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फ्लाइंग वी एयरक्राफ्ट का पहला परीक्षण सफल, जानें विमान की खासियत - गिबसन गिटार

फ्लाइंग वी एयरक्राफ्ट का एक अद्वितीय डिजाइन है, जिसके विंग्स में यात्री केबिन, कार्गो और ईंधन टैंक रहेंगे. विशेषज्ञों के अनुसार, विमान में ईंधन की खपत में 20 फीसदी की कमी होगी. इसे फ्लाइंग वी एयरक्राफ्ट नाम दिया गया है. इस विमान का पहला सफल परीक्षण हो गया है. जानें विस्तार से...

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फ्लाइंग वी का एक अद्वितीय डिजाइन
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Published : Sep 7, 2020, 12:44 PM IST

हैदराबाद : शोधकर्ताओं ने फ्लाइंग वी का पहली बार सफलतापूर्वक परीक्षण किया है. यह फ्यूल एफिशियंट विमान है, जिसके विंग्स में यात्री सफर कर सकेंगे और जो पारंपरिक ढांचे से एकदम अलग है. दिखने में यह काफी हद तक गिबसन गिटार जैसा लगता है. इसे फ्लाइंग वी एयरक्राफ्ट नाम दिया गया है.

प्लेन का डिजाइन अद्वितीय है, जिसमें यात्री, केबिन, कार्गो से लेकर ईंधन टैंक तक, सभी के लिए विंग्स में खास जगह बनाई गई है. विशेषज्ञों की मानें, तो विमान में ईंधन की खपथ 20 फीसदी कम होगी.

विशेषज्ञों ने अगले चरण के विकास के लिए नीदरलैंड की डेल्फ्ट यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के साथ मिलकर 22.5 किलोग्राम और तीन मीटर स्केल मॉडल का प्रयोग किया.

इसका परीक्षण जर्मनी के एक संरक्षित एयरबेस में किया गया था. विशेषज्ञों ने टेलीमेट्री में सुधार करने पर काम किया, विमान के गुरुत्वाकर्षण के केंद्र को भी बदल दिया और एंटीना को एडजस्ट किया.

यह भी पढ़ें- भारत 2021 की शुरुआत में लॉन्च कर सकता है चंद्रयान-3 मिशन

फिर भी अंतिम चरण के लिए काफी काम बचा है, जब विमान यात्रियों को लेकर आसमान की ऊंचाईयों को छुएगा.

हैदराबाद : शोधकर्ताओं ने फ्लाइंग वी का पहली बार सफलतापूर्वक परीक्षण किया है. यह फ्यूल एफिशियंट विमान है, जिसके विंग्स में यात्री सफर कर सकेंगे और जो पारंपरिक ढांचे से एकदम अलग है. दिखने में यह काफी हद तक गिबसन गिटार जैसा लगता है. इसे फ्लाइंग वी एयरक्राफ्ट नाम दिया गया है.

प्लेन का डिजाइन अद्वितीय है, जिसमें यात्री, केबिन, कार्गो से लेकर ईंधन टैंक तक, सभी के लिए विंग्स में खास जगह बनाई गई है. विशेषज्ञों की मानें, तो विमान में ईंधन की खपथ 20 फीसदी कम होगी.

विशेषज्ञों ने अगले चरण के विकास के लिए नीदरलैंड की डेल्फ्ट यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के साथ मिलकर 22.5 किलोग्राम और तीन मीटर स्केल मॉडल का प्रयोग किया.

इसका परीक्षण जर्मनी के एक संरक्षित एयरबेस में किया गया था. विशेषज्ञों ने टेलीमेट्री में सुधार करने पर काम किया, विमान के गुरुत्वाकर्षण के केंद्र को भी बदल दिया और एंटीना को एडजस्ट किया.

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फिर भी अंतिम चरण के लिए काफी काम बचा है, जब विमान यात्रियों को लेकर आसमान की ऊंचाईयों को छुएगा.

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