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भारत, चीन के साथ संबंधों को हानि पहुंचाने वाले एनजीओ को रोकेगा नेपाल

भारत और चीन के साथ संबंधों को नुकसान पहुंचा सकने वाले कार्यक्रम संचालित करने से अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) को हतोत्साहित करने के लिए नेपाल एक नई नीति का मसौदा तैयार कर रहा है. जानें विस्तार से..

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पीएम मोदी, केपी ओली
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Published : Jan 13, 2020, 12:06 AM IST

काठमांडू : भारत और चीन के साथ संबंधों को नुकसान पहुंचा सकने वाले कार्यक्रम संचालित करने से अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) को हतोत्साहित करने के लिए नेपाल एक नई नीति का मसौदा तैयार कर रहा है. अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी.

सीमा पार आतंकवाद और आपराधिक गतिविधियां भारत के लिए बड़ी चिंता का बड़ा कारण बने हुए हैं, जबकि चीन ने तिब्बतियों की गतिविधियों के बारे में अतीत में नेपाल से शिकायत की है.

काठमांडू पोस्ट की खबर में कहा गया है कि समाज कल्याण परिषद् द्वारा तैयार की जा रही रणनीतिक नीति के मसौदे के मुताबिक संबंधों को संतुलित रखने की नेपाल की विदेश नीति के आधार पर उन परियोजनाओं का क्रियान्वयन नहीं किया जा रहा है, जिसका दोनों पड़ोसी देशों में से कोई देश विरोध करता हो.

मसौदा के मुताबिक, 'नेपाल एक भूआबद्ध (सभी ओर से जमीन से घिरा हुआ) देश है और उसके उत्तर और दक्षिण में दो बड़ी आबादी वाले देश (भारत और चीन) हैं.'

यह नीति एनजीओ को वैसे कार्यक्रम संचालित करने से हतोत्साहित करेगी, जो नेपाल के पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को नुकसान पहुंचा सकते हैं.

परिषद् के अधिकारियों ने कहा कि नीति अब भी मसौदा के स्तर पर है और इसके कुछ प्रावधानों के संबंध में एनजीओ पंजीकरण पर नया कानून अहम होगा.

परिषद् में सूचना अधिकारी दुर्गा प्रसाद भट्टराई ने कहा कि प्रस्तावित नीति का लक्ष्य एनजीओ की गतिविधियों, खासतौर पर सीमावर्ती क्षेत्रों से जुड़ी चिंताओं को दूर करना होगा.

पोस्ट ने भट्टराई को उद्धृत करते हुए कहा, 'प्रस्तावित नीति का उद्देश्य इस बात पर जोर देना है कि नेपाल सरकार, खासतौर पर सीमावर्ती क्षेत्रों में, मदरसों एवं मठों के निर्माण के जरिए अंतरराष्ट्रीय एनजीओ की रणनीतिक गतिशीलता को लेकर चिंतित है.'

परिषद् के मुताबिक भारत से लगे सीमावर्ती क्षेत्रों में मदरसों को कतर, सऊदी अरब और तुर्की जैसे देशों से धन मिल रहे हैं.

परिषद् में सदस्य सचिव राजेंद कुमार पौडेल ने स्वीकार किया कि भारत ने गृह मंत्रालय के जरिए सीमावर्ती क्षेत्र में मदरसों की बड़ी मौजूदगी के बारे में चिंता जाहिर की है.

उन्होंने कहा, 'इसलिए हमने विदेशी धन की मंजूरी मुहैया करने के दौरान धन के स्रोत की जांच के लिए और मदरसों में संचालित हो रहे कार्यक्रमों की प्रकृति की छानबीन के लिए कदम उठाए हैं. हम भारत की चिंताओं को दूर करने के पक्ष में हैं लेकिन हमने काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास से कोई राय नहीं ली है.'

हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि सभी मदरसों को एक जैसा बताना गलत होगा.

ये भी पढ़ें- नेपाल में मनाया गया विश्व हिन्दी दिवस

उन्होंने कहा, 'मोरंग और सुनसारी में कुछ मदरसे शिक्षा प्रदान करने में अच्छा काम कर रहे हैं और कई अन्य मदरसे सीमा पार पांच से 10 किमी के दायरे में रहने वाले क्षेत्रों से भी छात्रों को आकर्षित कर रहे हैं.'

उन्होंने कहा, 'हम चीन से लगे सीमावर्ती इलाकों में भी एनजीओ की गतिविधियों के बारे में समान रूप से संवेदनशील हैं ताकि उत्तरी पड़ोसी देश (चीन) के साथ हमारे संबंधों पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़े. '

पोस्ट की खबर के मुताबिक भारत ने अतीत में कहा है कि मदरसों में चरमपंथ के किसी भी तरह के प्रसार से नेपाल की आंतरिक सुरक्षा को खतरा हो सकता है और उसने काठमांडू को बार-बार सतर्क रहने को भी कहा है.

