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फाइजर, मॉडर्ना के टीकों ने कोरोना जोखिम को 91% तक कम किया: अध्ययन

अमेरिका में किये गये एक अध्ययन के अनुसार जिन लोगों ने फाइजर और मॉडर्ना (Pfizer and Moderna) के कोविड-19 टीकों (COVID-19 vaccines ) की खुराक ली हैं. उनमें यह बीमारी होने की संभावना 91 प्रतिशत तक कम होती है.

फाइजर, मॉडर्ना
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Published : Jul 7, 2021, 7:31 PM IST

वॉशिंगटन : अमेरिका में किये गये एक अध्ययन के अनुसार जिन लोगों ने फाइजर और मॉडर्ना (Pfizer and Moderna) के कोविड-19 टीकों (COVID-19 vaccines ) की खुराक ली हैं. उनमें यह बीमारी होने की संभावना 91 प्रतिशत तक कम होती है. अध्ययन के अनुसार ये टीके लोगों में लक्षणों की गंभीरता और संक्रमण अवधि को भी कम करते हैं.

यह अध्ययन 30 जून को 'न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन' (New England Journal of Medicine ) में प्रकाशित हुआ है. फाइजर और मॉडर्ना के एमआरएनए टीकों में लोगों की कोशिकाओं के लिए सार्स-सीओवी -2 की स्पाइक प्रोटीन बनाने के वास्ते अनुवांशिक शक्ति होती हैं. सार्स सीओवी-2 का उपयोग वायरस मानव कोशिकाओं को संक्रमित और प्रवेश करने के लिए करता है.

अध्ययन में कहा गया है कि हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली तब स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का निर्माण करती है, और यह पता चलता है कि अगर भविष्य में हम इसका सामना करते हैं तो कोरोना वायरस से कैसे लड़ें. उताह विश्वविद्यालय, अमेरिका में एक सहायक प्रोफेसर और अध्ययन के सह-लेखक सारंग यून ने कहा कि इस अध्ययन के बारे में एक अनोखी बात यह है कि इसने टीकों के दूसरे लाभों के बारे में विचार किया.

अग्रिम मोर्चे के कर्मियो, चिकित्सकों और नर्सो के बीच संक्रमण के खतरे और दरों को मापने के लिए यह अध्ययन किया गया. यून ने कहा कि ये वे लोग हैं जो दिन-प्रतिदन वायरस के संपर्क में आ रहे हैं, और टीकों ने उन्हें इस बीमारी से बचा लिया. जो लोग टीकाकरण के बावजूद दुर्भाग्य से कोविड-19 से संक्रमित हुए, वे अभी भी उन लोगों की तुलना में बेहतर थे जिन्होंने टीकाकरण नहीं कराया है.

अध्ययन में पाया गया कि दूसरी खुराक के दो सप्ताह बाद प्रतिभागियों को ‘‘पूरी तरह से’’ टीका लगाए जाने के बाद एमआरएनए कोविड-19 टीके संक्रमण के जोखिम को कम करने में 91 प्रतिशत प्रभावी थे. अध्ययन में यह भी पाया गया कि टीके की पहली खुराक लिये जाने के दो सप्ताह बाद आंशिक टीकाकरण से संक्रमण का जोखिम कम करने में 81 प्रतिशत प्रभावी हैं.

अध्ययन में 3,975 प्रतिभागियों को शामिल किया गया. प्रतिभागियों ने 13 दिसंबर, 2020 और 10 अप्रैल, 2021 के बीच 17 सप्ताह के लिए साप्ताहिक आधार पर कोविड-19 परीक्षण के लिए नमूने दिये. प्रतिभागियों में से केवल 204 (पांच प्रतिशत) अंततः वायरस सार्स-सीओवी-2 से संक्रमित पाये गये और यही वायरस कोविड-19 का कारण बनता है. इनमें से 156 का टीकाकरण नहीं हुआ था, 32 के बारे में टीका लगाये जाने को लेकर अनिश्चित स्थिति थी, और 16 को पूरी तरह या आंशिक रूप से टीका लगाया गया था.

यह भी पढ़ें- भारत में पाए गए कोरोना के वेरिएंट पर ज्यादा प्रभावकारी नहीं है फाइजर : लांसेट

पूरी तरह से या आंशिक रूप से टीका लगाने वाले प्रतिभागियों में उन लोगों की तुलना में हल्के लक्षण थे, जिनका टीकाकरण नहीं हुआ था. जिन लोगों ने टीका लगवाया है और उनके इस वायरस से संक्रमित होने की स्थिति में उनमें बुखार होने की आशंका 58 प्रतिशत कम हो गई और बिस्तर पर बीमार पड़े रहने के दिनों में 60 प्रतिशत की कमी आई.

