ETV Bharat / international

सीएए आवश्यक नहीं पर यह भारत का आंतरिक मामला : शेख हसीना

author img

By

Published : Jan 19, 2020, 5:54 PM IST

Updated : Jan 19, 2020, 6:29 PM IST

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने नागरिकता संशोधन अधिनियम को गैर जरूरी बताया. उन्होंने यह प्रतिक्रिया गल्फ न्यूज को दिए एक साक्षात्कार में जाहिर की.

ETV  BHARAT
शेख हसीना

आबू धाबी : नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के अनुसार भारत का एक 'आंतरिक मामला' है, इस कानून के पारित होने के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में शेख हसीना इसे गैर जरूरी बताया है.

प्रधान मंत्री ने गल्फ न्यूज को दिए एक साक्षात्कार में कहा, 'हम यह नहीं समझते कि भारत सरकार ने ऐसा क्यों किया. यह आवश्यक नहीं था.'

सीएए को भारत की संसद ने पिछले दिसंबर में पारित किया था. कथित रूप से धार्मिक उत्पीड़न झेल रहे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धार्मिक अल्पसंख्यकों के सदस्यों के लिए नागरिकता का मार्ग प्रदान करता है.

इसमें 2014 में या उससे पहले से पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत गैरमुस्लिम पीड़ितों को नागरिकता दी जाएगी.

पढ़ें- CAA-NRC विरोध: मोदी और अमित शाह ने हमें एक कर दिया- सरदार दया सिंह

उन्होंने कहा कि बांग्लादेश ने हमेशा यह कहा है कि सीएए और एनआरसी भारत के आंतरिक मामले हैं. भारत सरकार ने भी बार-बार यह कहा है कि एनआरसी भारत का आंतरिक अभ्यास है और प्रधानमंत्री मोदी ने भी अक्टूबर 2019 में मेरी नई दिल्ली यात्रा के दौरान व्यक्तिगत रूप से मुझे इसका आश्वासन दिया है.

बांग्लादेश में 1 करोड़ 61 लाख की बड़ी आबादी के 10.7 प्रतिशत हिंदू और 0.6 प्रतिशत बौद्ध, ने धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत में किसी भी प्रवासन से इनकार किया है.

भारत में पिछले महीने सीएए के लागू होने के बाद और पूरे देश में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) लागू करने को लेकर भारत में लगातार विरोध प्रदर्शन चल रहा है.

रिवर्स माइग्रेशन पर बोलते हुए बांग्लादेशी प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की कि भारत से कोई रिवर्स नहीं हुआ है.

हसीना के कहा कि भारत से कोई रिवर्स माइग्रेशन नहीं हुआ है, लेकिन भारत के भीतर, लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

आबू धाबी : नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के अनुसार भारत का एक 'आंतरिक मामला' है, इस कानून के पारित होने के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में शेख हसीना इसे गैर जरूरी बताया है.

प्रधान मंत्री ने गल्फ न्यूज को दिए एक साक्षात्कार में कहा, 'हम यह नहीं समझते कि भारत सरकार ने ऐसा क्यों किया. यह आवश्यक नहीं था.'

सीएए को भारत की संसद ने पिछले दिसंबर में पारित किया था. कथित रूप से धार्मिक उत्पीड़न झेल रहे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धार्मिक अल्पसंख्यकों के सदस्यों के लिए नागरिकता का मार्ग प्रदान करता है.

इसमें 2014 में या उससे पहले से पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत गैरमुस्लिम पीड़ितों को नागरिकता दी जाएगी.

पढ़ें- CAA-NRC विरोध: मोदी और अमित शाह ने हमें एक कर दिया- सरदार दया सिंह

उन्होंने कहा कि बांग्लादेश ने हमेशा यह कहा है कि सीएए और एनआरसी भारत के आंतरिक मामले हैं. भारत सरकार ने भी बार-बार यह कहा है कि एनआरसी भारत का आंतरिक अभ्यास है और प्रधानमंत्री मोदी ने भी अक्टूबर 2019 में मेरी नई दिल्ली यात्रा के दौरान व्यक्तिगत रूप से मुझे इसका आश्वासन दिया है.

बांग्लादेश में 1 करोड़ 61 लाख की बड़ी आबादी के 10.7 प्रतिशत हिंदू और 0.6 प्रतिशत बौद्ध, ने धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत में किसी भी प्रवासन से इनकार किया है.

भारत में पिछले महीने सीएए के लागू होने के बाद और पूरे देश में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) लागू करने को लेकर भारत में लगातार विरोध प्रदर्शन चल रहा है.

रिवर्स माइग्रेशन पर बोलते हुए बांग्लादेशी प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की कि भारत से कोई रिवर्स नहीं हुआ है.

हसीना के कहा कि भारत से कोई रिवर्स माइग्रेशन नहीं हुआ है, लेकिन भारत के भीतर, लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

Intro:Body:

https://www.aninews.in/news/world/middle-east/hasina-says-caa-not-necessary-but-it-is-indias-internal-affair20200119165631/


Conclusion:
Last Updated : Jan 19, 2020, 6:29 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.