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देश में राजनीतिक संकट के बीच नेपाल की राष्ट्रपति ने बुलाई सर्वदलीय बैठक - राष्ट्रपति विद्या भंडारी ने सर्वदलीय बैठक बुलाई

नेपाल में राजनीतिक संकट के बीच राष्ट्रपति विद्या भंडारी ने सर्वदलीय बैठक बुलाई है. इस बैठक में राष्ट्रपति भंडारी ने संसद में प्रतिनिधित्व करने वाले सभी दलों के नेताओं और पूर्व प्रधानमंत्रियों को समकालीन राजनीति पर चर्चा के लिए बुलाया है.

नेपाल की राष्ट्रपति ने बुलाई सर्वदलीय बैठक
नेपाल की राष्ट्रपति ने बुलाई सर्वदलीय बैठक
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Published : Mar 16, 2021, 4:51 PM IST

काठमांडू : नेपाल की राष्ट्रपति विद्या भंडारी ने देश में जारी राजनीतिक संकट के बीच समकालीन मुद्दों पर चर्चा के लिए मंगलवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है. काठमांडू पोस्ट की खबर के अनुसार, राष्ट्रपति कर्यालाय के वरिष्ठ संचार विशेषज्ञ टीका ढकल ने बताया कि राष्ट्रपति भंडारी ने संसद में प्रतिनिधित्व करने वाले सभी दलों के नेताओं और पूर्व प्रधानमंत्रियों को समकालीन राजनीति पर चर्चा के लिए बुलाया है.

प्रधानमंत्री ओली की नेकपा एमाले, माधव कुमार नेपाल और झल्ला नाथ खनाल नीत नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी, पुष्प कमल दहल प्रचंड के नेतृत्व वाली नेकपा (माओवादी केन्द्र), जनता समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय प्रजातांत्र पार्टी, राष्ट्रीय जनमोर्चा और नेपाल मजदूर लिसा पार्टी के नेता इस बैठक में शामिल होंगे.

इससे पहले, हिमालयन टाइम्स की खबर के अनुसार नेकपा-माओवादी केन्द्र के सदस्य शिव कुमार मंडल ने कहा, पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड सदैव ही देश की सभी कम्युनिस्ट शक्तियों के बीच एकजुटता के पक्ष में रहे हैं और सुझाव दिया कि यदि पार्टी के नाम से माओवादी केन्द्र हटाने से इन शक्तियों को एकजुट होने में मदद मिल सकती है तो पार्टी उसके लिए तैयार है.

पार्टी के नाम में बदलाव का प्रस्ताव ऐसे समय में आया है जब नेकपा-माओवादी केन्द्र थोड़ी मुश्किलों में है. उच्चतम न्यायालय ने प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली के नेकपा-एमाले का नेकपा-माओवादी केन्द्र में विलय को खारिज कर दिया है.

पढ़ें- भारत-पाक के बीच सार्थक बातचीत का माहौल बनाने की जिम्मेदारी पाक पर : श्रृंगला

इससे एक ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गयी, जहां प्रधानमंत्री ओली पार्टी में अपनी स्थिति मजबूत होने के रूप में देखते हैं. उन्हें केंद्रीय समिति और संसदीय दल में स्पष्ट बहुमत प्राप्त है.

गौरतलब है कि 2017 के आम चुनाव में नेकपा-एमाले और नेकपा-माओवादी केन्द्र के गठबंधन की जीत के बाद दोनों ही दलों ने मई, 2018 में नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के रूप में आपस में विलय कर लिया था.

दिसंबर, 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा को भंग करने के ओली के कदम के बाद सत्तारूढ़ एनसीपी में विभाजन हो गया था. अपने ऐतिहासिक फैसले में शीर्ष अदालत ने संसद के निचले सदन को बहाल कर दिया था.

काठमांडू : नेपाल की राष्ट्रपति विद्या भंडारी ने देश में जारी राजनीतिक संकट के बीच समकालीन मुद्दों पर चर्चा के लिए मंगलवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है. काठमांडू पोस्ट की खबर के अनुसार, राष्ट्रपति कर्यालाय के वरिष्ठ संचार विशेषज्ञ टीका ढकल ने बताया कि राष्ट्रपति भंडारी ने संसद में प्रतिनिधित्व करने वाले सभी दलों के नेताओं और पूर्व प्रधानमंत्रियों को समकालीन राजनीति पर चर्चा के लिए बुलाया है.

प्रधानमंत्री ओली की नेकपा एमाले, माधव कुमार नेपाल और झल्ला नाथ खनाल नीत नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी, पुष्प कमल दहल प्रचंड के नेतृत्व वाली नेकपा (माओवादी केन्द्र), जनता समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय प्रजातांत्र पार्टी, राष्ट्रीय जनमोर्चा और नेपाल मजदूर लिसा पार्टी के नेता इस बैठक में शामिल होंगे.

इससे पहले, हिमालयन टाइम्स की खबर के अनुसार नेकपा-माओवादी केन्द्र के सदस्य शिव कुमार मंडल ने कहा, पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड सदैव ही देश की सभी कम्युनिस्ट शक्तियों के बीच एकजुटता के पक्ष में रहे हैं और सुझाव दिया कि यदि पार्टी के नाम से माओवादी केन्द्र हटाने से इन शक्तियों को एकजुट होने में मदद मिल सकती है तो पार्टी उसके लिए तैयार है.

पार्टी के नाम में बदलाव का प्रस्ताव ऐसे समय में आया है जब नेकपा-माओवादी केन्द्र थोड़ी मुश्किलों में है. उच्चतम न्यायालय ने प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली के नेकपा-एमाले का नेकपा-माओवादी केन्द्र में विलय को खारिज कर दिया है.

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इससे एक ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गयी, जहां प्रधानमंत्री ओली पार्टी में अपनी स्थिति मजबूत होने के रूप में देखते हैं. उन्हें केंद्रीय समिति और संसदीय दल में स्पष्ट बहुमत प्राप्त है.

गौरतलब है कि 2017 के आम चुनाव में नेकपा-एमाले और नेकपा-माओवादी केन्द्र के गठबंधन की जीत के बाद दोनों ही दलों ने मई, 2018 में नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के रूप में आपस में विलय कर लिया था.

दिसंबर, 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा को भंग करने के ओली के कदम के बाद सत्तारूढ़ एनसीपी में विभाजन हो गया था. अपने ऐतिहासिक फैसले में शीर्ष अदालत ने संसद के निचले सदन को बहाल कर दिया था.

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