रोम : भारत के जी-20 के 'शेरपा' पीयूष गोयल ने रविवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत जी-20 के नेताओं ने सहमति जताई है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को कोविड-19 टीकों की आपातकालीन उपयोग मंजूरी को लेकर प्रक्रिया को तेज करने के लिए मजबूत किया जाएगा.
गोयल ने यहां मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि नेताओं ने जी-20 शिखर सम्मेलन में 'रोम घोषणापत्र' को अंगीकार किया और बयान स्वास्थ्य खंड के तहत एक बहुत ही मजबूत संदेश देता है, जिसमें सहमति जताई गई है कि कोविड-19 टीकाकरण दुनिया के लिए फायदेमंद है.
'शेरपा' जी-20 के सदस्य देशों के नेताओं का प्रतिनिधि होता है, जो शिखर सम्मेलन के एजेंडे के बीच समन्वय बनाता है.
गोयल ने कहा कि यह निर्णय लिया गया कि डब्ल्यूएचओ द्वारा सुरक्षित और प्रभावी समझे जाने वाले कोविड-19 रोधी टीकों की मान्यता को देशों के राष्ट्रीय और गोपनीयता कानूनों के अधीन पारस्परिक रूप से स्वीकार किया जाएगा.
उन्होंने कहा, 'लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि इस बात पर सहमति बनी है कि हर कोई टीका अनुमोदन और आपातकालीन उपयोग मंजूरी के लिए डब्ल्यूएचओ की प्रक्रियाओं को अनुकूल बनाने में मदद करेगा और डब्ल्यूएचओ को मजबूत किया जाएगा ताकि वह टीकों की पहचान तेजी से कर सके.
प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को जी-20 के नेताओं से कहा था कि भारत अगले साल के अंत तक कोविड-19 रोधी टीके की पांच अरब से अधिक खुराक का उत्पादन करने के लिए तैयार है ताकि दुनिया को महामारी के खिलाफ लड़ाई में मदद मिल सके.
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संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी का एक तकनीकी सलाहकार समूह तीन नवंबर को कोवैक्सिन की आपातकालीन उपयोग सूची के लिए अंतिम 'जोखिम-लाभ मूल्यांकन' करने के लिए बैठक करेगा. भारत बायोटेक के कोवैक्सिन और एस्ट्राजेनेका तथा ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के कोविशील्ड, भारत में व्यापक रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले दो टीके हैं.
गोयल ने कहा कि टिकाऊ जीवन शैली का प्रधानमंत्री मोदी का मंत्र टिकाऊ खपत और जिम्मेदार उत्पादन पैटर्न पर जी-20 घोषणापत्र में परिलक्षित होता है. गोयल ने कहा कि छोटे, सीमांत किसानों की आजीविका रोम में जी-20 शिखर सम्मेलन में भारत की चर्चा के फोकस वाले क्षेत्रों में से थी.
(पीटीआई-भाषा)