पेरिस : चीन और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों के प्रतिनिधि फ्रांस मुख्यालय वाले इंटरपोल में शीर्ष पदों के लिए दावेदारी जता रहे हैं. मंगलवार को तुर्की में इसकी आम सभा आयोजित होगी. इंटरपोल का कहना है कि वह राजनीतिक उद्देश्यों के लिए संस्था का इस्तेमाल नहीं होने देगी.
आलोचकों का कहना है कि अगर इन उम्मीदवारों की जीत होती है तो मादक पदार्थ के तस्करों, मानव तस्करों, युद्ध अपराधों के संदिग्धों और कथित चरमपंथियों को न्याय के कटघरे में लाने के बजाए उनके देश निर्वासित असंतुष्टों और राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को पकड़ने के लिए इंटरपोल की वैश्विक पहुंच का उपयोग करेंगे.
दो उम्मीदवार खास तौर पर आलोचकों के निशाने पर हैं. इनमें संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के गृह मंत्रालय के महानिरीक्षक मेजर जनरल अहमद नसर अल रईसी हैं जो इंटरपोल के अध्यक्ष पद के लिए मुकाबले में हैं.
वहीं, चीन के लोक सुरक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी हू बिनचेन भी इंटरपोल की कार्यकारी समिति में एक रिक्त स्थान के लिए मुकाबले में हैं. बृहस्पतिवार को मतदान होने की उम्मीद है. इंटरपोल के अध्यक्ष व कार्यकारिणी समिति संस्था के लिए नीति और दिशा तय करते हैं. अल रईसी इंटरपोल की कार्यकारिणी समिति के सदस्य भी हैं. अल रईसी पर यातना का आरोप है और उनके खिलाफ फ्रांस सहित पांच देशों में आपराधिक शिकायतें दर्ज हैं.
'मेना राइट्स ग्रुप' ने अपनी एक हालिया रिपोर्ट में संयुक्त अरब अमीरात सुरक्षा तंत्र द्वारा वकीलों, पत्रकारों और कार्यकर्ताओं के मानवाधिकार उल्लंघनों का उल्लेख किया है.
हू को चीन की सरकार का समर्थन प्राप्त है, जिसके बारे में संदेह है कि उसने निर्वासित असंतुष्टों का पता लगाने और अपने नागरिकों को गायब करने के लिए वैश्विक पुलिस एजेंसी का इस्तेमाल किया. हू को नियुक्त करना संस्था के लिए और खुद उनके लिए जोखिम से भरा हो सकता है. चीन के मेंग होंगवेई 2016 में इंटरपोल के अध्यक्ष चुने गए थे, लेकिन दो साल बाद चीन की वापसी यात्रा पर गायब हो गए. होंगवेई भ्रष्टाचार के आरोप में साढ़े 13 साल की जेल की सजा काट रहे हैं.
मानवाधिकार के लिए काम करने वाले फ्रांस के नामी गिरामी वकील विलियम बर्डन ने कहा कि आधुनिकता और प्रगति के दिखावे के नाम पर यूएई के अधिकारी अपने कृत्यों को नहीं छिपा सकते.
(पीटीआई-भाषा)