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हर्ट इम्युनिटी विकसित करके कोरोना नियंत्रण की रणनीति खतरनाक

वैज्ञानिकों का मानना है कि सामूहिक प्रतिरोधक क्षमता विकसित करके कोविड-19 नियंत्रण की रणनीति खतरनाक है. बता दें कि दुनियाभर में कोरोना का कहर जारी है. इस वायरस से दुनियाभर में कई लाख लोगों ने अपनी जानें गवाईं हैं. पढ़ें पूरी खबर...

कोरोना नियंत्रण
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Published : Oct 15, 2020, 6:49 PM IST

लंदन : कम जोखिम वाली आबादी में सामूहिक प्रतिरोधक क्षमता (हर्ड इम्युनिटी) विकसित होने देकर, जबकि अति संवेदनशील लोगों को बचाकर कोविड-19 का प्रबंधन एक खतरनाक मिथक है, जिसकी वैज्ञानिक साक्ष्य पुष्टि नहीं करते हैं. 80 अनुसंधानकर्ताओं के एक अंतरराष्ट्रीय समूह ने एक खुले पत्र में यह बात कही है.

द लांसेट पत्रिका में प्रकाशित पत्र में अनुसंधानकर्ताओं ने कहा है कि कोविड-19 के लिए प्राकृतिक रूप से संक्रमण से आबादी में प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने पर आश्रित रहने की महामारी प्रबंधन की रणनीति दोषपूर्ण है.

दुनिया के विभिन्न हिस्सों में कोरोना वायरस संक्रमण के दूसरे दौर के बीच ब्रिटेन के एडिनबर्ग विश्वविद्यालय में कार्यरत देवी श्रीधर समेत वैज्ञानिकों ने कहा कि सामूहिक प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने में नए सिरे से दिलचस्पी बढ़ी है.

इस संबंध में कुछ वैज्ञानिकों ने तर्क दिया है कि इस रवैये से कम जोखिम वाली आबादी में संक्रमण से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ सकती है, जिससे अंततोगत्वा संवेदनशील लोग बच जाएंगे, वहीं कुछ अनुसंधानकर्ताओं ने कम उम्र के लोगों में इस तरह के अनियंत्रित संक्रमण से खराब सेहत और मौत तक का जोखिम होने की बात कही है.

यह भी पढ़ें- रूस ने एक और कोविड-19 वैक्सीन को मंजूरी दी : पुतिन

वैज्ञानिकों ने कई देशों के साक्ष्यों के आधार पर कहा कि समाज के कुछ वर्गों तक अनियंत्रित तरीके से संक्रमण को सीमित करना संभव नहीं है और आबादी के बड़े हिस्से को अलग-थलग कर देना व्यावहारिक रूप से असंभव और अत्यंत अनैतिक है

लंदन : कम जोखिम वाली आबादी में सामूहिक प्रतिरोधक क्षमता (हर्ड इम्युनिटी) विकसित होने देकर, जबकि अति संवेदनशील लोगों को बचाकर कोविड-19 का प्रबंधन एक खतरनाक मिथक है, जिसकी वैज्ञानिक साक्ष्य पुष्टि नहीं करते हैं. 80 अनुसंधानकर्ताओं के एक अंतरराष्ट्रीय समूह ने एक खुले पत्र में यह बात कही है.

द लांसेट पत्रिका में प्रकाशित पत्र में अनुसंधानकर्ताओं ने कहा है कि कोविड-19 के लिए प्राकृतिक रूप से संक्रमण से आबादी में प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने पर आश्रित रहने की महामारी प्रबंधन की रणनीति दोषपूर्ण है.

दुनिया के विभिन्न हिस्सों में कोरोना वायरस संक्रमण के दूसरे दौर के बीच ब्रिटेन के एडिनबर्ग विश्वविद्यालय में कार्यरत देवी श्रीधर समेत वैज्ञानिकों ने कहा कि सामूहिक प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने में नए सिरे से दिलचस्पी बढ़ी है.

इस संबंध में कुछ वैज्ञानिकों ने तर्क दिया है कि इस रवैये से कम जोखिम वाली आबादी में संक्रमण से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ सकती है, जिससे अंततोगत्वा संवेदनशील लोग बच जाएंगे, वहीं कुछ अनुसंधानकर्ताओं ने कम उम्र के लोगों में इस तरह के अनियंत्रित संक्रमण से खराब सेहत और मौत तक का जोखिम होने की बात कही है.

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वैज्ञानिकों ने कई देशों के साक्ष्यों के आधार पर कहा कि समाज के कुछ वर्गों तक अनियंत्रित तरीके से संक्रमण को सीमित करना संभव नहीं है और आबादी के बड़े हिस्से को अलग-थलग कर देना व्यावहारिक रूप से असंभव और अत्यंत अनैतिक है

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