बीजिंग : अमेरिका और ताइवान तटरक्षक बलों के अधिकारियों ने चीन द्वारा स्व-शासित द्वीप के लोकतंत्र को अलग-थलग करने के प्रयासों के बावजूद सहयोग और संचार में सुधार पर चर्चा करने के लिए मुलाकात की.
मंगलवार को ऑनलाइन हुई बैठक ताइवान को चीन का हिस्सा बताने वाले विचार को स्वीकार करने के लिए द्वीप को मजबूर करने के चीन के दबाव अभियान का विरोध करने के अमेरिका और अन्य के द्वारा उठाए जा रहे कदमों के बीच हुई है.
चीन ने लिथुआनिया द्वारा स्वायत्तशासी ताइवान को देश में अपने नाम से कार्यालय खोलने की इजाजत देने के बाद मंगलवार को लिथुआनिया के लिए अपने राजदूत को वापस बुला लिया और बीजिंग के लिए बाल्टिक देश के शीर्ष प्रतिनिधि को निष्कासित कर दिया.
चीनी नेता शी चिनफिंग ने ताइवान पर कूटनीतिक, आर्थिक एवं सैन्य दबाव बढ़ा दिया है जिसके निवासी मुख्य भूभाग के साथ राजनीतिक एकीकरण की बीजिंग की मांग को सिरे से खारिज कर दिया है. चीन ने लंबे समय से ताइवान को संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों में भाग लेने से रोका है और 2016 में स्वतंत्रता के इच्छुक ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन के चुनाव के बाद से इस तरह का दबाव बढ़ा दिया है.
बीजिंग की अधीनता को देखते हुए अमेरिका ताइवान के साथ केवल अनौपचारिक संबंध रखता है लेकिन यह द्वीप का प्रमुख हथियार आपूर्तिकर्ता और करीबी राजनीतिक सहयोगी है.
पढ़ें :- अमेरिका ने संयुक्त अभ्यास को बताया रक्षात्मक, उत्तर कोरिया ने कार्रवाई की दी धमकी
ताइपे में वाशिंगटन के डी फेक्टो दूतावास, अमेरिकन इंस्टीट्यूट इन ताइवान ने एक बयान में कहा कि मंगलवार की बैठक में, पक्षों ने खोज और बचाव, आपदा राहत, और पर्यावरण मिशनों के साथ-साथ संचार में सुधार और कर्मियों के शैक्षिक आदान-प्रदान को जारी रखने के अवसरों के लिए संयुक्त समुद्री प्रतिक्रियाओं में सुधार के तरीकों पर चर्चा की.
बयान में कहा गया, 'उन्होंने समुद्री संसाधनों के संरक्षण के सामान्य उद्देश्यों पर भी काम करना जारी रखने; अवैध, और अनियमित मछली पकड़ने को कम करने; और संयुक्त समुद्री खोज और बचाव और समुद्री पर्यावरण प्रतिक्रिया कार्यक्रमों में भाग लेने पर भी सहमति जताई.'
इसने कहा, 'अमेरिका ताइवान के अर्थपूर्ण प्रतिभाग और वैश्विक चिंताों के मुद्दे में योगदान का समर्थन करता है.'
इस बैठक से पहले अमेरिका ने ताइवान को 75 करोड़ डॉलर के एक सौदे में 40 स्वचालित होवित्जर की बिक्री की घोषणा की थी जिसकी बीजिंग ने कड़ी निंदा की थी.
(एपी)