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अमेरिका-तालिबान वार्ता के बीच अफगानिस्तान में रिकार्ड स्तर पर पहुंची हिंसा

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Published : Jan 31, 2020, 2:46 PM IST

Updated : Feb 28, 2020, 3:55 PM IST

अमेरिका-तालिबान वार्ता के बीच अफगानिस्तान में हिंसा के मामलों में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिली है. हालांकि राजधानी और अन्य शहरी इलाकों में पिछले करीब दो महीने से कोई बड़ा हमला नहीं हुआ है, लेकिन ग्रामीण प्रांतों में संघर्षों में कोई कमी नहीं आई है. पढ़ें विस्तार से......

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सांकेतिक चित्र

काबुल : अमेरिकी सरकार की एक प्रहरी संस्था ने शुक्रवार को कहा कि 2019 की आखिरी तिमाही में अफगानिस्तान में हिंसक हमलों की संख्या रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई.

यह काबुल में तुलनात्मक रूप से शांति होने के बावजूद देश के अन्य हिस्सों में संघर्ष में लोगों के लगातार मारे जाने को रेखांकित करता है.

देश की राजधानी और अन्य शहरी इलाकों में पिछले करीब दो महीने से कोई बड़ा हमला नहीं हुआ है, जबकि पहले शहरी इलाकों में अक्सर होने वाले बड़े हमलों में बड़े पैमाने पर लोग हताहत होते थे.

अमेरिका और तालिबान के बीच शांति वार्ता जारी रहने के बावजूद ग्रामीण प्रांतों में संघर्षों में कोई कमी नहीं आई है और यहां लड़ाई की खबरें रोजाना आती हैं.

पढ़ें- अमेरिकी ड्रोन हमले में मारे गए दस नागरिक: अफगान अधिकारी

अमेरिका और तालिबान अफगानिस्तान से अमेरिकी बलों के रवाना होने के संभावित सौदे पर बात कर रहे हैं.

अफगानिस्तान पुनर्निर्माण के लिए अमेरिकी विशेष महानिरीक्षक (एसआईजीएआर) के मुताबिक पिछले साल “दुश्मन की तरफ से शुरू किए हमलों” की संख्या काफी बढ़ी जहां अंतिम तिमाही में कुल 8,204 हमले हुए हैं। 2018 में इसी अवधि में कुल 6,974 हमले हुए थे.

एसआईजीएआर ने पाया कि अमेरिका-तालिबान वार्ता की प्रगति इन हमलों को प्रभावित करती रही.

पढ़ें- तालिबान ने संक्षिप्त युद्ध विराम की पेशकश की : चरमपंथी सूत्र

साल की शुरुआत में जब बातचीत जोर पकड़ रही थी तो इन हमलों में कुछ कमी आई थी, लेकिन सितंबर में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बातचीत रोके जाने के बाद फिर ये मामले बढ़ गए थे.

काबुल : अमेरिकी सरकार की एक प्रहरी संस्था ने शुक्रवार को कहा कि 2019 की आखिरी तिमाही में अफगानिस्तान में हिंसक हमलों की संख्या रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई.

यह काबुल में तुलनात्मक रूप से शांति होने के बावजूद देश के अन्य हिस्सों में संघर्ष में लोगों के लगातार मारे जाने को रेखांकित करता है.

देश की राजधानी और अन्य शहरी इलाकों में पिछले करीब दो महीने से कोई बड़ा हमला नहीं हुआ है, जबकि पहले शहरी इलाकों में अक्सर होने वाले बड़े हमलों में बड़े पैमाने पर लोग हताहत होते थे.

अमेरिका और तालिबान के बीच शांति वार्ता जारी रहने के बावजूद ग्रामीण प्रांतों में संघर्षों में कोई कमी नहीं आई है और यहां लड़ाई की खबरें रोजाना आती हैं.

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अमेरिका और तालिबान अफगानिस्तान से अमेरिकी बलों के रवाना होने के संभावित सौदे पर बात कर रहे हैं.

अफगानिस्तान पुनर्निर्माण के लिए अमेरिकी विशेष महानिरीक्षक (एसआईजीएआर) के मुताबिक पिछले साल “दुश्मन की तरफ से शुरू किए हमलों” की संख्या काफी बढ़ी जहां अंतिम तिमाही में कुल 8,204 हमले हुए हैं। 2018 में इसी अवधि में कुल 6,974 हमले हुए थे.

एसआईजीएआर ने पाया कि अमेरिका-तालिबान वार्ता की प्रगति इन हमलों को प्रभावित करती रही.

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साल की शुरुआत में जब बातचीत जोर पकड़ रही थी तो इन हमलों में कुछ कमी आई थी, लेकिन सितंबर में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बातचीत रोके जाने के बाद फिर ये मामले बढ़ गए थे.

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अमेरिका-तालिबान वार्ता के बीच अफगानिस्तान में हिंसा बढ़ी : प्रहरी संस्था



काबुल, 31 जनवरी (एएफपी) अमेरिकी सरकार की एक प्रहरी संस्था ने शुक्रवार को कहा कि 2019 की आखिरी तिमाही में अफगानिस्तान में हिंसक हमलों की संख्या रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई।



यह काबुल में तुलनात्मक रूप से शांति होने के बावजूद देश के अन्य हिस्सों में संघर्ष में लोगों के लगातार मारे जाने को रेखांकित करता है।



देश की राजधानी और अन्य शहरी इलाकों में पिछले करीब दो महीने से कोई बड़ा हमला नहीं हुआ है, जबकि पहले शहरी इलाकों में अक्सर होने वाले बड़े हमलों में बड़े पैमाने पर लोग हताहत होते थे।



अमेरिका और तालिबान के बीच शांति वार्ता जारी रहने के बावजूद ग्रामीण प्रांतों में संघर्षों में कोई कमी नहीं आई है और यहां लड़ाई की खबरें रोजाना आती हैं।



अमेरिका और तालिबान अफगानिस्तान से अमेरिकी बलों के रवाना होने के संभावित सौदे पर बात कर रहे हैं।



अफगानिस्तान पुनर्निर्माण के लिए अमेरिकी विशेष महानिरीक्षक (एसआईजीएआर) के मुताबिक पिछले साल “दुश्मन की तरफ से शुरू किए हमलों” की संख्या काफी बढ़ी जहां अंतिम तिमाही में कुल 8,204 हमले हुए हैं। 2018 में इसी अवधि में कुल 6,974 हमले हुए थे।



एसआईजीएआर ने पाया कि अमेरिका-तालिबान वार्ता की प्रगति इन हमलों को प्रभावित करती रही। साल की शुरुआत में जब बातचीत जोर पकड़ रही थी तो इन हमलों में कुछ कमी आई थी, लेकिन सितंबर में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बातचीत रोके जाने के बाद फिर ये मामले बढ़ गए थे।



पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने आरटीआई कानून में संशोधन को चुनौती देते हुए याचिका दायर की है.



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Conclusion:
Last Updated : Feb 28, 2020, 3:55 PM IST
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