काठमांडू : भारत और चीन के साथ संबंधों को नुकसान पहुंचा सकने वाले कार्यक्रम संचालित करने से अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) को हतोत्साहित करने के लिए नेपाल एक नई नीति का मसौदा तैयार कर रहा है. अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी.

सीमा पार आतंकवाद और आपराधिक गतिविधियां भारत के लिए बड़ी चिंता का बड़ा कारण बने हुए हैं, जबकि चीन ने तिब्बतियों की गतिविधियों के बारे में अतीत में नेपाल से शिकायत की है.

काठमांडू पोस्ट की खबर में कहा गया है कि समाज कल्याण परिषद् द्वारा तैयार की जा रही रणनीतिक नीति के मसौदे के मुताबिक संबंधों को संतुलित रखने की नेपाल की विदेश नीति के आधार पर उन परियोजनाओं का क्रियान्वयन नहीं किया जा रहा है, जिसका दोनों पड़ोसी देशों में से कोई देश विरोध करता हो.

मसौदा के मुताबिक, 'नेपाल एक भूआबद्ध (सभी ओर से जमीन से घिरा हुआ) देश है और उसके उत्तर और दक्षिण में दो बड़ी आबादी वाले देश (भारत और चीन) हैं.'

यह नीति एनजीओ को वैसे कार्यक्रम संचालित करने से हतोत्साहित करेगी, जो नेपाल के पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को नुकसान पहुंचा सकते हैं.

परिषद् के अधिकारियों ने कहा कि नीति अब भी मसौदा के स्तर पर है और इसके कुछ प्रावधानों के संबंध में एनजीओ पंजीकरण पर नया कानून अहम होगा.

परिषद् में सूचना अधिकारी दुर्गा प्रसाद भट्टराई ने कहा कि प्रस्तावित नीति का लक्ष्य एनजीओ की गतिविधियों, खासतौर पर सीमावर्ती क्षेत्रों से जुड़ी चिंताओं को दूर करना होगा.

पोस्ट ने भट्टराई को उद्धृत करते हुए कहा, 'प्रस्तावित नीति का उद्देश्य इस बात पर जोर देना है कि नेपाल सरकार, खासतौर पर सीमावर्ती क्षेत्रों में, मदरसों एवं मठों के निर्माण के जरिए अंतरराष्ट्रीय एनजीओ की रणनीतिक गतिशीलता को लेकर चिंतित है.'

परिषद् के मुताबिक भारत से लगे सीमावर्ती क्षेत्रों में मदरसों को कतर, सऊदी अरब और तुर्की जैसे देशों से धन मिल रहे हैं.

परिषद् में सदस्य सचिव राजेंद कुमार पौडेल ने स्वीकार किया कि भारत ने गृह मंत्रालय के जरिए सीमावर्ती क्षेत्र में मदरसों की बड़ी मौजूदगी के बारे में चिंता जाहिर की है.

उन्होंने कहा, 'इसलिए हमने विदेशी धन की मंजूरी मुहैया करने के दौरान धन के स्रोत की जांच के लिए और मदरसों में संचालित हो रहे कार्यक्रमों की प्रकृति की छानबीन के लिए कदम उठाए हैं. हम भारत की चिंताओं को दूर करने के पक्ष में हैं लेकिन हमने काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास से कोई राय नहीं ली है.'

हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि सभी मदरसों को एक जैसा बताना गलत होगा.

ये भी पढ़ें- नेपाल में मनाया गया विश्व हिन्दी दिवस

उन्होंने कहा, 'मोरंग और सुनसारी में कुछ मदरसे शिक्षा प्रदान करने में अच्छा काम कर रहे हैं और कई अन्य मदरसे सीमा पार पांच से 10 किमी के दायरे में रहने वाले क्षेत्रों से भी छात्रों को आकर्षित कर रहे हैं.'

उन्होंने कहा, 'हम चीन से लगे सीमावर्ती इलाकों में भी एनजीओ की गतिविधियों के बारे में समान रूप से संवेदनशील हैं ताकि उत्तरी पड़ोसी देश (चीन) के साथ हमारे संबंधों पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़े. '

पोस्ट की खबर के मुताबिक भारत ने अतीत में कहा है कि मदरसों में चरमपंथ के किसी भी तरह के प्रसार से नेपाल की आंतरिक सुरक्षा को खतरा हो सकता है और उसने काठमांडू को बार-बार सतर्क रहने को भी कहा है.

