और पुलिस के बीच संबंध खतरनाक थे. हालांकि, अप्रैल 2013 में निचली अदालत ने सज्जन कुमार को सभी आरोपों से बरी कर दिया था, जिसके बाद सिख संगठनों ने आंदोलन शुरू कर दिया और फिर सीबीआई ने दिल्ली हाईकोर्ट में अपील की थी. 27 अक्टूबर 2018 को दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और उसमें भी सज्जन कुमार को दोषी करार दिया था.
सज्जन कुमार राजनीति से दूरी: साल 1980 के बाद सज्जन कुमार ने वर्ष 1991 का लोकसभा चुनाव लड़ा और भाजपा के नेता साहिब सिंह वर्मा को शिकस्त देते हुए बाहरी दिल्ली लोकसभा सीट से जीत हासिल की. इसके बाद उन्हें 2004 में फिर कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया और वे चुनाव जीत ने में सफल रहे. लेकिन 2009 में कांग्रेस ने उन्हें टिकट देने से इनकार कर दिया था. जिसके बाद से सज्जन कुमार राजनीति से दूर चले गए.
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