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वैश्विक समुदाय को अफगानिस्तान नहीं छोड़ना चाहिए : शाह महमूद कुरैशी - Shah Mahmood Qureshi

पाकिस्तान के विदेश मंत्री (pakistan's Foreign Minister) शाह महमूद कुरैशी (Shah Mahmood Qureshi) ने मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अफगानिस्तान को अकेले नहीं छोड़ने की चेतावनी देते हुए कहा कि अतीत की गलतियों को दोहराने और युद्धग्रस्त देश के आर्थिक पतन (economic collapse) के गंभीर परिणाम होंगे.

शाह महमूद कुरैशी
शाह महमूद कुरैशी
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Published : Aug 31, 2021, 6:03 PM IST

इस्लामाबाद : पाकिस्तान के विदेश मंत्री (pakistan's Foreign Minister) शाह महमूद कुरैशी (Shah Mahmood Qureshi) ने मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अफगानिस्तान को अकेले नहीं छोड़ने की चेतावनी देते हुए कहा कि अतीत की गलतियों को दोहराने और युद्धग्रस्त देश के आर्थिक पतन (economic collapse) के गंभीर परिणाम होंगे.

द्विपक्षीय मुद्दों (bilateral issues) और क्षेत्रीय स्थितियों पर चर्चा करने के लिए दो दिवसीय यात्रा पर यहां आए अपने जर्मन समकक्ष हेइको मास (Heiko Maas) के साथ एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यह अफगानिस्तान के इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण (pivotal moment in Afghanistan's history) है.

कुरैशी ने कहा, 'अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को इंगेज रहना चाहिए, मानवीय सहायता प्रवाहित होनी चाहिए, अफगानिस्तान में आर्थिक पतन न होने दें.'

उन्होंने अतीत की गलतियों को दोहराने के खिलाफ चेतावनी देते हुए कहा कि अफगानिस्तान को छोड़ना कोई विकल्प नहीं है, क्योंकि इसके गंभीर परिणाम होंग

कुरैशी ने कहा कि अफगानिस्तान में स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय का सहयोग जरूरी है और जर्मन विदेश मंत्री (German foreign minister) स्थिति का आकलन करने और अफगानिस्तान में रहने के महत्व को समझने के लिए बेहतर स्थिति में होंगे.

उन्होंने कहा कि यह आपको एक बहुत अच्छा समग्र दृष्टिकोण देगा कि चुनौतियां क्या हैं, चिंताएं क्या हैं, अवसर क्या हैं और आने वाले दिनों में क्या करने की आवश्यकता है.

कुरैशी ने दुनिया से अफगानिस्तान में बिगाड़ने वालों की भूमिका के बारे में सतर्क रहने का आग्रह किया. अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को शांति के लिए खड़े लोगों और बिगाड़ने वालों के बीच अंतर करना होगा.

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान दशकों से 30 लाख से अधिक अफगान शरणार्थियों की मेजबानी कर रहा है और उन्होंने अफगानिस्तान में एक ऐसा माहौल बनाने की जरूरत पर जोर दिया, ताकि फिर से पलायन की जरूरत न पड़े.

गनी सरकार के पतन पर टिप्पणी करते हुए कुरैशी ने कहा कि वे अफगानिस्तान की वास्तविक स्थिति पर सच नहीं बोल रहे हैं.

उन्होंने कहा कि तालिबान के हालिया बयान उत्साहजनक हैं और उन्हें मानवाधिकारों और अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के प्रति सम्मान (respect for human rights and international norms) दिखाना होगा.

वहीं मास ने अपनी टिप्पणी में कहा कि तालिबान ने एक समावेशी सरकार बनाने के लिए प्रतिबद्धता और प्रतिज्ञा की थी, लेकिन यह देखा जाना बाकी है कि क्या वे अपने वादे निभाएंगे.

उन्होंने कहा, 'हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि सभी अफगान, यहां तक कि वे जो तालिबान का समर्थन नहीं करते हैं, इस सरकार द्वारा प्रतिनिधित्व महसूस करते हैं और यह देखा जाना बाकी है कि क्या तालिबान इसे ध्यान में रखते हैं.'

उन्होंने कहा कि काबुल हवाईअड्डे के फिर से चालू होने और योग्य लोगों को जर्मनी ले जाने के बाद जर्मनी अन्य देशों के साथ घनिष्ठ समन्वय में चार्टर उड़ानों के आयोजन की तैयारी कर रहा था.

पढ़ें - बलूचिस्तान में 11 आईएसआईएस आतंकवादी मारे गए : पाकिस्तान

इससे पहले कुरैशी और मास ने प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता में अपने पक्षों का नेतृत्व किया, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने और क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा, विशेष रूप से अफगानिस्तान की स्थिति पर ध्यान केंद्रित किया गया था.

दो दशक के युद्ध के बाद 31 अगस्त को अमेरिका की पूरी सेना की वापसी से दो हफ्ते पहले तालिबान ने 15 अगस्त को अफगानिस्तान में सत्ता पर कब्जा कर लिया था. इसने अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी को देश छोड़कर संयुक्त अरब अमीरात जाने के लिए मजबूर किया.

तालिबान विद्रोहियों ने पूरे अफगानिस्तान में धावा बोल दिया और कुछ ही दिनों में सभी प्रमुख शहरों पर कब्जा कर लिया, क्योंकि अमेरिका और उसके सहयोगियों द्वारा प्रशिक्षित और सुसज्जित अफगान सुरक्षा बल पिघल गए.

