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चीन में मिला मंकी बी वायरस, जानिए क्यों है जानलेवा - मंकी बी वायरस से डॉक्टर की मौत

मंकी बी वायरस से संक्रमित लोगों की मरने की दर 70 से 80 पर्सेंट है. इसके लिए कोई वैक्सीन ईजाद नहीं हुई है. बीमारी के शुरुआती लक्षणों के दौरान ही इसका एंटी वायरल दवाओं से इलाज हो सकता है, इसलिए इसे कोरोना से भी घातक माना जा रहा है.

चीन में मिला मंकी बी वायरस
चीन में मिला मंकी बी वायरस
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Published : Jul 20, 2021, 1:57 PM IST

हैदराबाद : कोरोना वायरस संकट के बीच चीन में एक बार फिर जानलेवा मंकी बी वायरस ने दस्तक दी है. इसकी चपेट में आने से चीन एक वेटिनरी डॉक्टर की मौत हो गई. सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रेवेंशन ( सीडीसी) के मुताबिक यह चीन में बंदर से इंसान के संक्रमित होने का पहला पुष्ट मामला है. चीन ने सीडीसी के वीकली जर्नल के जरिये इस वायरस की जानकारी दुनिया को दी है. इस वायरस को वी-वायरस ( B-virus) भी कहते हैं.

चीन के सीडीसी जर्नल के मुताबिक, मंकी बी वायरस ( बीवी) बीजिंग में 53 वर्षीय पशु चिकित्सक जानवरों पर अनुसंधान करने वाली संस्था के लिए काम करते थे. उन्होंने मार्च में दो मरे हुए बंदरों पर रिसर्च किया था. अप्रैल में मतली और उल्टी के शुरुआती लक्षण डॉक्टर में दिखने लगे. संक्रमित डॉक्टरों का चीन के कई अस्पतालों में उपचार किया गया. 27 मई को उनकी मौत हो गई. रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि ' मंकी बी' वायरस का शिकार बने वेटनरी डॉक्टर के करीबी संपर्क में रहे किसी अन्य व्यक्ति में संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई है. चीन में अब तक बी. वायरस के संक्रमण से मौत या देश में इसकी मौजूदगी का कोई साक्ष्य सामने नहीं आया है.

क्यों जानलेवा है मंकी-बी वायरस

रिपोर्ट के मुताबिक, इससे संक्रमित लोगों की मरने की दर 70 से 80 पर्सेंट है. इसके लिए कोई वैक्सीन ईजाद नहीं हुई है. बीमारी के शुरुआती लक्षणों के दौरान ही इसका एंटी वायरल दवाओं से इलाज हो सकता है, इसलिए इसे कोरोना से भी घातक माना जा रहा है. अमेरिका के नैशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक वी-वायरस इंसानों में प्रवेश करते ही नर्वस सिस्‍टम पर हमला करता है. बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी, ब्रेन और रीढ़ की हड्डी में सूजन इसके लक्षण हैं. वायरस के संपर्क में आने के बाद एक से तीन सप्‍ताह के भीतर शुरुआती लक्षण दिखने लगते हैं

मंकी बी वायरस क्या है?

भले ही मंकी बी वायरस से चीन में पहली मौत हुई है, मगर यह नया नहीं है. बी-वायरस का सबसे पहला मामला 1932 में सामने आया था. यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रेवेंशन के मुताबिक, सबसे पहले यह मैकॉक बंदर में पाया गया था. पहचान के बाद से अब तक 50 लोगों के मंकी-बी वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है, जिनमें से 21 को जान गंवानी पड़ी. रिपोर्ट्स के मुताबिक मैकॉक बंदर इस वायरस के पुराने मेजबान है. इससे बंदरों की अन्य प्रजाति चिंपैंजी और कैपुचिन भी संक्रमित हो सकते हैं.

यह वायरस इंसान तक कैसे पहुंचेगा

रिपोर्ट के मुताबिक, बी-वायरस बंदरों की लार, मल, मूत्र और मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी में होता है. बी वायरस सतहों खासकर नमी वाले जगहों पर घंटों तक जीवित रह सकता है. जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, वायरस मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में सूजन का कारण बन सकता है. इससे नर्वस सिस्टम फेल होने का खतरा बढ़ जाता है. इंसान संक्रमित बंदर के काटने या खरोंचने से इस वायरस का शिकार बन सकता है. इसके अलावा उनके लार, मल और मूत्र के संपर्क में आने से संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है. इंसान अगर ऐसी जगहों को टच करता है, जहां संक्रमित बंदर ने अपनी आंख, नाक या मुंह को रगड़ रखा है तो उसमें संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है. यह वायरस किसी मरे हुए बंदर के सीधे संपर्क में आने से फैलता है. हालांकि संक्रमित मनुष्य से फैलने के केस अभी नहीं दिखे हैं, मगर रिसर्च में इसकी आशंका को अभी तक खारिज नहीं किया गया है.

