इस्लामाबाद : कराची में शुक्रवार को हजारों लोगों ने बड़े पैमाने पर शिया विरोधी प्रदर्शन में भाग लिया. जिससे पाकिस्तान में एक नए दौर की सांप्रदायिक हिंसा के पैदा होने का डर हो गया है. सोशल मीडिया विरोध के पोस्ट, तस्वीरों और वीडियो से भरा हुआ था, जिसमें प्रदर्शनकारियों के एक समुद्र को 'शिया काफिर हैं' (अविश्वासी) का नारा करते हुए देखा गया.
इस दौरान हैशटैग #ShiaGenocide जल्द ही पाकिस्तानी सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगा.
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, पिछले महीने एक अशूरा जुलूस को लेकर टेलीविजन प्रसारण में कथित रूप से इस्लाम के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने वाले देश के कुछ प्रमुख शिया नेताओं के विरोध में यह प्रदर्शन हुआ.
एक कार्यकर्ता, आफरीन ने कहा कि मुहर्रम की शुरुआत से कई शिया मुस्लिमों पर धार्मिक ग्रंथों को पढ़ने और आशूरा स्मरणोत्सव में भाग लेने पर हमला किया गया.
680 AD में वर्तमान इराक में करबला की लड़ाई में पैगंबर मुहम्मद के नाती हुसैन और उनके अनुयायियों की शहादत को आशूरा के दिन याद किया जाता है.
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आफरीन ने ट्वीट करते हुए कहा मुहर्रम की शुरुआत के बाद से हमने कई शिया अनुयायियों को धार्मिक ग्रंथों को पढ़ने और आशूरा स्मरणोत्सव में भाग लेने के लिए लक्षित करते देखा है. इस प्रदर्शन को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए.
कार्यकर्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री इमरान खान को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए क्योंकि उनकी सरकार शिया मुसलमानों के खिलाफ घृणास्पद भाषण का समर्थन कर रही है. उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें बताया गया था कि पाकिस्तान में आशूरा के जुलूसों को रोकने की मांग की जा रही थी.
आफरीन ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि कुछ साल पहले, पाकिस्तान में शियाओं को गुमनाम संदेश मिल रहे थे, जिसमें कहा गया था कि 'शिया को मार डालो'. आतंकवादियों ने हथगोले फेंके, जहां अशूरा जुलूस निकल रहे थे. कश्मीर और काबुल में शिया की घेराबंदी हो रही है और अभी भी लोगों को शिया नरसंहार (shia genocide) एक मिथ लगता है.
उन्होंने लिखा, मुझे बताया गया है कि पाकिस्तान में अशूरों के जुलूसों को रोकने के लिए मांग हो रही थी. यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि पाकिस्तान की सरकार ने ज्ञात आतंकवादियों को दूर-दूर तक अपने विरोधी शिया बयानबाजी फैलाने की अनुमति दी है. इसके लिए इमरान खान को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए.
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एक ट्विटर यूजर ने लिखा, मैं एक शिया हूं कराची में रहता हूं. कल, मेरा शहर काफिर काफिर शिया काफिर के नारों से गूंज उठा. कुछ घंटे बाद, राज्य ने बिलाल फारूकी ने को गिरफ्तार किया जो कि सांप्रदायिक हिंसा को कवर करने वाले पत्रकारों में से एक हैं. अगर यह शिया नरसंहार की ओर उठाया गया कदम नहीं है तो यह क्या है?
एक अन्य उपयोगकर्ता ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट पर पोस्ट किया, शुक्रवार की प्रार्थना के बाद खुलेआम शियाओं को धमकी देने वाला 'सांप्रदायिक आतंकवादी संगठन' की निंदा करने वालों को गिरफ्तार किया जाता है. यह इस बात का एक सबूत है कि पाकिस्तान शिया नरसिंहार में क्यों उलझा हुआ है.
पाकिस्तान में ईश निंदा एक संवेदनशील मुद्दा है और दोषी लोगों को इस्लाम में असंवेदनशील टिप्पणी करने के लिए मौत की सजा दी जाती है. पिछले कुछ दशकों में, सांप्रदायिक हिंसा ने पाकिस्तान को शिया और अहमदी विश्वासियों पर हमला करने के लिए उकसाया है और उनके मंदिरों को निशाना बनाया.