अध्ययन के निष्कर्षों से यह भी पता चलता है कि पूरी तरह या आंशिक रूप से टीकाकरण कराने वाले लोग यदि कोविड-19 से संक्रमित होते हैं तो उनके दूसरों में वायरस फैलाने की आशंका कम हो सकती है.

(पीटीआई भाषा)

वॉशिंगटन : अमेरिका में किये गये एक अध्ययन के अनुसार जिन लोगों ने फाइजर और मॉडर्ना (Pfizer and Moderna) के कोविड-19 टीकों (COVID-19 vaccines ) की खुराक ली हैं. उनमें यह बीमारी होने की संभावना 91 प्रतिशत तक कम होती है. अध्ययन के अनुसार ये टीके लोगों में लक्षणों की गंभीरता और संक्रमण अवधि को भी कम करते हैं.

यह अध्ययन 30 जून को 'न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन' (New England Journal of Medicine ) में प्रकाशित हुआ है. फाइजर और मॉडर्ना के एमआरएनए टीकों में लोगों की कोशिकाओं के लिए सार्स-सीओवी -2 की स्पाइक प्रोटीन बनाने के वास्ते अनुवांशिक शक्ति होती हैं. सार्स सीओवी-2 का उपयोग वायरस मानव कोशिकाओं को संक्रमित और प्रवेश करने के लिए करता है.

अध्ययन में कहा गया है कि हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली तब स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का निर्माण करती है, और यह पता चलता है कि अगर भविष्य में हम इसका सामना करते हैं तो कोरोना वायरस से कैसे लड़ें. उताह विश्वविद्यालय, अमेरिका में एक सहायक प्रोफेसर और अध्ययन के सह-लेखक सारंग यून ने कहा कि इस अध्ययन के बारे में एक अनोखी बात यह है कि इसने टीकों के दूसरे लाभों के बारे में विचार किया.

अग्रिम मोर्चे के कर्मियो, चिकित्सकों और नर्सो के बीच संक्रमण के खतरे और दरों को मापने के लिए यह अध्ययन किया गया. यून ने कहा कि ये वे लोग हैं जो दिन-प्रतिदन वायरस के संपर्क में आ रहे हैं, और टीकों ने उन्हें इस बीमारी से बचा लिया. जो लोग टीकाकरण के बावजूद दुर्भाग्य से कोविड-19 से संक्रमित हुए, वे अभी भी उन लोगों की तुलना में बेहतर थे जिन्होंने टीकाकरण नहीं कराया है.

अध्ययन में पाया गया कि दूसरी खुराक के दो सप्ताह बाद प्रतिभागियों को ‘‘पूरी तरह से’’ टीका लगाए जाने के बाद एमआरएनए कोविड-19 टीके संक्रमण के जोखिम को कम करने में 91 प्रतिशत प्रभावी थे. अध्ययन में यह भी पाया गया कि टीके की पहली खुराक लिये जाने के दो सप्ताह बाद आंशिक टीकाकरण से संक्रमण का जोखिम कम करने में 81 प्रतिशत प्रभावी हैं.

अध्ययन में 3,975 प्रतिभागियों को शामिल किया गया. प्रतिभागियों ने 13 दिसंबर, 2020 और 10 अप्रैल, 2021 के बीच 17 सप्ताह के लिए साप्ताहिक आधार पर कोविड-19 परीक्षण के लिए नमूने दिये. प्रतिभागियों में से केवल 204 (पांच प्रतिशत) अंततः वायरस सार्स-सीओवी-2 से संक्रमित पाये गये और यही वायरस कोविड-19 का कारण बनता है. इनमें से 156 का टीकाकरण नहीं हुआ था, 32 के बारे में टीका लगाये जाने को लेकर अनिश्चित स्थिति थी, और 16 को पूरी तरह या आंशिक रूप से टीका लगाया गया था.

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पूरी तरह से या आंशिक रूप से टीका लगाने वाले प्रतिभागियों में उन लोगों की तुलना में हल्के लक्षण थे, जिनका टीकाकरण नहीं हुआ था. जिन लोगों ने टीका लगवाया है और उनके इस वायरस से संक्रमित होने की स्थिति में उनमें बुखार होने की आशंका 58 प्रतिशत कम हो गई और बिस्तर पर बीमार पड़े रहने के दिनों में 60 प्रतिशत की कमी आई.

अध्ययन के निष्कर्षों से यह भी पता चलता है कि पूरी तरह या आंशिक रूप से टीकाकरण कराने वाले लोग यदि कोविड-19 से संक्रमित होते हैं तो उनके दूसरों में वायरस फैलाने की आशंका कम हो सकती है.

(पीटीआई भाषा)

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