अगर बंदर काट ले तो क्या करें

डॉक्टरों के अनुसार, सबसे पहले काटे गए जख्म को साबुन, डिटर्जेंट या आयोडीन से 15 मिनट तक हल्के हाथों से साफ करें. घाव के ऊपर लगातार 20 मिनट तक पानी डाले. इस बीच जितनी जल्दी हो सके, डॉक्टर से संपर्क करें.

हैदराबाद : कोरोना वायरस संकट के बीच चीन में एक बार फिर जानलेवा मंकी बी वायरस ने दस्तक दी है. इसकी चपेट में आने से चीन एक वेटिनरी डॉक्टर की मौत हो गई. सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रेवेंशन ( सीडीसी) के मुताबिक यह चीन में बंदर से इंसान के संक्रमित होने का पहला पुष्ट मामला है. चीन ने सीडीसी के वीकली जर्नल के जरिये इस वायरस की जानकारी दुनिया को दी है. इस वायरस को वी-वायरस ( B-virus) भी कहते हैं.

चीन के सीडीसी जर्नल के मुताबिक, मंकी बी वायरस ( बीवी) बीजिंग में 53 वर्षीय पशु चिकित्सक जानवरों पर अनुसंधान करने वाली संस्था के लिए काम करते थे. उन्होंने मार्च में दो मरे हुए बंदरों पर रिसर्च किया था. अप्रैल में मतली और उल्टी के शुरुआती लक्षण डॉक्टर में दिखने लगे. संक्रमित डॉक्टरों का चीन के कई अस्पतालों में उपचार किया गया. 27 मई को उनकी मौत हो गई. रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि ' मंकी बी' वायरस का शिकार बने वेटनरी डॉक्टर के करीबी संपर्क में रहे किसी अन्य व्यक्ति में संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई है. चीन में अब तक बी. वायरस के संक्रमण से मौत या देश में इसकी मौजूदगी का कोई साक्ष्य सामने नहीं आया है.

क्यों जानलेवा है मंकी-बी वायरस

रिपोर्ट के मुताबिक, इससे संक्रमित लोगों की मरने की दर 70 से 80 पर्सेंट है. इसके लिए कोई वैक्सीन ईजाद नहीं हुई है. बीमारी के शुरुआती लक्षणों के दौरान ही इसका एंटी वायरल दवाओं से इलाज हो सकता है, इसलिए इसे कोरोना से भी घातक माना जा रहा है. अमेरिका के नैशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक वी-वायरस इंसानों में प्रवेश करते ही नर्वस सिस्‍टम पर हमला करता है. बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी, ब्रेन और रीढ़ की हड्डी में सूजन इसके लक्षण हैं. वायरस के संपर्क में आने के बाद एक से तीन सप्‍ताह के भीतर शुरुआती लक्षण दिखने लगते हैं

मंकी बी वायरस क्या है?

भले ही मंकी बी वायरस से चीन में पहली मौत हुई है, मगर यह नया नहीं है. बी-वायरस का सबसे पहला मामला 1932 में सामने आया था. यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रेवेंशन के मुताबिक, सबसे पहले यह मैकॉक बंदर में पाया गया था. पहचान के बाद से अब तक 50 लोगों के मंकी-बी वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है, जिनमें से 21 को जान गंवानी पड़ी. रिपोर्ट्स के मुताबिक मैकॉक बंदर इस वायरस के पुराने मेजबान है. इससे बंदरों की अन्य प्रजाति चिंपैंजी और कैपुचिन भी संक्रमित हो सकते हैं.

यह वायरस इंसान तक कैसे पहुंचेगा

रिपोर्ट के मुताबिक, बी-वायरस बंदरों की लार, मल, मूत्र और मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी में होता है. बी वायरस सतहों खासकर नमी वाले जगहों पर घंटों तक जीवित रह सकता है. जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, वायरस मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में सूजन का कारण बन सकता है. इससे नर्वस सिस्टम फेल होने का खतरा बढ़ जाता है. इंसान संक्रमित बंदर के काटने या खरोंचने से इस वायरस का शिकार बन सकता है. इसके अलावा उनके लार, मल और मूत्र के संपर्क में आने से संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है. इंसान अगर ऐसी जगहों को टच करता है, जहां संक्रमित बंदर ने अपनी आंख, नाक या मुंह को रगड़ रखा है तो उसमें संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है. यह वायरस किसी मरे हुए बंदर के सीधे संपर्क में आने से फैलता है. हालांकि संक्रमित मनुष्य से फैलने के केस अभी नहीं दिखे हैं, मगर रिसर्च में इसकी आशंका को अभी तक खारिज नहीं किया गया है.

अगर बंदर काट ले तो क्या करें

डॉक्टरों के अनुसार, सबसे पहले काटे गए जख्म को साबुन, डिटर्जेंट या आयोडीन से 15 मिनट तक हल्के हाथों से साफ करें. घाव के ऊपर लगातार 20 मिनट तक पानी डाले. इस बीच जितनी जल्दी हो सके, डॉक्टर से संपर्क करें.

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