नए तालिबान शासन से बचने और अमेरिका और कई यूरोपीय देशों सहित विभिन्न देशों में शरण लेने के लिए हजारों अफगान नागरिक और विदेशी देश छोड़कर भाग गए हैं, जिसके परिणामस्वरूप कुल अराजकता और मौतें हुई हैं.

इस्लामाबाद : पाकिस्तान के विदेश मंत्री (pakistan's Foreign Minister) शाह महमूद कुरैशी (Shah Mahmood Qureshi) ने मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अफगानिस्तान को अकेले नहीं छोड़ने की चेतावनी देते हुए कहा कि अतीत की गलतियों को दोहराने और युद्धग्रस्त देश के आर्थिक पतन (economic collapse) के गंभीर परिणाम होंगे.

द्विपक्षीय मुद्दों (bilateral issues) और क्षेत्रीय स्थितियों पर चर्चा करने के लिए दो दिवसीय यात्रा पर यहां आए अपने जर्मन समकक्ष हेइको मास (Heiko Maas) के साथ एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यह अफगानिस्तान के इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण (pivotal moment in Afghanistan's history) है.

कुरैशी ने कहा, 'अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को इंगेज रहना चाहिए, मानवीय सहायता प्रवाहित होनी चाहिए, अफगानिस्तान में आर्थिक पतन न होने दें.'

उन्होंने अतीत की गलतियों को दोहराने के खिलाफ चेतावनी देते हुए कहा कि अफगानिस्तान को छोड़ना कोई विकल्प नहीं है, क्योंकि इसके गंभीर परिणाम होंग

कुरैशी ने कहा कि अफगानिस्तान में स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय का सहयोग जरूरी है और जर्मन विदेश मंत्री (German foreign minister) स्थिति का आकलन करने और अफगानिस्तान में रहने के महत्व को समझने के लिए बेहतर स्थिति में होंगे.

उन्होंने कहा कि यह आपको एक बहुत अच्छा समग्र दृष्टिकोण देगा कि चुनौतियां क्या हैं, चिंताएं क्या हैं, अवसर क्या हैं और आने वाले दिनों में क्या करने की आवश्यकता है.

कुरैशी ने दुनिया से अफगानिस्तान में बिगाड़ने वालों की भूमिका के बारे में सतर्क रहने का आग्रह किया. अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को शांति के लिए खड़े लोगों और बिगाड़ने वालों के बीच अंतर करना होगा.

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान दशकों से 30 लाख से अधिक अफगान शरणार्थियों की मेजबानी कर रहा है और उन्होंने अफगानिस्तान में एक ऐसा माहौल बनाने की जरूरत पर जोर दिया, ताकि फिर से पलायन की जरूरत न पड़े.

गनी सरकार के पतन पर टिप्पणी करते हुए कुरैशी ने कहा कि वे अफगानिस्तान की वास्तविक स्थिति पर सच नहीं बोल रहे हैं.

उन्होंने कहा कि तालिबान के हालिया बयान उत्साहजनक हैं और उन्हें मानवाधिकारों और अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के प्रति सम्मान (respect for human rights and international norms) दिखाना होगा.

वहीं मास ने अपनी टिप्पणी में कहा कि तालिबान ने एक समावेशी सरकार बनाने के लिए प्रतिबद्धता और प्रतिज्ञा की थी, लेकिन यह देखा जाना बाकी है कि क्या वे अपने वादे निभाएंगे.

उन्होंने कहा, 'हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि सभी अफगान, यहां तक कि वे जो तालिबान का समर्थन नहीं करते हैं, इस सरकार द्वारा प्रतिनिधित्व महसूस करते हैं और यह देखा जाना बाकी है कि क्या तालिबान इसे ध्यान में रखते हैं.'

उन्होंने कहा कि काबुल हवाईअड्डे के फिर से चालू होने और योग्य लोगों को जर्मनी ले जाने के बाद जर्मनी अन्य देशों के साथ घनिष्ठ समन्वय में चार्टर उड़ानों के आयोजन की तैयारी कर रहा था.

पढ़ें - बलूचिस्तान में 11 आईएसआईएस आतंकवादी मारे गए : पाकिस्तान

इससे पहले कुरैशी और मास ने प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता में अपने पक्षों का नेतृत्व किया, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने और क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा, विशेष रूप से अफगानिस्तान की स्थिति पर ध्यान केंद्रित किया गया था.

दो दशक के युद्ध के बाद 31 अगस्त को अमेरिका की पूरी सेना की वापसी से दो हफ्ते पहले तालिबान ने 15 अगस्त को अफगानिस्तान में सत्ता पर कब्जा कर लिया था. इसने अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी को देश छोड़कर संयुक्त अरब अमीरात जाने के लिए मजबूर किया.

तालिबान विद्रोहियों ने पूरे अफगानिस्तान में धावा बोल दिया और कुछ ही दिनों में सभी प्रमुख शहरों पर कब्जा कर लिया, क्योंकि अमेरिका और उसके सहयोगियों द्वारा प्रशिक्षित और सुसज्जित अफगान सुरक्षा बल पिघल गए.

नए तालिबान शासन से बचने और अमेरिका और कई यूरोपीय देशों सहित विभिन्न देशों में शरण लेने के लिए हजारों अफगान नागरिक और विदेशी देश छोड़कर भाग गए हैं, जिसके परिणामस्वरूप कुल अराजकता और मौतें हुई हैं.

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