कैनबरा (ऑस्ट्रेलिया) : ऑस्ट्रेलिया की राष्ट्रीय विज्ञान एजेंसी (सीएसआईआरओ) के वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन में पता लगाया है कि प्रयोगशाला में विकसित मानव वायुमार्ग की कोशिकाओं (लैब में विकसित फेफड़े) को कोविड-19 सरीखे श्वसन वायरस का अध्ययन करने के लिए मजजबूती से इस्तेमाल किया जा सकता है, जो मानव नैदानिक परीक्षणों के लिए पशु परीक्षण और फास्ट-ट्रैक दवाओं को कम करने में मदद कर सकता है.
CSIRO के शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रयोगशाला में विकसित वायु मार्ग की ऊपरी परत से लेकर फेफड़ों तक की कोशिकाएं (मानव ब्रोन्कियल उपकला), वायरस के प्रति जीवित व्यक्ति के वायुमार्ग की प्रतिक्रिया की नकल करती हैं. इससे वायरस को समझने और उससे लड़ने में मदद मिलेगी.
सीएसआईआरओ रिसर्च साइंटिस्ट डॉ. एलिजाबेथ फारो, ने इसके निष्कर्ष लिखे हैं, जो जर्नल वायरस में प्रकाशित हुआ है.
डॉ. फारो ने कहा कि इस नए चिकित्सा विज्ञान में नैदानिक परीक्षण के लिए समय और धन दोनों ही लग सकता है. शोधकर्ताओं ने अनुसार इस उपचार का अभी लोगों पर असर नहीं होगा.
उन्होंने कहा कि लैब-विकसित वायुमार्ग कोशिकाएं (वायरस के लिए) मानव वायुमार्ग के जैसी ही होती हैं और वैसे ही काम करती हैं. यह वायरस के खिलाफ काम कर सकता है और इसका इस्तेमाल एंटीवायरल उपचार के लिए किया जा सकता है.
उन्होंने कहा, 'इस तरह से हम चिकित्सीय परीक्षण चरण में पहुंचने से पहले एंटीवायरल को तेजी से फेल कर सकते हैं, जो मानव परीक्षण में मदद कर सकता है.'
डॉ. फारो ने कहा कि वायुमार्ग मॉडल का उपयोग तीन महीनों के भीतर 100 एंटीवायरल कंपाउंड की स्क्रीनिंग के लिए किया जा सकता है, और सीएसआईआरओ रोबोटिक तकनीक के उपयोग से स्क्रीनिंग को और तेज करने के तरीके तलाश रहा है.
मॉडल का उपयोग वायरस की विशेषताओं और वायुमार्ग की कोशिकाओं को कैसे प्रभावित करता है, इसके अध्ययन के लिए भी किया जा सकता है. इससे पशुओं पर परीक्षण की आवश्यकता कम पड़ेगी. हालांकि, इसका उपयोग वैक्सीन उम्मीदवारों के मूल्यांकन के लिए आवश्यक अधिक जटिल प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं (कॉम्प्लेक्स इम्यून रिस्पांस) का अध्ययन करने के लिए नहीं किया जा सकता है.
यह अध्ययन सीएसआईआरओ की उच्च नियंत्रण सुविधा, गेलॉन्ग के ऑस्ट्रेलियन सेंटर फॉर डिसीज प्रीपेयर्डनेस(एसीडीपी) में किया गया था.
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शोधकर्ताओं ने कोशिकाओं को संवर्धित किया क्योंकि वे मानव वायुमार्ग में पाए जाने वाले सेल प्रकारों में विकसित हुए. इनमें गॉब्लेट और क्लब कोशिकाएं शामिल थीं, जो सांस लेने के लिए बलगम को स्रावित करती हैं और बालों जैसी संरचनाओं के साथ कोशिकाओं को अलग करती हैं, जो कणों और रोगाणुओं को फेफड़ों से दूर ले जाने के लिए समन्वित तरंगों का सामना करती है.
डॉ. फारो ने कहा, 'कई सांस की बीमारियों जैसे कि कोविड-19 के लिए, वायुमार्ग सांस लेने वाले रोगजनकों (पेथोजिन्य) के लिए 'पहले उत्तरदाता' के रूप में कार्य करता है. जब हमने वायुमार्ग एपिथीलियम को 2009 में फैले H1N1 वायरस से संक्रमित किया था, उस समय भी सेल्स का इसी तरह का रिस्पांस था. इसमें साइटोकिन्स और कीमोकाइंस निर्मित हुआ था.'
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उन्होंने कहा कि एसीडीपी के वैज्ञानिक अब इस मॉडल का उपयोग कोविड-19 फैलाने वाले वायरस के बारे में जानने के लिए किया जा रहा है. वैज्ञानिक यह पता लगा रहे हैं कि कोरोना वायरस अस्थमा, पुरानी प्रतिरोधी फुफ्फुसीय रोग (क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) या मधुमेह वाले मरीजों की कोशिकाओं की तुलना में स्वस्थ व्यक्ति की वायुमार्ग कोशिकाओं को कैसे नुकसान पहुंचाता है.
उन्होंने कहा, 'इससे फेफड़ों की स्थिति को देखते हुए कोविड-19 लोगों को कैसे प्रभावित कर सकता है, इस बारे में जानने और समझने में मदद मिलेगी.'