जोहानिसबर्ग : दक्षिण अफ्रीका के संकटग्रस्त गुप्ता परिवार के संरक्षक भारतीय मूल के कारोबारी एवं देश के नीतिगत फैसलों को प्रभावित करने के आरोपी अजय गुप्ता ने पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा की घोटालेबाज सरकार में एक पूर्व मंत्री के 'अनाधिकारिक सलाहकार' के तौर पर काम किया था और उन्हें धन दिया था.
जांच आयोग के समक्ष यह बात कही गई है.
मंत्री मलूसी गिगाबा जानते थे कि उनकी नियुक्ति में गुप्ता परिवार और एस्कोम तथा ट्रांसनेट के सीईओ ब्रायन मोलेफ और सियाबोंगा का दखल था. यह जानकारी गिगाबा से अलग हुई उनकी पत्नी नोमा मंगोमा ने प्रणालीगत राजनीतिक भ्रष्टाचार के मामले की सुनवाई कर रहे जांच आयोग के समक्ष सोमवार शाम को यह गवाही दी.
मंगोमा ने इस दावे के साथ ही कई अन्य चौंकाने वाले बयान दिए हैं. यह सुनवाई लगभग आधी रात तक चली जब गिगाबा ने पहले अपनी पत्नी की गवाही को रोकने की कोशिश की.
आयोग के प्रमुख उप मुख्य न्यायाधीश रेयमंड जोंडो ने दोनों पक्षों से लंबी जानकारी मिलने के बाद आवेदन को खारिज कर दिया.
मंगोमा ने इस बात के ब्यौरे दिए कि वह कैसे अपने पति के साथ अक्सर जोहानिसबर्ग में गुप्ता इस्टेट जाया करती थी जहां उन्होंने घर में पैसों की एक मशीन के साथ कई और चीजें देखी थी. यह मशीन बैंक के एटीएम जैसी दिखती थी.
उन्होंने यह भी बताया कि कैसे धन के थैले गिगाबा की गाड़ी की डिक्की में डाले जाते थे. ऐसी ही जानकारी पहले मंत्री के पूर्व अंगरक्षक ने भी आयोग को दी थी.
आयोग को कई गवाहों ने बताया है कि गुप्ता भाइयों - अजय, अतुल और राजेश ने कैबिनेट और राज्य के उद्यमों में जुमा की नियुक्ति को प्रभावित किया है.
दुबई में निर्वासन में रह रहे गुप्ता भाइयों ने गवाही देने के लिए अदालत के समक्ष इन आरोपों में गवाही देने से लगातार इनकार किया है.
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उनपर अपने विशाल कारोबार साम्राज्य के जरिए देश के उपक्रमों से अरबों रैंड की लूट के आरोप हैं.