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कोरोना से जंग में इमरान के प्रयास सूझबूझ से परे और अस्थायी हैं - तिलक देवेशर - imran khan efforts are indecisive and tentative

कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. पाकिस्तान में भी कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री इमरान खान इसको लेकर गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड के सदस्य तिलक देवेशर का कहना है कि कोरोना से जंग में इमरान के प्रयास सूझबूझ से परे और अस्थायी हैं.

imran khan
प्रधानमंत्री इमरान खान
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Published : Jul 7, 2020, 4:25 PM IST

नई दिल्ली : राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड के सदस्य तिलक देवेशर ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए किए जा रहे प्रयासों को सूझबूझ से परे और अस्थायी बताया है. उन्होंने कहा कि इमरान के समर्थक भी अब देश की चुनौतियों का सामना करने की उनकी क्षमता पर सवाल उठा रहे हैं.

द डिप्लोमेट में देवेशर ने लिखा कि पिछले कुछ महीनों में हुई कई घटनाओं ने प्रधानमंत्री इमरान खान के कुछ साल पहले किए गए पाकिस्तान को बदलने के दावे को कमजोर कर दिया है. अब देश के सामने आ रही चुनौतियों को लेकर उनसे उनकी क्षमता और नेतृत्व के बारे में सवाल पूछे जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार कोरोना वायरस से निपटने के लिए गंभीर नहीं है जो चिंता का विषय है, क्योंकि कोरोना की जांच के 20 प्रतिशत परीक्षण पॉजिटिव आए हैं, जो दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा अनुपात है.

इसके अलावा, सरकार ने संक्रमण को कम करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की दो सप्ताह के लिए लॉकडाउन और दो सप्ताह की छूट वाली सलाह भी मानने से मना कर दिया है. इमरान खान इसे सामान्य सर्दी-जुकाम की तरह ले रहे हैं. ये पाकिस्तान के लिए गंभीर चिंता का विषय है जिसे पीएम नहीं समझ रहे हैं.

पढ़ें :- पाक पीएम इमरान खान ने ओसामा बिन लादेन को बताया 'शहीद'

उन्होंने कहा कि इमरान खान की सरकार के साथ 'सबकुछ ठीक नहीं है'. देश में पैदा हुई इस राष्ट्रीय समस्या के समाधान के लिए उनके काम करने के तरीकों पर सवाल उठाए जा रहे हैं.

नई दिल्ली : राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड के सदस्य तिलक देवेशर ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए किए जा रहे प्रयासों को सूझबूझ से परे और अस्थायी बताया है. उन्होंने कहा कि इमरान के समर्थक भी अब देश की चुनौतियों का सामना करने की उनकी क्षमता पर सवाल उठा रहे हैं.

द डिप्लोमेट में देवेशर ने लिखा कि पिछले कुछ महीनों में हुई कई घटनाओं ने प्रधानमंत्री इमरान खान के कुछ साल पहले किए गए पाकिस्तान को बदलने के दावे को कमजोर कर दिया है. अब देश के सामने आ रही चुनौतियों को लेकर उनसे उनकी क्षमता और नेतृत्व के बारे में सवाल पूछे जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार कोरोना वायरस से निपटने के लिए गंभीर नहीं है जो चिंता का विषय है, क्योंकि कोरोना की जांच के 20 प्रतिशत परीक्षण पॉजिटिव आए हैं, जो दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा अनुपात है.

इसके अलावा, सरकार ने संक्रमण को कम करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की दो सप्ताह के लिए लॉकडाउन और दो सप्ताह की छूट वाली सलाह भी मानने से मना कर दिया है. इमरान खान इसे सामान्य सर्दी-जुकाम की तरह ले रहे हैं. ये पाकिस्तान के लिए गंभीर चिंता का विषय है जिसे पीएम नहीं समझ रहे हैं.

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उन्होंने कहा कि इमरान खान की सरकार के साथ 'सबकुछ ठीक नहीं है'. देश में पैदा हुई इस राष्ट्रीय समस्या के समाधान के लिए उनके काम करने के तरीकों पर सवाल उठाए जा रहे हैं.

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