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बलात्कार पीड़ितों की टू-फिंगर जांच के पक्ष में नहीं पाक सरकार - pakistan government

पाकिस्तान में स्वास्थ्य संबंधी अन्य विभागों ने भी पिछले महीने टीएफटी जांच को मेडिको-लीगल सर्टिफिकेट के प्रोटोकॉल से हटाने की सलाह दी थी. वहीं, इस मामले पर लाहौर हाईकोर्ट अगले महीने के पहले हफ्ते में टू-फिंगर जांच मामले की सुनवाई शुरू करेगा.

pakistan government is not in favor of two finger investigation of rape victims
टू-फिंगर जांच के पक्ष में नहीं पाक सरकार
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Published : Oct 10, 2020, 3:53 PM IST

इस्लामाबाद : पाकिस्तान की इमरान सरकार ने कहा है कि वह बलात्कार की पुष्टि के लिए पीड़ितों पर की जाने वाली टू-फिंगर जांच (टीएफटी) के पक्ष में नहीं है. सरकार ने सुझाव दिया कि यौन उत्पीड़न के मामलों में इसे चिकित्सा-कानूनी परीक्षण रिपोर्ट का हिस्सा नहीं बनाया जाना चाहिए.

अतिरिक्त अटॉर्नी जनरल ने दी सरकार को जानकारी
पाक मीडिया के मुताबिक, कानून एवं न्याय मंत्रालय की ओर से लाहौर में अतिरिक्त अटॉर्नी जनरल चौधरी इश्तियाक अहमद खान को सरकार की इस सिफारिश के बाबत जानकारी दी गई है. अब खान संघीय सरकार के इस रुख के बारे में लाहौर उच्च न्यायालय को अवगत करवाएंगे.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी जताई थी असहमति
वहीं, इस मामले पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने पहले कहा था कि टीएफटी 'अवैज्ञानिक, चिकित्सीय रूप से गैर जरूरी तथा भरोसे लायक नहीं' है. इस वक्तव्य की पृष्ठभूमि में अदालत ने कानून मंत्रालय से जवाब भी मांगा था.

खबर के मुताबिक, अदालत में दो जनहित याचिकाएं भी दायर की गई हैं, जिनमें टीएफटी को चुनौती दी गई है. इन याचिकाओं में कहा गया है कि टीएफटी अपमानजनक, अमानवीय तथा महिला के बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन करने वाली है.

पढ़ें: जज और सैन्य अधिकारी वाणिज्यिक भूखंड के हकदार नहीं : पाक कोर्ट

अगले महीने होगी मामले की सुनवाई
इससे पहले, पिछले महीने हुई सुनवाई में स्वास्थ्य संबंधी अन्य विभागों ने भी इस जांच को मेडिको-लीगल सर्टिफिकेट के प्रोटोकॉल से हटाने का सलाह दी थी. इस मामले पर लाहौर हाईकोर्ट अगले महीने के पहले हफ्ते में टीएफटी जांच मामले की सुनवाई शुरू करेगा.

इस्लामाबाद : पाकिस्तान की इमरान सरकार ने कहा है कि वह बलात्कार की पुष्टि के लिए पीड़ितों पर की जाने वाली टू-फिंगर जांच (टीएफटी) के पक्ष में नहीं है. सरकार ने सुझाव दिया कि यौन उत्पीड़न के मामलों में इसे चिकित्सा-कानूनी परीक्षण रिपोर्ट का हिस्सा नहीं बनाया जाना चाहिए.

अतिरिक्त अटॉर्नी जनरल ने दी सरकार को जानकारी
पाक मीडिया के मुताबिक, कानून एवं न्याय मंत्रालय की ओर से लाहौर में अतिरिक्त अटॉर्नी जनरल चौधरी इश्तियाक अहमद खान को सरकार की इस सिफारिश के बाबत जानकारी दी गई है. अब खान संघीय सरकार के इस रुख के बारे में लाहौर उच्च न्यायालय को अवगत करवाएंगे.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी जताई थी असहमति
वहीं, इस मामले पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने पहले कहा था कि टीएफटी 'अवैज्ञानिक, चिकित्सीय रूप से गैर जरूरी तथा भरोसे लायक नहीं' है. इस वक्तव्य की पृष्ठभूमि में अदालत ने कानून मंत्रालय से जवाब भी मांगा था.

खबर के मुताबिक, अदालत में दो जनहित याचिकाएं भी दायर की गई हैं, जिनमें टीएफटी को चुनौती दी गई है. इन याचिकाओं में कहा गया है कि टीएफटी अपमानजनक, अमानवीय तथा महिला के बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन करने वाली है.

पढ़ें: जज और सैन्य अधिकारी वाणिज्यिक भूखंड के हकदार नहीं : पाक कोर्ट

अगले महीने होगी मामले की सुनवाई
इससे पहले, पिछले महीने हुई सुनवाई में स्वास्थ्य संबंधी अन्य विभागों ने भी इस जांच को मेडिको-लीगल सर्टिफिकेट के प्रोटोकॉल से हटाने का सलाह दी थी. इस मामले पर लाहौर हाईकोर्ट अगले महीने के पहले हफ्ते में टीएफटी जांच मामले की सुनवाई शुरू करेगा.

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