काबुल: अफगानिस्तान में चुनाव से पहले काबुल और परवान प्रांत में मंगलवार को हुए आत्मघाती बम धमाकों में कम से कम 48 लोगों की मौत हो गई. इस हमले की अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने कड़ी निंदा की है.
बता दें, पहला धमाका मध्य परवान प्रांत में हुआ जहां राष्ट्रपति अब्दुल गनी की रैली कर रहे थे. हमलावर मोटरसाइकिल पर आए और रैली स्थल के नजदीक पुलिस चौकी में बम लगाकर धमाका कर दिया, जिसमें 26 लोगों की मौत हो गई और 42 लोग घायल हो गए.
इस घटना के ठीक एक घंटे बाद मध्य काबुल में अमेरिकी दूतावास के नजदीक धमाका हुआ, जिसकी जिम्मेदारी तालिबान ने ली है. इस धमाके में 22 लोगों की मौत हो गई और 38 लोग घायल हो गए.
तालिबान ने इन दोनों हमलों की जिम्मेदारी ली है. तालिबान के जिम्मेदारी लेने के बाद पोम्पिओ ने कहा, इन हमलों के जरिए तालिबान ने अफगानिस्तान की संस्थाओं और अफगान लोगों का घोर अपमान किया है.
पोम्पिओ ने कहा कि यदि तालिबान अफगानिस्तान से वास्तव में सुलह करना चाहता है तो उसे अफगान लोगों और उनके देश को नुकसान पहुंचाने वाली हिंसा और तबाही को जारी रखने के बजाए शांति के प्रति ईमानदारी से अपनी प्रतिबद्धता दिखानी चाहिए.
उन्होंने मंगलवार को कहा कि अफगानिस्तान के कई क्षेत्रों के अस्पतालों, स्कूलों और घरों में बिजली पहुंचाने वाली विद्युत लाइनों पर तालिबान के हमलों के कारण वहां कई दिन बिजली गुल रही और उसे कई अन्य चुनौतियों का सामना करना पड़ा.
उल्लेखनीय है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा तालिबान के साथ इस महीने की शुरुआत में एक समझौते पर वार्ता समाप्त करने के बाद ये धमाके हुए हैं.
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तालिबान ने मीडिया को भेजे एक बयान में दोनों धमाकों की जिम्मेदारी ली. तालिबान के प्रवक्ता जबीहउल्ला मुजाहिद ने कहा कि गनी की रैली के निकट जानबूझकर धमाका किया गया ताकी 28 सितंबर को होने वाले चुनाव में बाधा डाली जा सके.
बयान में कहा गया है, 'हम पहले ही लोगों को चेतावनी दे चुके हैं कि वे चुनाव रैलियों में शिरकत न करें. अगर उन्हें कोई नुकसान होता है तो वह खुद इसके जिम्मेदार होंगे.'
परवान अस्पताल के निदेशक अब्दुल कासिम संगीन ने कहा कि मृतकों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं.
परवान प्रांत में जिस समय धमाका हुआ तब राष्ट्रपति अशरफ गनी अपने समर्थकों को संबोधित कर रहे थे, हालांकि उन्हें कोई चोट नहीं आई. गनी ने हमले की निंदा करते हुए कहा कि इस घटना ने साबित कर दिया कि शांति में तालिबान की कोई दिलचस्पी नहीं है.