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अफगानिस्तान को मानवीय सहायता उपलब्ध कराएगा अमेरिका : तालिबान - अफगानिस्तान

अमेरिका ने स्पष्ट कर दिया कि वार्ता तालिबान को मान्यता देने की पहली कड़ी नहीं है, जो 15 अगस्त से सत्ता में आया है.

तालिबान ने दिया बयान
तालिबान ने दिया बयान
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Published : Oct 12, 2021, 12:45 AM IST

इस्लामाबाद: आर्थिक आपदा के कगार पर पहुंच चुके अफगानिस्तान को अमेरिका मानवीय सहायता मुहैया कराने पर सहमत हो गया है. हालांकि उसने देश के नए तालिबान शासकों को राजनीतिक मान्यता देने से इंकार कर दिया है. तालिबान ने यह जानकारी दी है.

अमेरिकी सैनिकों के अगस्त में देश से हटने के बाद अमेरिका और तालिबान के बीच पहली सीधी वार्ता के बाद यह बयान आया है. अमेरिकी बयान में कहा गया, 'दोनों पक्षों ने अफगानिस्तान के लोगों को सीधे तौर पर ठोस मानवीय सहायता उपलब्ध कराने पर चर्चा की.' तालिबान ने रविवार को कहा कि वार्ता कतर के दोहा में हुई जो 'अच्छी रही.'

अमेरिका ने स्पष्ट कर दिया कि वार्ता तालिबान को मान्यता देने की पहली कड़ी नहीं है, जो 15 अगस्त से सत्ता में आया है. विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने वार्ता को 'ठोस एवं पेशेवर' करार दिया और कहा कि अमेरिकी पक्ष ने इस बात को दोहराया कि तालिबान के शब्दों पर नहीं बल्कि उसके कार्यों के माध्यम से उसका आकलन किया जाएगा.

तालिबान के राजनीतिक प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने भी 'द एसोसिएटेड प्रेस' से कहा कि संगठन के विदेश मंत्री ने वार्ता के दौरान अमेरिका को आश्वासन दिया कि चरमपंथियों द्वारा दूसरे देशों के खिलाफ हमला करने के लिए अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी जाएगी.

इस्लामाबाद: आर्थिक आपदा के कगार पर पहुंच चुके अफगानिस्तान को अमेरिका मानवीय सहायता मुहैया कराने पर सहमत हो गया है. हालांकि उसने देश के नए तालिबान शासकों को राजनीतिक मान्यता देने से इंकार कर दिया है. तालिबान ने यह जानकारी दी है.

अमेरिकी सैनिकों के अगस्त में देश से हटने के बाद अमेरिका और तालिबान के बीच पहली सीधी वार्ता के बाद यह बयान आया है. अमेरिकी बयान में कहा गया, 'दोनों पक्षों ने अफगानिस्तान के लोगों को सीधे तौर पर ठोस मानवीय सहायता उपलब्ध कराने पर चर्चा की.' तालिबान ने रविवार को कहा कि वार्ता कतर के दोहा में हुई जो 'अच्छी रही.'

अमेरिका ने स्पष्ट कर दिया कि वार्ता तालिबान को मान्यता देने की पहली कड़ी नहीं है, जो 15 अगस्त से सत्ता में आया है. विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने वार्ता को 'ठोस एवं पेशेवर' करार दिया और कहा कि अमेरिकी पक्ष ने इस बात को दोहराया कि तालिबान के शब्दों पर नहीं बल्कि उसके कार्यों के माध्यम से उसका आकलन किया जाएगा.

तालिबान के राजनीतिक प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने भी 'द एसोसिएटेड प्रेस' से कहा कि संगठन के विदेश मंत्री ने वार्ता के दौरान अमेरिका को आश्वासन दिया कि चरमपंथियों द्वारा दूसरे देशों के खिलाफ हमला करने के लिए अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी जाएगी.

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