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नेपाल की नयी नीति- भारत,चीन के साथ संबंधों को हानि पहुंचाने वाली गतिविधियों से एनजीओ को रोकेगा

काठमांडो, 12 जनवरी (भाषा) भारत और चीन के साथ संबंधों को नुकसान पहुंचा सकने वाले कार्यक्रम संचालित करने से अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) को हतोत्साहित करने के लिए नेपाल एक नई नीति का मसौदा तैयार कर रहा है. अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी.



सीमा पार आतंकवाद और आपराधिक गतिविधियां भारत के लिए बड़ी चिंता का बड़ा कारण बने हुए हैं, जबकि चीन ने तिब्बतियों की गतिविधियों के बारे में अतीत में नेपाल से शिकायत की है.



काठमांडू पोस्ट की खबर में कहा गया है कि समाज कल्याण परिषद् द्वारा तैयार की जा रही रणनीतिक नीति के मसौदे के मुताबिक संबंधों को संतुलित रखने की नेपाल की विदेश नीति के आधार पर उन परियोजनाओं का क्रियान्वयन नहीं किया जा रहा है, जिसका दोनों पड़ोसी देशों में से कोई देश विरोध करता हो.



मसौदा के मुताबिक, 'नेपाल एक भूआबद्ध (सभी ओर से जमीन से घिरा हुआ) देश है और उसके उत्तर और दक्षिण में दो बड़ी आबादी वाले देश (भारत और चीन) हैं.'



यह नीति एनजीओ को वैसे कार्यक्रम संचालित करने से हतोत्साहित करेगी, जो नेपाल के पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को नुकसान पहुंचा सकते हैं.



परिषद् के अधिकारियों ने कहा कि नीति अब भी मसौदा के स्तर पर है और इसके कुछ प्रावधानों के संबंध में एनजीओ पंजीकरण पर नया कानून अहम होगा.



परिषद् में सूचना अधिकारी दुर्गा प्रसाद भट्टराई ने कहा कि प्रस्तावित नीति का लक्ष्य एनजीओ की गतिविधियों, खासतौर पर सीमावर्ती क्षेत्रों से जुड़ी चिंताओं को दूर करना होगा.



पोस्ट ने भट्टराई को उद्धृत करते हुए कहा, 'प्रस्तावित नीति का उद्देश्य इस बात पर जोर देना है कि नेपाल सरकार, खासतौर पर सीमावर्ती क्षेत्रों में, मदरसों एवं मठों के निर्माण के जरिए अंतरराष्ट्रीय एनजीओ की रणनीतिक गतिशीलता को लेकर चिंतित है.'



परिषद् के मुताबिक भारत से लगे सीमावर्ती क्षेत्रों में मदरसों को कतर, सऊदी अरब और तुर्की जैसे देशों से धन मिल रहे हैं.



परिषद् में सदस्य सचिव राजेंद कुमार पौडेल ने स्वीकार किया कि भारत ने गृह मंत्रालय के जरिए सीमावर्ती क्षेत्र में मदरसों की बड़ी मौजूदगी के बारे में चिंता जाहिर की है.



उन्होंने कहा, 'इसलिए हमने विदेशी धन की मंजूरी मुहैया करने के दौरान धन के स्रोत की जांच के लिए और मदरसों में संचालित हो रहे कार्यक्रमों की प्रकृति की छानबीन के लिए कदम उठाए हैं. हम भारत की चिंताओं को दूर करने के पक्ष में हैं लेकिन हमने काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास से कोई राय नहीं ली है.'



हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि सभी मदरसों को एक जैसा बताना गलत होगा.



उन्होंने कहा, 'मोरंग और सुनसारी में कुछ मदरसे शिक्षा प्रदान करने में अच्छा काम कर रहे हैं और कई अन्य मदरसे सीमा पार पांच से 10 किमी के दायरे में रहने वाले क्षेत्रों से भी छात्रों को आकर्षित कर रहे हैं.'



उन्होंने कहा, 'हम चीन से लगे सीमावर्ती इलाकों में भी एनजीओ की गतिविधियों के बारे में समान रूप से संवेदनशील हैं ताकि उत्तरी पड़ोसी देश (चीन) के साथ हमारे संबंधों पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़े. '

पोस्ट की खबर के मुताबिक भारत ने अतीत में कहा है कि मदरसों में चरमपंथ के किसी भी तरह के प्रसार से नेपाल की आंतरिक सुरक्षा को खतरा हो सकता है और उसने काठमांडू को बार-बार सतर्क रहने को भी कहा है.


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