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चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग इसी हफ्ते म्यांमार दौरे पर पहुंचेंगे

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का दो दिवसीय म्यामार दौरा इसी हफ्ते होना है. इस दौरान वह म्यामार में सबसे बड़े निवेशक और रणनीतिक साझेदार के तौर पर बीजिंग की स्थिति को और मजबूत बनाने की कोशिश करेंगे.

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शी जिनपिंग
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Published : Jan 15, 2020, 8:16 PM IST

मितसोन : चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग अरबों डॉलर की आधारभूत परियोजनाओं को अंतिम रूप देने के लिए इसी हफ्ते शुक्रवार को म्यांमार पहुंचेंगे. आन सांग सू ची के सत्ता में रहने के दौरान रोहिंग्या मुसलमानों के नरसंहार से नाराज पश्चिमी देशों द्वारा इस देश की अनदेखी के बीच शी का यह दौरा हो रहा है.

राष्ट्रपति के तौर पर म्यांमार के अपने पहले दो दिवसीय दौरे में शी म्यांमार में सबसे बड़े निवेशक और रणनीतिक साझेदार के तौर पर बीजिंग की स्थिति को और मजबूत बनाने की कोशिश करेंगे.

बहुचर्चित चीन-म्यांमार आर्थिक गलियारा (सीएमईसी) का लक्ष्य चीन को हिन्द महासागर से जोड़ना है, जो बीजिंग की बेल्ट एंड रोड पहल का प्रमुख मार्ग है, जो चीनी आधारभूत संरचना व प्रभाव को सारी दुनिया में विस्तारित करने का नजरिया रखती है.

दस अरब डॉलर से भी ज्यादा निवेश की पेशकश के साथ ही चीन संयुक्त राष्ट्र में भी अपने पड़ोसी की ढाल बनता है, जहां उस पर रोहिंग्या संकट को लेकर जवाबदेही के लिए दबाव बन रहा है. इसके बावजूद दोनों देशों के बीच रिश्ते उलझे हुए हैं.

सीमावर्ती इलाकों में जातीय संघर्ष, बांधों, पाइप लाइनों और परिवहन सम्पर्कों पर प्रभाव की वजह से चीन के इरादों को लेकर विरोध शुरू होने का जोखिम है.

ये भी पढ़ें- म्यामांर स्वतंत्रता दिवस विशेष : अतीत के आईने में आज की आजादी

इतिहासकार थांट मिंट-यू ने अपनी नवीनतम किताब में लिखा है कि चीन के लिए यह चीजों को वापस पटरी पर लाने का समय है.

इस यात्रा के दौरान विशाल फैक्ट्री जोन और बंगाल की खाड़ी के किनारे म्यामार के पश्चिमी तट पर स्थित रखाइन प्रांत में गहरे-समुद्र बंदरगाह पर होने वाले करार के सुर्खियां बनने की उम्मीद है.

मितसोन : चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग अरबों डॉलर की आधारभूत परियोजनाओं को अंतिम रूप देने के लिए इसी हफ्ते शुक्रवार को म्यांमार पहुंचेंगे. आन सांग सू ची के सत्ता में रहने के दौरान रोहिंग्या मुसलमानों के नरसंहार से नाराज पश्चिमी देशों द्वारा इस देश की अनदेखी के बीच शी का यह दौरा हो रहा है.

राष्ट्रपति के तौर पर म्यांमार के अपने पहले दो दिवसीय दौरे में शी म्यांमार में सबसे बड़े निवेशक और रणनीतिक साझेदार के तौर पर बीजिंग की स्थिति को और मजबूत बनाने की कोशिश करेंगे.

बहुचर्चित चीन-म्यांमार आर्थिक गलियारा (सीएमईसी) का लक्ष्य चीन को हिन्द महासागर से जोड़ना है, जो बीजिंग की बेल्ट एंड रोड पहल का प्रमुख मार्ग है, जो चीनी आधारभूत संरचना व प्रभाव को सारी दुनिया में विस्तारित करने का नजरिया रखती है.

दस अरब डॉलर से भी ज्यादा निवेश की पेशकश के साथ ही चीन संयुक्त राष्ट्र में भी अपने पड़ोसी की ढाल बनता है, जहां उस पर रोहिंग्या संकट को लेकर जवाबदेही के लिए दबाव बन रहा है. इसके बावजूद दोनों देशों के बीच रिश्ते उलझे हुए हैं.

सीमावर्ती इलाकों में जातीय संघर्ष, बांधों, पाइप लाइनों और परिवहन सम्पर्कों पर प्रभाव की वजह से चीन के इरादों को लेकर विरोध शुरू होने का जोखिम है.

ये भी पढ़ें- म्यामांर स्वतंत्रता दिवस विशेष : अतीत के आईने में आज की आजादी

इतिहासकार थांट मिंट-यू ने अपनी नवीनतम किताब में लिखा है कि चीन के लिए यह चीजों को वापस पटरी पर लाने का समय है.

इस यात्रा के दौरान विशाल फैक्ट्री जोन और बंगाल की खाड़ी के किनारे म्यामार के पश्चिमी तट पर स्थित रखाइन प्रांत में गहरे-समुद्र बंदरगाह पर होने वाले करार के सुर्खियां बनने की उम्मीद है.

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'बेल्ट एंड रोड' योजना के सिलसिले में चीनी राष्ट्रपति ने म्यामां का दौरा किया

मितसोन (म्यामां), 15 जनवरी (एएफपी) चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग अरबों डालर की आधारभूत परियोजनाओं को अंतिम रूप देने के लिए इस हफ्ते म्यामां पहुंचे. आन सांग सू ची के सत्ता में रहने के दौरान रोहिंग्या मुसलमानों के 'नरसंहार' से नाराज पश्चिमी देशों द्वारा इस देश की अनदेखी के बीच शी का यह दौरा हो रहा है.

राष्ट्रपति के तौर पर यहां के अपने पहले दो दिवसीय दौरे में शी म्यामां में सबसे बड़े निवेशक और रणनीतिक साझेदार के तौर पर बीजिंग की स्थिति को और मजबूत करने की कोशिश करेंगे.

बहुचर्चित चीन-म्यामां आर्थिक गलियारा (सीएमईसी) का लक्ष्य चीन को हिंद महासागर से जोड़ना है जो बीजिंग की बेल्ट एंड रोड पहल का प्रमुख मार्ग है जो चीनी आधारभूत संरचना व प्रभाव को सारी दुनिया में विस्तारित करने का नजरिया रखती है.

दसियों अरब डालर के निवेश की पेशकश के साथ ही चीन संयुक्त राष्ट्र में भी अपने पड़ोसी की ढाल बनता है जहां उस पर रोहिंग्या संकट को लेकर जवाबदेही के लिये दबाव बन रहा है.

इसके बावजूद दोनों देशों के बीच रिश्ते उलझे हुए हैं.

सीमावर्ती इलाकों में जातीय संघर्ष, बांधों, पाइपलाइनों और परिवहन संपर्कों पर प्रभाव की वजह से चीन के इरादों को लेकर विरोध के शुरू होने का जोखिम है.

इतिहासकार थांट मिंट-यू ने अपनी नवीनतम किताब में लिखा है कि चीन के लिये यह 'चीजों को वापस पटरी पर लाने का समय है.'

इस यात्रा के दौरान विशाल फैक्ट्री जोन और बंगाल की खाड़ी के किनारे म्यामां के पश्चिमी तट पर स्थित रखाइन प्रांत में गहरे-समुद्र बंदरगाह पर होने वाले करार के सुर्खियां बनने की उम्मीद है.


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