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पाकिस्तान दुष्कर्म के मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए स्थापित करेगा खास अदालतें

पाकिस्तान सरकार दुष्कर्म के मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए विशेष अदालतें स्थापित करने के लिए एक अध्यादेश जारी करने वाली है. प्रस्तावित कानून के तहत बलात्कार के मामलों की जांच साधारण पुलिस अधिकारी नहीं करेंगे, बल्कि उपमहानिरीक्षक या वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक स्तर के राजपत्रित अधिकारी ऐसे मामलों की निगरानी करेंगे.

speedy trial of rape
प्रतीकात्मक फोटो
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Published : Nov 15, 2020, 6:03 PM IST

इस्लामाबाद : पाकिस्तान सरकार अगले सप्ताह एक अध्यादेश लाने की तैयार में है, जिसके जरिए दुष्कर्म के मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए विशेष अदालतों की स्थापना की जाएगी.

शनिवार को प्रधानमंत्री इमरान खान ने सारी कमियों को दूर करते हुए प्रभावी दुष्कर्म-रोधी अध्यादेश लाने की योजना के बारे में ट्वीट किया और कुछ ही देर बाद प्रधानमंत्री के संसदीय मामलों के सलाहकार बाबर अवान ने स्थानीय समाचार पत्र से बातचीत में इसकी पुष्टि की.

अवान विधायी मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति के सदस्य भी हैं. उन्होंने कहा कि खान देश के विभिन्न हिस्सों में हो रहीं दुष्कर्म की हालिया घटनाओं से बेहद चिंतित थे.

इस अध्यादेश के मसौदे को पीड़िता की सुरक्षा समेत 'चार पक्षों' को कवर करने के लिए तैयार किया गया है, ताकि पीड़िता का कटु अनुभव सार्वजनिक न हो और गवाहों को संरक्षण भी मिले.

मीडिया रिपोर्ट से पता चला कि पिछले महीने नेशनल असेंबली को संबोधित करते हुए संघीय मंत्री फवाद चौधरी ने कहा था कि हर साल दुष्कर्म के औसतन 5,000 मामले दर्ज होते हैं और पांच प्रतिशत में ही सजा हो पाती है. हालांकि, इस क्षेत्र में काम करने वाले कार्यकर्ताओं और समूहों का कहना है कि असल आंकड़ा इससे कहीं बड़ा है, क्योंकि कई मामले पुलिस के सामने आते ही नहीं हैं.

पढ़ें-1,210 खूंखार आतंकियों की सूची जारी, मुंबई हमले से जुड़े 19 नाम भी शामिल

इस्लामाबाद : पाकिस्तान सरकार अगले सप्ताह एक अध्यादेश लाने की तैयार में है, जिसके जरिए दुष्कर्म के मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए विशेष अदालतों की स्थापना की जाएगी.

शनिवार को प्रधानमंत्री इमरान खान ने सारी कमियों को दूर करते हुए प्रभावी दुष्कर्म-रोधी अध्यादेश लाने की योजना के बारे में ट्वीट किया और कुछ ही देर बाद प्रधानमंत्री के संसदीय मामलों के सलाहकार बाबर अवान ने स्थानीय समाचार पत्र से बातचीत में इसकी पुष्टि की.

अवान विधायी मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति के सदस्य भी हैं. उन्होंने कहा कि खान देश के विभिन्न हिस्सों में हो रहीं दुष्कर्म की हालिया घटनाओं से बेहद चिंतित थे.

इस अध्यादेश के मसौदे को पीड़िता की सुरक्षा समेत 'चार पक्षों' को कवर करने के लिए तैयार किया गया है, ताकि पीड़िता का कटु अनुभव सार्वजनिक न हो और गवाहों को संरक्षण भी मिले.

मीडिया रिपोर्ट से पता चला कि पिछले महीने नेशनल असेंबली को संबोधित करते हुए संघीय मंत्री फवाद चौधरी ने कहा था कि हर साल दुष्कर्म के औसतन 5,000 मामले दर्ज होते हैं और पांच प्रतिशत में ही सजा हो पाती है. हालांकि, इस क्षेत्र में काम करने वाले कार्यकर्ताओं और समूहों का कहना है कि असल आंकड़ा इससे कहीं बड़ा है, क्योंकि कई मामले पुलिस के सामने आते ही नहीं हैं.

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