जिनेवा : श्रीलंका ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र को सूचित किया कि वह तमिल अलगाववादियों के साथ दशकों तक चले संघर्ष के दौरान कथित तौर पर किए गए युद्ध अपराधों की जांच के लिए संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव से खुद को अलग कर रहा है.
विदेश मंत्री दिनेश गुणावर्द्धना ने जिनेवा में मानवाधिकार परिषद से कहा, 'मैं सुलह, जवाबदेही और मानवाधिकार को प्रोत्साहित करने से संबंधित प्रस्ताव 40/1 के सह-प्रायोजक से खुद को अलग करने के श्रीलंका के फैसले को रखना चाहता हूं.'
उन्होंने कहा, 'इस प्रस्ताव के सह-प्रायोजक के रूप में हटने के बावजूद श्रीलंका जवाबदेही, मानवाधिकार, सतत शांति और सुलह की दिशा में लोगों द्वारा तय किये गए लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है.'
प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि श्रीलंका उस प्रस्ताव से खुद को अलग कर रहा है, जिसका देश की पिछली सरकार ने अनुमोदन किया था.
ये भी पढ़ें-यूएनएचआरसी में पाक को जवाब : जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा था, है और रहेगा
राजपक्षे उस वक्त राष्ट्रपति थे जब श्रीलंकाई सेना ने तमिल गुरिल्लों को 2009 में पराजित किया था. हालांकि, अधिकार समूहों ने सेना पर संघर्ष के अंतिम महीनों में कम से कम 40 हजार तमिलों की हत्या करने का आरोप लगाया था.