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द. कोरिया व अमेरिका का आग्रह : निरस्त्रीकरण के वादों को लागू करे उत्तर कोरिया - दक्षिण कोरिया को निशाना

हालिया हफ्तों में उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया को निशाना बनाते हुए कई उकसाने वाले कृत्य किए. उसने दक्षिण कोरिया के साथ सभी संचार लाइनों को काट दिया था. अपने क्षेत्र में एक सोल निर्मित संपर्क कार्यालय को उड़ा दिया और सीमा पर तनाव को कम करने के लिए 2018 के सौदों को निरस्त करने वाले कदम उठाने की धमकी दी. इसके बाद दक्षिण कोरिया और संयुक्त राज्य अमेरिका ने उत्तर कोरिया से आग्रह किया है कि वह पिछली वार्ताओं में किए गए निरस्त्रीकरण के वादों को लागू करे. पढ़ें पूरी खबर...

SKorea US urge North
दक्षिण कोरिया ने किया उत्तर कोरिया से आग्रह
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Published : Jun 25, 2020, 5:58 PM IST

सोल : दक्षिण कोरिया और संयुक्त राज्य अमेरिका ने उत्तर कोरिया से आग्रह किया है कि वह पिछली वार्ताओं में किए गए निरस्त्रीकरण के वादों को लागू करे. इसके साथ ही दोनों सहयोगी देशों ने गुरुवार को कहा कि वे उत्तर कोरिया को पूर्ण परमाणु मुक्त करने के उद्देश्य से कूटनीति पर जोर देते रहेंगे.

दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्री जियोंग कियोंग-डू और अमेरिकी रक्षा सचिव मार्क टी एस्पर द्वारा जारी संयुक्त बयान उत्तर कोरिया की उस घोषणा के एक दिन बाद आया, जिसमें कहा गया है कि वह अपने कदमों को निलंबित होगा, जिनसे 2018 के तनाव को कम करने वाले समझौते स्वतः खत्म हो जाएंगे और कोरियाई प्रायद्वीप में दुश्मनी बढ़ जाएगी.

कोरियाई युद्ध की शुरुआत की 70वीं वर्षगांठ को चिह्नित करने वाले बयान में सहयोगी देशों के रक्षा प्रमुखों ने कहा कि वे कोरियाई प्रायद्वीप पर कड़ी मेहनत से अर्जित शांति को बरकरार रखने के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध हैं, जिसमें डीपीआर कोरिया में पूर्ण परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए चल रहे राजनयिक प्रयासों का समर्थन भी शामिल है.

जियोंग और एस्पर ने यह भी कहा कि वे उत्तर कोरिया से आग्रह करते हैं कि जून 2018 में सिंगापुर में यूएस- उत्तर कोरिया शिखर वार्ता और सितंबर 2018 में अंतर-कोरियाई वार्ता के बाद जारी किए गए संयुक्त बयानों के क्रम में वह अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करे.

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ सिंगापुर के शिखर सम्मेलन के बाद जारी संयुक्त बयान में उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन ने कहा था कि उनका देश कोरियाई प्रायद्वीप के पूर्ण रूप से परमाणु निरस्त्रीकरण की दिशा में काम करने के लिए प्रतिबद्ध है. हालांकि उन्होंने तब यह उल्लेख नहीं किया था कि निरस्त्रीकरण के लिए कैसे और कब कदम उठाए जाएंगे.

उत्तर कोरिया ने पहले भी इसी तरह की भाषा का इस्तेमाल किया था, जब उसने अमेरिका से दक्षिण कोरिया से अपने 28,500 सैनिकों को वापस लेने और अपने परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए एक पूर्व शर्त के रूप में नियमित सैन्य अभ्यास को समाप्त करने की मांग की थी.

हालिया हफ्तों में उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया को निशाना बनाते हुए कई उकसाने वाले कृत्य किए. उसने दक्षिण कोरिया के साथ सभी संचार लाइनों को काट दिया था. अपने क्षेत्र में एक सोल निर्मित संपर्क कार्यालय को उड़ा दिया और सीमा पर तनाव को कम करने के लिए 2018 के सौदों को निरस्त करने वाले कदम उठाने की धमकी दी. विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तर कोरिया रुकी हुई परमाणु कूटनीति पर सोल और वाशिंगटन पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है.

पढ़ें- किम जोंग-उन ने दक्षिण कोरिया के खिलाफ सैन्य कार्रवाई स्थगित की

धमकी के बाद उत्तर कोरिया में सैन्य अभ्यास फिर से शुरू हो रहे थे, गार्ड पोस्टों को फिर से स्थापित किया जा रहा था. हालांकि बुधवार को उत्तर कोरिया ने कहा कि सैन्य नेताओं द्वारा मौजूदा स्थिति का जायजा लेने के बाद किम ने ऐसी कार्रवाई बंद कर दी थी.

विशेषज्ञों का कहना है कि संभव है कि उत्तर कोरिया दक्षिण कोरियाई रियायतों के लिए जगह छोड़ रहा हो या शायद सोल से अप्रत्याशित रूप से मजबूत प्रतिक्रियाओं के बारे में चिंतित है, जिसकी मदद की आवश्यकता फिर पड़ सकती है, जब वह भविषय में बातचीत के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका तक पहुंचना चाहेगा.

गौरतलब है कि दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने पर उत्तर कोरिया ने अंतर-कोरियाई सहयोग स्थलों पर सैनिकों को भेजने, गार्ड चौकियों का निर्माण करने और दक्षिण कोरिया के साथ लगती सीमा पर सैन्य अभ्यास शुरू करने की बात कही थी. दोनों देशों के बीच 2018 में हुए समझौते में ये सभी कदम प्रतिबंधित थे. उत्तर कोरिया के इन कदमों से 2018 का समझौता अमान्य हो जाएगा, जिसमें कहा गया था कि दोनों ही देश एक-दूसरे के खिलाफ कोई भी शत्रुतापूर्ण गतिविधि नहीं करेंगे.

सोल : दक्षिण कोरिया और संयुक्त राज्य अमेरिका ने उत्तर कोरिया से आग्रह किया है कि वह पिछली वार्ताओं में किए गए निरस्त्रीकरण के वादों को लागू करे. इसके साथ ही दोनों सहयोगी देशों ने गुरुवार को कहा कि वे उत्तर कोरिया को पूर्ण परमाणु मुक्त करने के उद्देश्य से कूटनीति पर जोर देते रहेंगे.

दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्री जियोंग कियोंग-डू और अमेरिकी रक्षा सचिव मार्क टी एस्पर द्वारा जारी संयुक्त बयान उत्तर कोरिया की उस घोषणा के एक दिन बाद आया, जिसमें कहा गया है कि वह अपने कदमों को निलंबित होगा, जिनसे 2018 के तनाव को कम करने वाले समझौते स्वतः खत्म हो जाएंगे और कोरियाई प्रायद्वीप में दुश्मनी बढ़ जाएगी.

कोरियाई युद्ध की शुरुआत की 70वीं वर्षगांठ को चिह्नित करने वाले बयान में सहयोगी देशों के रक्षा प्रमुखों ने कहा कि वे कोरियाई प्रायद्वीप पर कड़ी मेहनत से अर्जित शांति को बरकरार रखने के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध हैं, जिसमें डीपीआर कोरिया में पूर्ण परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए चल रहे राजनयिक प्रयासों का समर्थन भी शामिल है.

जियोंग और एस्पर ने यह भी कहा कि वे उत्तर कोरिया से आग्रह करते हैं कि जून 2018 में सिंगापुर में यूएस- उत्तर कोरिया शिखर वार्ता और सितंबर 2018 में अंतर-कोरियाई वार्ता के बाद जारी किए गए संयुक्त बयानों के क्रम में वह अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करे.

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ सिंगापुर के शिखर सम्मेलन के बाद जारी संयुक्त बयान में उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन ने कहा था कि उनका देश कोरियाई प्रायद्वीप के पूर्ण रूप से परमाणु निरस्त्रीकरण की दिशा में काम करने के लिए प्रतिबद्ध है. हालांकि उन्होंने तब यह उल्लेख नहीं किया था कि निरस्त्रीकरण के लिए कैसे और कब कदम उठाए जाएंगे.

उत्तर कोरिया ने पहले भी इसी तरह की भाषा का इस्तेमाल किया था, जब उसने अमेरिका से दक्षिण कोरिया से अपने 28,500 सैनिकों को वापस लेने और अपने परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए एक पूर्व शर्त के रूप में नियमित सैन्य अभ्यास को समाप्त करने की मांग की थी.

हालिया हफ्तों में उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया को निशाना बनाते हुए कई उकसाने वाले कृत्य किए. उसने दक्षिण कोरिया के साथ सभी संचार लाइनों को काट दिया था. अपने क्षेत्र में एक सोल निर्मित संपर्क कार्यालय को उड़ा दिया और सीमा पर तनाव को कम करने के लिए 2018 के सौदों को निरस्त करने वाले कदम उठाने की धमकी दी. विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तर कोरिया रुकी हुई परमाणु कूटनीति पर सोल और वाशिंगटन पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है.

पढ़ें- किम जोंग-उन ने दक्षिण कोरिया के खिलाफ सैन्य कार्रवाई स्थगित की

धमकी के बाद उत्तर कोरिया में सैन्य अभ्यास फिर से शुरू हो रहे थे, गार्ड पोस्टों को फिर से स्थापित किया जा रहा था. हालांकि बुधवार को उत्तर कोरिया ने कहा कि सैन्य नेताओं द्वारा मौजूदा स्थिति का जायजा लेने के बाद किम ने ऐसी कार्रवाई बंद कर दी थी.

विशेषज्ञों का कहना है कि संभव है कि उत्तर कोरिया दक्षिण कोरियाई रियायतों के लिए जगह छोड़ रहा हो या शायद सोल से अप्रत्याशित रूप से मजबूत प्रतिक्रियाओं के बारे में चिंतित है, जिसकी मदद की आवश्यकता फिर पड़ सकती है, जब वह भविषय में बातचीत के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका तक पहुंचना चाहेगा.

गौरतलब है कि दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने पर उत्तर कोरिया ने अंतर-कोरियाई सहयोग स्थलों पर सैनिकों को भेजने, गार्ड चौकियों का निर्माण करने और दक्षिण कोरिया के साथ लगती सीमा पर सैन्य अभ्यास शुरू करने की बात कही थी. दोनों देशों के बीच 2018 में हुए समझौते में ये सभी कदम प्रतिबंधित थे. उत्तर कोरिया के इन कदमों से 2018 का समझौता अमान्य हो जाएगा, जिसमें कहा गया था कि दोनों ही देश एक-दूसरे के खिलाफ कोई भी शत्रुतापूर्ण गतिविधि नहीं करेंगे.

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